“राज, सोनिया मैडम अपनी केबिन में तुमसे मिलना चाहेंगी,” मेरी सेक्रेटरी ने मुझसे कहा।
ये एक ऐसा वाक्या था जो कोई भी वर्मा इंटरनैशनल में सुनना पसंद नहीं करता था। इसका सीधा मतलब था कि आज से आपका वजूद एक इतिहास बनने वाला है। सोनिया वर्मा का ये मानना था कि वो खुद अपने हर कर्मचारी को खराब खबर सुनाना पसंद करती थी बजाय अपने किसी अधिकारी के ज़रिये। पिछ्ले कईं सालों से वर्मा इंटरनैशनल का कारोबार धीमा पड़ता जा रहा था। खर्चों को कम करने के हिसाब से वो अपने कर्मचारियों में कटौती करते आ रहे थे। मैं समझ गया कि आज मेरा नंबर है, मुझे फिर इंटरव्यू की लाईन में खड़ा होना पड़ेगा।
मैंने सोनिया वर्मा के प्राइवेट केबिन के दरवाज़े पर दस्तक दी।
“कम इन,” मुझे सोनिया की आवाज़ सुनायी दी।
मैंने दरवाज़े को धकेला और उसके ऑफिस में कदम रखा। सोनिया अपनी मेज़ से उठ कर मेरे पास आयी और अपना हाथ मुझसे मिलाने के लिये आगे बढ़ा दिया। उसे देख कर हर बार की तरह फ़िर मेरे शरीर में एक झुरझुरी सी फ़ैल गयी। वही सुंदर चेहरा, गोरा बदन और फ़िगर के तो क्या कहने, ठीक किसी मॉडल की तरह। काले बिज़नेस स्कर्ट-सूट और उससे मेल खाते काले हाई-हील सैंडलों में उसका व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली लग रहा था।
“हाय राज कैसे हो? अच्छा लगा तुमसे मिलकर, बैठो।” उसने अपने मधुर स्वर में कहा।
हाथ मिलाने के बाद वो अपनी मेज़ के पीछे की कुर्सी पर बैठ गयी और मैं उसके सामने की कुर्सी पर। मेरे बैठते ही उसने अपने सामने फ़ोल्डर को खोला और कुछ पढ़ने लगी, फ़िर उसने मेरी तरफ़ देखा और फ़िर फ़ाइल को पढ़ने लगी।
“राज तुम हमारी कंपनी में कितने सालों से काम कर रहे हो?” उसने पूछा।
“लगभग दस साल से, अपने हाइस्कूल के ठीक बाद ही मैंने आपके पिताजी के साथ काम करना शुरु कर दिया था,” मैंने जवाब दिया।
“बड़ी मुश्किल हुई होगी तुम्हें, दिन भर ऑफ़िस में काम करना फिर रात को कॉलेज में पढ़ना?” सोनिया ने कहा।
“इतना आसान तो नहीं था मिस वर्मा, पर आपके पिताजी ने मेरी काफी मदद की इस विषय में,” मैंने कहा।
“हाँ मुझे पता है। वो अपनी दिल की बात ज़ुबान पर नहीं ला पाये नहीं तो हमेशा उन्होंने तुम्हें अपने बेटे की तरह माना था। पिताजी ने तुम्हें तुम्हारी पढ़ाई के लिये उधार भी दिया था जिसे उन्होंने तुम्हारी ग्रैज्युएशन का तोहफ़ा कहकर माफ़ कर दिया था। ऐसा उन्होंने क्यों किया राज?” सोनिया बोली।
“मुझे पता नहीं,” मैंने जवाब दिया।
“तुम्हें पता है राज और मुझे भी पता है। तुमने ऐसा क्यों किया राज? तुमने उस झमेले में अपनी गर्दन क्यों फ़ंसायी?” सोनिया ने कहा।
“आपके पिताजी बहुत ही ही अच्छे इंसान थे मिस सोनिया, और मैं नहीं चाहता कि कोई रंडी उनकी ज़िंदगी बरबाद कर दे,” मैंने जवाब दिया।
“क्या तुम्हारी पढ़ायी के लिये पैसे देना फ़िर इनाम में माफ़ कर देना उसकी कीमत थी?” सोनिया ने पूछा।
“नहीं मैडम ऐसा नहीं था। आपके पिताजी मुझे पहले ही उधार दे चुके थे और उसे मेरी डिग्री का तोहफ़ा कह कर माफ़ कर चुके थे। और ये वो एक कारण था जिसके लिये मैंने सब कुछ किया। उन्हें मेरी मदद करने की जरुरत नहीं थी, उन्होंने जो कुछ किया अपने दिल से किया, और कोई भी इंसान ये सब सहन नहीं कर सकता कि कोई पैसे की भूखी रंडी किसी ऐसे अच्छे इंसान के साथ ये सब करे,” मैंने कहा।
“तुम खुशनसीब हो कि उस समय डी-एन-ए टेस्ट का चलन नहीं था, अगर होता तो तुम्हारी कहानी हवा हो गयी होती,” सोनिया बोली।
“ऐसी बात भी नहीं थी, पचास-पचास प्रतिशत संभावना थी कि मेरी कहानी हर हाल में सच साबित हो जाती।” मैंने जवाब दिया।
“तुमने और पिताजी ने मिलकर ये सब किया?”
“मुझे नहीं पता कि आपके पिताजी ने क्या किया, पर मेल-रूम के आधे से ज्यादा कर्मचारी ये कर सकते थे। उनमे से कोई भी उसके बच्चे का बाप हो सकता था,” मैंने कहा।
“फिर भी ऐसी क्या बात थी जो तुमने उसके खिलाफ़ गवाही दी। जब उसने कहा कि मेरे पिताजी ने उसे गर्भवती बनाया है, पर उसने तुम्हें बताया था कि वो बच्चा मेरे पिताजी का नहीं है, वो तो सिर्फ़ पैसो के लिये ऐसा कह रही है,” सोनिया ने कहा।
“इमानदारी और नमक हलाली और कुछ नहीं,” मैंने जवाब दिया।
“पर मैंने सुना है तुम पुराने ख्यालातों के हो?” सोनिया ने कहा।
“जहाँ तक मेरा सवाल है, इमानदारी और नमक-हलाली वक्त के साथ नहीं बदलती मैडम!” मैंने जवाब दिया।
“क्या ऐसा हो सकता है कि जो इमानदारी और नमक-हलाली तुमने मेरे पिताजी के साथ दिखायी थी वो उनकी आगे की पिढ़ियों के साथ भी कायम रह सकती है?” सोनिया ने प्रश्न भरी नज़रों से मुझसे कहा।
“आपके कहने का मतलब क्या है, मैं कुछ समझा नहीं?” मैंने पूछा।
“इतना ही राज!! क्या तुम वो ही इमानदारी और नमक-हलाली मेरे साथ निभा सकते हो?” सोनिया ने कहा।
“मिस वर्मा, मैं अभी भी आपकी बातों का मतलब नहीं समझा,” मैंने कहा।
“राज मैं काफी मुसीबत में हूँ और मुझे एक ऐसा इंसान चाहिये जो मुझे इस मुसीबत से बाहर निकाल सके,” सोनिया थोड़े दुखी स्वर में बोली।
“मिस वर्मा मुझसे जो हो सकेगा मैं करुँगा,” मैंने कहा।
“हो भी सकता है और नहीं भी राज! सबसे पहले तो तुम ये समझ लो कि तुम्हें काफी जिल्लत से गुज़रना होगा, ऐसा भी वक्त आ सकता है कि तुम मुझसे नफ़रत करने लगो। आज रात का खाना मैं तुम्हारे साथ खाना चाहुँगी राज, जहाँ हमारी बातों को कोई सुन नहीं सके, वरना दीवारों के भी कान होते है ये मैंने सुना है। क्या मैं तुम्हें आज रात सात बजे पिक कर लूँ? सोनिया ने कहा।
“हाँ क्यों नहीं, मैं आपको मेरे घर का पता दे देता हूँ,” मैंने कहा।
“इसकी जरुरत नहीं है राज, मुझे पता है तुम कहाँ रहते हो।”
शायद इन बातों के दौरान मेरे चेहरे पर अजीब भाव आ गये होंगे। “थोड़ा इंतज़ार करो राज, आज की रात तुम्हें तुम्हारे हर प्रश्न का जवाब मिल जायेगा।”
थोड़ा सा इंतज़ार करो। उसके लिये कहना आसान था पर मेरे लिये नहीं। उसे कैसे पता कि मैं कहाँ रहता हूँ। दीवारों के भी कान होते हैं - इस बात का क्या मतलब है, वो मुझसे क्या चाहती है, इन ही सब ख्यालों में खोया मैं अपने केबिन में बैठा था। मैं इन ही ख्यालों में खोया था और अपने काम पर भी ध्यान नहीं दे पा रहा था। मेरे दिमाग में यही घूम रहा था कि आज की रात खाने पर वो मुझसे क्या कहेगी।
और वह घड़ी आयी। सोनिया मुझे लेने आयी। हमेशा की तरह मैं उसे देखता ही रह गया। कमर तक लंबे खुले हुए उसके काले घने बाल, मदहोश कर देने वाली आँखें, आकर्षक स्कर्ट-टॉप और उससे मेल खाते उँची हील के सैंडल। मैं एक आह भर कर गाड़ी में बैठ गया और हम गाड़ी में बात करने लगे।
“राज मैं चाहती हूँ कि तुम मुझसे शादी कर लो!” सोनिया ने कहा।
सोनिया की बात सुनकर मेरा शरीर पत्थर सा हो गया। मुझे उससे इस बात की उम्मीद नहीं थी। बड़ी मुश्किल से मैंने अपने आपको संभाला और गहरी साँस लेने लगा।
“राज आज की रात मैं तुम्हें सब कुछ बता दूँगी और मुझे उम्मीद है कि जो भी बातें हम दोनो के बीच होंगी उसे तुम राज़ ही रखोगे। जो मैं तुमसे कह रही हूँ तुम मानो या ना मानो ये तुम्हारी मर्ज़ी है, मैं तो सिर्फ़ तुम्हारे और मेरे पिताजी के संबंधों को देखते हुए तुमसे ये कह रही हूँ। क्या तुम्हें पता है कि उन्होंने अपनी वसियत में लिख रखा है कि तुम हमेशा वर्मा इंटरनैशनल के लिये काम करोगे। इसका मतलब है कि कोई भी तुम्हें ना तो नौकरी छोड़ने के लिये कह सकता है और ना ही तुम्हें रिटायर कर सकता है,” सोनिया ने कहा।
“मुझे इस बात की जानकारी नहीं है,” मैंने कहा।
“तुम्हें जानने की जरुरत भी नहीं है, मैं तुम्हें ये बात सिर्फ़ इसलिये बता रही हूँ कि जो मैं तुमसे माँगने जा रही हूँ, अगर तुम उस बात से इंकार करते हो तो तुम्हें तुम्हारी नौकरी का कोई डर ना हो। क्या तुम ऐसा कर सकते हो राज? क्या तुम मुझसे एक वादा कर सकते हो? आज की रात तुम चाहो जो फ़ैसला करो, पर जो बातें मैं तुम्हें बताने जा रही हूँ वो सिर्फ़ तुम्हारे और मेरे बीच रहेंगी,” सोनिया ने कहा।
“ये बात आप पहले से जानती हैं मिस वर्मा, वरना मैं आज यहाँ आपके सामने ना बैठा होता,” मैंने कहा।
“हालातों को देखते हुए मुझे लगता है राज कि तुम मुझे सोनिया नाम से पुकारो तो ज्यादा अच्छा रहेगा। लो हम पहुँच गये,” सोनिया ने गाड़ी एक रेस्तोराँ के सामने रोकी। हम ने अंदर जा कर ड्रिंक्स ऑर्डर किये। सोनिया ने अपने पर्स में से सिगरेट निकाली और मुझे भी ऑफर की।
“राज, जैसे ही तुम्हारे गले के नीचे पहला पैग जायेगा तुम पर मैं एक बिजली सी गिराने वाली हूँ।” सोनिया ने सिगरेट का कश लेते हुए कहा। मेरे चेहरे पे आये भावों ने उसे मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया। वो भी अपना पैग पीने लगी और फिर बोली, “मैं जानती हूँ आज सुबह से तुम्हारे दिमाग में हज़ारों प्रश्न घूम रहे थे, पर मैं शर्त लगा सकती हूँ कि तुम्हें मुझसे ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी।”
“हाँ मैडम! मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि आप मुझे ये कहेंगी,” मैंने धीरे से सिगरेट का कश लेते हुए कहा।
“राज मैंने तुमसे कहा था कि मेरा नाम सोनिया है..... तो कैसा लगा तुम्हें मेरा प्रस्ताव?” सोनिया मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली। उसका पैग खत्म हो चुका था और वेटर आ कर उसके लिये दूसरा पैग रख गया।
“अगर सच कहूँ तो मुझे डर सा लग रहा है, और मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है।”
“मैं तुम्हें साफ़-साफ़ बताती हूँ, आर्थिक कारणों से मुझे पति की सख्त जरुरत है, और मेरी अपनी मजबूरी है कि जिससे मैं प्यार करती हूँ वो मुझसे फ़िलहाल शादी नहीं कर सकता” सोनिया ने जवाब दिया और अपने ड्रिंक का सिप लिया।
“माफ़ करना मैडम, मेरी समझ में अब भी आपकी बात नहीं आयी,” मैंने कहा।
“मैं तुम्हें ये तो नहीं बता सकती कि मैं अपने प्रेमी से क्यों शादी नहीं कर सकती पर बाकी की सब बातें तुम्हें बताती हूँ। मेरे पिताजी ने अपनी वसियत कुछ अजीब किस्म की लिखी है, ऐसा उन्होंने क्यों किया ये वो ही जानते है.... शायद मेरे चालचलन की वजह से उन्हें मुझ पर उतना भरोसा नहीं था....” कहते हुए सोनिया बीच में रुकी और अपने पैग का बड़ा सा घूँट पी कर सिगरेट के कश लेने लगी।
“आपका चालचलन....?” मैंने जिज्ञासा पूर्वक पूछा।
“हाँ.... उन्हें मेरा स्वच्छंद लाईफ स्टाईल पसंद नहीं था.... यही शराब-सिगरेट पीना, देर रात पार्टियों से नशे में घर लौटना.... और फिर जब मैं कॉलेज में थी तो ड्रग्स भी लेने लगी थी और तब पिताजी ने मुझे ड्रग्स कि लत छुड़ाने के लिये एक क्लिनिक में तीन महिनों के लिये अमेरिका भी भेजा था।” सोनिया ने बताया और वेटर को तीसरा पैग लाने के लिये इशारा किया। मैं तो ये जानने की जिज्ञासा में कि वो मुझसे क्या और क्यों चाहती है, अपनी पहली ही ड्रिंक नहीं खत्म कर पाया था।
“हाँ तो मैं कह रही थी कि पिताजी ने अपनी वसियत में लिखा है कि तीस साल की उम्र तक अगर मैंने शादी नहीं की तो सारी दौलत अलग-अलग धर्म संस्थानों को दान में दे दी जायेगी। सारी दौलत तीन हिस्सों में बाँटी गयी है जिनके तीन ट्रस्टी हैं। ये दौलत मुझे मेरी शादी पर मुझे मिल जायेगी,” अपनी सांसो को काबू करते हुए सोनिया ने कहा और एक और सिगरेट सुलगा ली।
थोड़ी देर अपनी बातों को रोक ग्लास को टेबल से उठा कर ड्रिंक पीने लगी। उसकी आँखों में गहरी चिंता और परेशानी साफ़ नज़र आ रही थी। उसने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “सात महीनों में मैं तीस साल की हो जाऊँगी। जिससे मैं प्यार करती हूँ वो किसी कारण वश मुझसे शादी नहीं कर सकता और मैं अपनी दौलत को अपने हाथ से जाने नहीं दे सकती। अपनी दौलत बचाने के लिये मुझे एक पति की जरुरत है, पर पति भी कुछ खास किस्म का होना चाहिये।” सोनिया ने अपने पैग का सिप लिया और एक कश लेकर बोली, “राज तुम ध्यान से सुन रहे हो ना मैंने क्या कहा?”
“हाँ मैं सुन रहा हूँ, आप आगे कहें,” मैंने ने कहा।
“तो मुझे एक खास पति चाहिये जो अच्छी तरह समझ ले कि वो सिर्फ़ नाम का ही मेरा पति होगा। जिस्मानी रिश्ता बहुत कम होगा और अगर होगा तो भी एक तरफ़ा होगा। वो ये भी अच्छी तरह समझ ले कि उसका प्रत्यक्ष रूप में काफी अपमान होगा। वैसे अपमान सिर्फ़ दिखावे का होगा जिससे वो पाँच साल बाद मुझसे तलाक ले सके। और इन पाँच सालों में उसे मुझे माँ बनाकर बाप भी बनना होगा। क्या तुम ये काम करने को तैयार हो राज?” सोनिया ने कहा।
“अभी कुछ तय नहीं कर पाया हूँ, आप आगे बतायें कि मुझे क्या मिलेगा ऐसा करके?” मैंने पूछा।
“ठीक है मैं तुम्हें बताती हूँ। तुम्हारे नाम से किसी बैंक में पचास लाख रुपये जमा करा दिये जायेंगे। पर पाँच सालों तक तुम उस रकम को नहीं पा सकते। तुम मेरे साथ रहोगे, और मैं तुम्हारे हर खर्चे का भुगतान करुँगी। तुम्हें घर, गाड़ी जो तुम चाहो, जिस क्लब की मैंबरशिप चाहो, मिलेगी। जेब खर्च के लिये तुम्हें बीस हज़ार रुपये महिना मिला करेंगे। इसके बदले में तुम्हें ये वादा करना होगा कि तुम हमेशा मेरे साथ इमानदार पति बन कर रहोगे। अब अच्छा लग रहा है सुनकर?” सोनिया ने कहा। उसका तीसरा पैग खत्म हुआ और तब तक मेरा पहला ही खत्म हुआ था। उसने हम दोनों के लिये और एक-एक पैग का ऑर्डर दिया। उसकी आँखों में मैं नशा चढ़ते देख सकता था।
“हाँ अच्छा तो लग रहा है, पर कुछ परेशानियाँ हैं।”
“और वो क्या है?” सोनिया ने पूछा।
“तुमने कहा कि हम दोनों में जिस्मानी रिश्ता कम से कम रहेगा और मुझे पत्नि-व्रत बन कर रहना होगा। अब इस उम्र में मैं चुदाई के बिना नहीं रह सकता,” मैंने कहा।
“अगर तुम्हारी चुदाई वाली समस्या का मैं कोई इंतज़ाम कर दूँ तो कैसा रहेगा?” सोनिया ने कहा।
“जो सब तुमने कहा वो सुनने में तो अच्छा लग रहा है, पर दूसरी अड़चनें भी हैं, जैसे मेरा आत्म सम्मान! तुमने कहा कि मुझे अपमान सहन करना होगा, मैं जानना चाहता हूँ कि कहाँ तक?” मैंने पूछा।
“तुम्हें कोई जिस्मानी अपमान या नुकसान नहीं पहुँचने वाला। हाँ बोलने से जरूर अपमान होगा जिससे हमें तलाक लेने में आसानी हो,” सोनिया ने कहा।
“फिर भी कुछ चीज़ें है जिसका मैं खुलासा करना चाहुँगा” मैंने कहा।
अपना पैग पीते हुए सोनिया प्रश्न भरी नज़रों से मुझे देखने लगी। वो सोच में पड़ गयी। मैंने उसके दिमाग की हालत देख कर कहा, “ठीक है अगर तुम्हें मेरी कुछ शर्तें मंज़ूर हों तो मैं ये काम करने के लिये तैयार हूँ।”
“और वो क्या है?” सोनिया ने पूछा।
“हम दोनो के बीच एक लिखित करार नामा बनेगा, जिसमें तुम सब सच-सच लिखोगी। उसमें ये लिखा होना चाहिये कि पाँच साल बाद मुझे पचास लाख रुपये मिल जायेंगे, और अगर किसी कारण वश हमारे बीच ये समझौता पाँच सालों तक नहीं चलता तो भी मुझे ये रकम मिलेगी और उसमें मेरी कोई गलती नहीं होगी, बोलो मंजूर है?
सोनिया थोड़ी देर तक मेरी आँखों की गहराइयों में झाँकती हुई सिगरेट के कश लेती रही और फिर बोली, “ठीक है, मुझे मंजूर है,” और उसने अपना हाथ मिलाने के लिये आगे बढ़ा दिया।
वैसे तो ये सब एक आसान काम साबित हुआ, पर अटपटा भी। उसका प्रेमी एक निहायत ही काईयाँ किस्म का इंसान था। उसका नाम अमित कपूर था। वो किसी कारणवश सोनिया से शादी नहीं कर सकता था, और सोनिया के पिताजी की वसियत के अनुसार सोनिया को तीस साल की उम्र तक शादी भी करनी थी और पैंतिस साल की उम्र तक एक बच्चे की माँ भी बनना था।
सोनिया से शादी करने के बाद मुझे उस उल्लू के पट्ठे अमित को झेलना था। सोनिया की करीबी सहेलियाँ शायद अमित के बारे में जानती थी इसलिये अक्सर उससे पूछा करती थीं कि उसने अमित में ऐसा क्या देखा, पर वो कहावत सच है कि प्यार अंधा होता है।
“राज, मैं जानती हूँ कि कभी-कभी अमित को सहन करना मुश्किल होता है, पर क्या करूँ मैं उससे प्यार भी बहुत करती हूँ। और प्यार में अक्सर ऐसा होता है, है ना राज? और तुम तो खुद ये सब भुगत चुके हो और प्रीती के साथ सहन कर चुके हो। है ना राज?”
“तुम प्रीती के बारे में कैसे जानती हो?”
“मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानती हूँ राज। जिस दिन मैंने तुम्हें अपना किराये का पति बनाने का फ़ैसला किया उसी दिन से तुम्हारे पीछे जासूस लगा दिया था। मैं कोई चाँस नहीं लेना चाहती थी क्योंकि पचास करोड़ दाँव पर है। जब मुझे तुम्हारे और पिताजी के बीच गहरे संबंधों का पता चला तो मुझे लगा कि तुम मेरे काम आ सकते हो। इसलिये मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानना चाहती थी। वैसे एक बात पूछूँ तुम्हें बुरा ना लगे तो, तुम्हें प्रीती से अलग हुए कितना अरसा हो गया?”
“दो साल, ग्यारह महीने, तीन हफ़्ते, दो दिन, तीन घंटे और चालिस मिनट” मैंने जवाब दिया।
“तुमने इतना सब क्यों सहन किया राज?”
“तुम्हीं ने तो कहा कि प्यार अंधा होता है और इंसान प्यार में बहाने तो ढूँढ ही लेता है। अगर उसने अपने किसी प्रेमी के लिये बेवफ़ाई की होती तो शायद मैं उसे माफ़ कर देता पर अपने सगे पिता और भाई के साथ। ये मैं कैसे सहन कर लेता इसलिये उसकी ज़िंदगी से दूर हट गया।”
“तो फिर क्या सोचा राज तुम मेरा ये काम करोगे ना?” सोनिया ने सिगरेट का धुँआ उड़ाते हुए पूछा।
“हाँ करुँगा,” मैंने कहा, “पर ये तुम्हें खुलासा करना होगा कि कम से कम जिस्मानी संबंध और एक तरफ़ा का क्या मतलब है?”
“अच्छा वो?”
“हाँ वो।”
“मैं अमित से बहुत प्यार करती हूँ और उसके प्रति पूरी तरह वफ़ादार रहना चाहती हूँ। उससे मिलने से पहले मेरे कईं लोगों से शारिरिक संबंध थे पर जब से अमित मेरी ज़िंदगी में आया है, तब से मेरे ताल्लुकात सिर्फ उसके साथ ही रहे हैं। शादी के बाद हम दोनों एक बार जरूर साथ में सोयेंगे जिससे शादी पर मोहर लग सके फिर उसके बाद जब बच्चे का वक्त आयेगा तभी जिस्मानी संबंध बनायेंगे। मेरी अपनी कुछ जिस्मानी जरूरते हैं जिसे पूरी करने से अमित इंकार करता है। उन जरुरतों को पुरा करने के लिये तुम मेरी मदद करोगे... इसके लिये वो तैयार हो गया है। वो इसे बेवफ़ाई नहीं मानता है बल्कि कुछ खास परिस्थितियों में एक समझौता समझ सकता है।” सोनिया ने कहा। उसकी आवाज़ में भी अब नशा ज़ाहिर हो रहा था पर मैं उसे और पीने से कैसे रोक सकता था।
“और वो खास परिस्थितियाँ क्या हैं?” मैंने पूछा।
“क्या अभी सब बताना जरुरी है राज?”
“सब सच-सच बताना होगा सोनिया! मैंने पहले ही कहा था। फिर बाद में या पहले तुम्हें बताना तो पड़ेगा ही तो फिर आज क्यों नहीं,” मैंने कहा।
“मुझे अपनी चूत चुसवाने में बहुत मज़ा आता है, पर अमित ऐसा करने से मना करता है, पर तुम अगर मेरी चूत चूसो तो उसे कोई ऐतराज़ नहीं है... सिर्फ़ इतना कि कभी-कभी वो तुम्हें ऐसा करते देखना भी चाहेगा” सोनिया ने कहा।
“जो तुम कह रही हो उसके बारे में तुमने अच्छी तरह सोच लिया है ना?”
“हाँ राज मैंने सोच लिया है, फिर तुम्हें क्या फ़र्क पड़ता है। प्रीती जब दूसरे मर्दों से चुदवाकर आती थी तब तुमने कई बार उसकी चूत चुसी होगी। पर उस वक्त कोई खज़ाना तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर रहा था, पर इस बार पचास लाख रुपये तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। सोचो जरा थोड़ी सी चूत चूस कर तुम ये हासिल कर सकते हो। मैं तुमसे वादा करती हूँ कि तुम्हें चूत की कमी नहीं होने दूँगी। सिर्फ़ वो मेरी नहीं किसी और की होगी” सोनिया ने कहा।
मैं मन ही मन सोचने लगा। मेरी उम्र छब्बीस की होने वाली है, और चूत चूसने से अगर पचास लाख रुपये मिलते हैं तो बुराई क्या है। इतने रुपये से मेरी बाकी की ज़िंदगी आराम से कट सकती है। मैं सिगरेट पीता हुआ सोनिया को घूरता रहा और फिर कहा, “मेरी तीन शर्तें होंगी... एक, लिखित समझौता होगा। दूसरा तुम चाहे जिसका इंतज़ाम करो मुझे चूत मिलती रहेगी और आखिरी और अहम शर्त हमारी सुहागरात सिर्फ़ मेरी होगी सिर्फ़ मेरी! बोलो मंजूर है?” मैंने कहा।
“ये सुहागरात वाली बात से तुम्हारा क्या मतलब है?”
“दो बातें हैं। जैसे तुमने कहा कि तुम्हारा प्रेमी मुझे तुम्हारी चूत चूसते देखना चाहता है। पर उस रात नहीं! मैं नहीं चाहता कि उस रात वो तुम्हारे पास भी फ़टके। दूसरी बात वो रात मेरी होगी, पूरी तरह से मेरी। ऐसा नहीं हो कि आधे घंटे में चुदाई खत्म करो और फ़ुटो। उस रात मैं अच्छी तरह और हर तरह से तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूँ, तुम्हें मेरा लंड भी चूसना होगा और गाँड भी मरवानी होगी” मैंने कहा।
“मैं ऐसा नहीं कर सकती राज, ये अमित के साथ बेवफ़ाई होगी।”
“तुम कर सकती हो सोनिया। तुम पहले ही मान चुकी हो कि सुहागरात को हम चुदाई करेंगे वो समझौता है बेवफ़ाई नहीं। फिर समझौता थोड़ी देर का हो या पूरी रात का, क्या फ़र्क पड़ता है एक ही बात है।”
“नहीं राज मैं नहीं कर सकती, ये गलत होगा।”
“सोच लो सोनिया या तो हाँ या फिर तुम किसी और को ढूँढ लो।”
“इतनी छोटी सी बात के लिये तुम पचास लाख रुपये छोड़ने को तैयार हो।”
“और तुम पचास करोड़ खो दोगी।” मैंने कहा।
“मैं किसी और को भी तैयार कर सकती हूँ, तुम ये बात जानते हो राज।”
“हाँ तुम कर सकती हो।” कहकर मैंने टेबल पर मेनू कार्ड उठाया और वेटर को आवाज़ दी।
“राज विषय को बदलो मत।”
“मैं कोई विषय को नहीं बदल रहा। हम यहाँ कोई बात करने आये थे, मैंने अपनी शर्त तुम्हें बता दी और तुमने उसे नकार दिया तो मैंने समझा कि हमारी बात पूरी हो गयी। हम यहाँ खाना खाने आये थे सो वेटर को खाने का ऑर्डर दे रहा था जिससे बाद में मैं टैक्सी पकड़ कर घर जा सकूँ और तुम्हें मुझे छोड़ने की जहमत ना उठानी पड़े” मैंने कहा।
“पर तुम इस एक बात पर क्यों अड़े हुए हो? ऐसी क्या खास बात है इसमें?” सोनिया ने कहा।
“मेरी मानसिक हालात के लिये बहुत जरुरी है, सोनिया।”
“ये तो कोई बात नहीं हुई राज।”
“तुम्हारे लिये नहीं होगी पर मेरे लिये ये बहुत जरुरी है।”
“क्या तुम मुझे जरा खुल कर समझा सकते हो।”
“बड़ी सीधी सी बात है सोनिया। तुमने मुझे पहले ही बता दिया है कि मुझे आने वाले पाँच साल तुम्हारे उस बद-दिमाग प्रेमी को झेलना होगा। मैं कोई बेवकूफ़ नहीं हूँ, आने वाले पाँच सालो की कहानी मैं अभी लिख सकता हूँ। पहले तो वो मुझे चिढ़ायेगा कि मैं अपनी पत्नी को नहीं चोद रहा हूँ बल्कि वो हर रात मेरी पत्नी को चोदता है। जब वो तुम्हें चोद रहा होगा तो मुझे बगल के कमरे में इंतज़ार करना होगा कि कब वो तुम्हारी चुदाई खत्म करे और मैं आकर तुम्हारी चूत को चूसूँ। इसी तरह वो मुझे चिढ़ाकर अपमानित करता रहेगा।”
“उसके हर अपमान पर मैं मुस्कुरा कर उसका जवाब दूँ एक गधे की तरह, नहीं! मैं ये सहन नहीं कर सकता। हाँ मैं करुँगा पर जब मैं उसे देखूँ तो मन ही मन कह सकूँ कि देख मैंने तेरी प्रेमिका की चूत चोदी है, उसके मुँह में अपना पानी छोड़ा है, उसकी गाँड की तो धज्जियाँ उड़ा दी हैं। उसके गर्भ में मेरा बीज है जिससे वो माँ बनने वाली है,” मैंने कहा, “जैसा मैंने कहा सोनिया... ये मानसिक लड़ाई है जो मेरे लिये जरुरी है, फिर तुम्हारा कुछ जाने वाला नहीं है, वैसे भी उस रात तुम मेरे साथ चुदाई करने को तैयार हो तो क्या फ़र्क पड़ता है।”
“राज, मुझे ऐसा लग रहा है कि मुझे एक बार फिर सोचना पड़ेगा। चलो खाने का ऑर्डर देते है, भूख लगी है” सोनिया ने अपना पैग खत्म करते हुए कहा।
खाना खाने के बाद जब हम उठे तो सोनिया नशे में झूम रही थी। मैंने टैक्सी लेने का सुझाव दिया तो उसने मुझे टैक्सी नहीं बुलाने दी। वो बोली कि सालों से वो रात को ड्रिंक करके ड्राईव करती रही है। फिर उसने ज़िद्द करके मुझे भी घर तक छोड़ा। जब मैं गाड़ी से उतर रहा था उसने कहा, “हम फिर बात करेंगे राज पर मुझे सोचने के लिये कुछ वक्त दो।” ये कहकर वो चली गयी।
दो दिन के बाद सोनिया ने मुझे अपने ऑफ़िस में बुलाया और बैठने को कहा। जैसे ही मैं कुर्सी पर बैठा उसने कुछ कागज़ात मेरे सामने रख दिये।
“राज ये एग्रीमेंट जैसे तुमने कहा था वैसे ही बनाया गया है। जहाँ तक हमारी सुहागरात का सवाल है तुम हर वो काम कर सकते हो जो तुम चाहो उसके लिये मैं तैयार हूँ। अब रहा सवाल तुम्हारे लिये किसी पर्मानेंट चूत के इंतज़ाम का तो मैं चाहुँगी कि घर में एक दिखावे की नौकरानी रख ली जाये जिसका असल काम घर की सफ़ाई नहीं बल्कि तुम्हारे लंड की सफ़ाई करना होगा। बाहर वालों को कुछ पता ना चले इसलिये मैं चाहुँगी कि ये सब हमारे घर की चार दिवारी में ही हो। अगर तुम्हें ये मंज़ूर हो तो बोलो।”
सोनिया ने फिर अपना ब्रीफ़केस खोला और उसमें से तीन फोटो एलबम निकाल कर मुझे पकड़ा दिये। “इनमें देखो शायद तुम्हें कोई पसंद आ जाये। जिनके चेहरे पर निशान लगा है वो उपलब्ध नहीं हैं” सोनिया ने कहा।
मैं एलबम में लगी सुंदर औरतों की तसवीरों को देखने लगा। फोटो के साथ-साथ उनके बारे में भी लिखा था। मैं पढ़ने लगा और सोनिया की ओर देख कर मुस्कुरा दिया।
“मेरी एक दोस्त है जो मॉडलिंग एजेंसी के साथ एसकोर्ट एजेंसी भी चलाती है। उसने मुझे आश्वासन दिया है कि जिस काम के लिये मैं पैसे खर्च कर रही हूँ उससे कहीं अच्छा काम इनमें से हर कोई करेगी। इनमें से एक को चुन लो राज, मैं सब इंतज़ाम कर लूँगी। अगर कुछ महीनों बाद तुम्हारा उससे दिल भर जाये तो फिर इनमें से किसी और को चुन सकते हो। तो अब हमारा सौदा पक्का?” सोनिया ने कहा।
जब सोनिया मुझसे ये कह रही थी तब मैं एलबम में लगी फोटो देख रहा था। अचानक मैं एक फोटो को देख कर रुक सा गया और उस फोटो को ध्यान देखने लगा। सादिया मेरे एक दोस्त की पत्नी थी जिसके साथ मैं फ़ुटबॉल खेला करता था, और हमेशा उसे चोदने के सपने देखा करता था।
“इस एलबम की हर औरत पैसे के लिये चुदवाने को तैयार है?” मैंने पूछा।
सोनिया ने अपनी गर्दन हाँ में हिला दी। मैंने उसे एलबम वापस लौटाया, “ये वाली।”
“तो मैं ये समझ लूँ की हमारा सौदा अब पक्का है?”
“हाँ सोनिया मुझे ये सौदा मंजूर है!”
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(भाग-०२)
उस दिन के बाद तो मेरी ज़िंदगी काफी व्यस्त हो गयी। अगले तीन महीने तक हम प्रेम का नाटक करते रहे। फिर उसके बाद हमारी सगाई की तारीख घोषित कर दी गयी। उसके बाद तो जैसे पार्टियों की लाईन लग गयी। कभी कोई दोस्त पार्टी दे रहा है तो कभी कोई बिजनेस से जुड़ा व्यक्ति। उसके बाद शादी की तैयारियाँ और साथ ही हमारे हनीमून की प्लानिंग। एक शाम या रात ऐसी नहीं थी कि मैं और सोनिया किसी पार्टी या होटल में साथ में ना हो। शादी के वक्त तक हमारे प्यार की सच्चाई पर सभी को विश्वास हो चुका था। प्रेस, मेडिया वाले और दोस्त यार सब हमारे प्यार की मिसाल देने लगे।
अभी तक एक शर्त पूरी नहीं हुई थी, वो थी पचास लाख रुपये की। मैंने सोनिया को कई बार याद भी दिलाया और हर बार उसने यही कहा कि तुम चिंता मत करो, हो जायेगा। मैं भी जानता था कि शादी से पहले तो होगा ही वर्ना मैं थोड़े शादी करने वाला था। दो दिन बाद उसने मुझे एक कन्फर्मेशन लेटर थमाया कि मेरे नाम से बैंक में रुपया जमा हो चुका है। अभी तक मेरी मुलाकात सोनिया के प्रेमी अमित कपूर से नहीं हुई थी। शायद शादी तक सोनिया ने उसे अपने आपसे दूर ही रखा हुआ था। शादी वाले दिन मैं भीड़ में उसे ढूँढने लगा। जितना मैंने उसके बारे में सुना था मैं जानता था कि वो इतना कमीना इंसान है कि आये बगैर मानेगा नहीं।
मेरा सोचना कितना सही था। जैसे ही मैं और सोनिया मंडप की ओर बढ़े वो ठीक ऐन सामने आकर बैठ गया। मेरी उसे नज़रें मिली और मैं मुस्कुरा दिया। मैं उसे देख कर अपने आप से कहने लगा, “साले, गधे के बच्चे, तेरी प्रेमिका आज की रात मेरी रंडी बनेगी। तू चाहे जितना खुश हो ले, पर जब भी तू इसे चोदेगा... ये दौड़ कर मेरे पास ही आयेगी कुत्ते के बच्चे।”
शादी की सारी विधी बिना व्यवधान के पूरी हो गयी। पर आखिरी रसम के लिये शायद सोनिया ने अपने आपको तैयार नहीं किया हुआ था जब पंडितजी ने कहा, “अब आप दुल्हन को मंगलसुत्र पहना दीजिये।”
एक बार तो मैंने सोचा कि शायद सोनिया इंकार कर देगी या कुछ बहाना बना देगी पर मुझे क्या पता था कि वो इसकी भी तैयारी करके आयी है। पैसों के लिये रिश्तों और रिवाजों की कहाँ अहमियत होती है। और आने वाले पाँच साल मुझे यही सब भुगतना और सहन करना है।
शादी का रिसैप्शन कोई खास नहीं था। हर रिसैप्शन की तरह लोगों ने हमें बधाई दी और तोहफ़े दिये। फिर वही पीना-पिलाना और खाना-खिलाना। सोनिया ने काफी ड्रिंक कर रखी थी पर ठीक पहले से तय वक्त पर मैं सोनिया को लेकर वहाँ से निकल गया।
रिसैप्शन से ठीक दो किलोमिटर दूर एक गाड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थी।
“राज, ये सब क्या हो रहा है प्लीज़ मुझे बताओ,” सोनिया ने पूछा।
“तुम्हारे लिये एक सरप्राईज है जान, थोड़ा इंतज़ार करो,” मैंने कहा।
मैं अपना सामान कार की डिक्की में रखने लगा। कार का ड्राइवर मेरी मदद करता रहा। सामान रखे जाने के बाद मैंने ड्राइवर को ५०० रुपये दिये और वो कार की चाबी मुझे देकर चल गया।
“राज, ये क्या हो रहा है, किसकी गाड़ी है ये?” सोनिया ने फिर पूछा।
“थोड़ा और सब्र करो, थोड़ी देर में तुम्हें सब पता चल जायेगा,” मैंने कहा।
जैसे ही वो ड्राइवर गया मैंने सोनिया को गाड़ी में बैठने को कहा।
“जब तक तुम मुझे सब कुछ नहीं बताओगे, मैं तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाऊँगी,” सोनिया ने कहा।
“सोनिया गाड़ी में बैठो, जिद्द मत करो। अगर तुम नहीं चली तो तुम्हें यहाँ अकेला सड़क पर छोड़कर मैं चला जाऊँगा। फिर तुम उस हनीमून होटल जाकर सफ़ाई दे देना कि तुम अपने पति के बिना वहाँ क्यों आयी हो,” मैंने थोड़ा गुस्से में कहा।
सोनिया ने इतने गुस्से से मेरी ओर देखा जैसे कि वो मेरा खून ही कर देगी। फिर वो गाड़ी में बैठ गयी।
“पर मुझे बताओ ये सब क्या हो रहा है, और तुम क्या चाहते हो?”
“आराम से सोनिया, ये भी कोई तरीका है अपने पति से बात करने का,” मैंने कहा।
“बकवास बंद करो राज, मैं सब कुछ जानना चाहती हो कि तुम क्या चाहते हो?”
“आसान सी बात है मेरी जान, मैं तुम पर विश्वास नहीं करता। तुमने बड़ी आसानी से मेरी सुहागरात वाली बात मान ली। तुम्हारे दिमाग ने तुमसे कहा कि जो माँग रहा है इस वक्त हाँ कर दो, एक बार शादी हो जायेगी तो तुम अपनी जुबान से मुकर सकती हो। तब तक शादी हो चुकी होगी और राज पैसे के लालच में कुछ नहीं बोलेगा। क्यों मैं सच कह रहा हूँ ना?” मैंने उसकी ओर देखते हुए कहा।
“नहीं राज ये सच नहीं है, मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था।”
“यही सच है सोनिया। जिस तरह से तुमने सब प्लैनिंग की थी मुझे उसी वक्त लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है। हो सकता था की होटल में पहुँचने के बाद तुम अमित के कमरे में चली जाती जो हमारे सामने के कमरे में तुम्हारा इंतज़ार कर रहा होता, या फिर वो चल कर हमारे कमरे के दरवाज़े पर दस्तक दे देता और तुम उसे अंदर बुलाकर हमारा साथ देने की दावत दे देती। हो सकता था कि जो मैंने सोचा वो गलत होता पर ऐसा हुआ नहीं। मैंने तुम्हें अमित से आँख मिलाते देख लिया था जो अपनी गाड़ी की ओर इशारा करके तुम्हें याद दिला रहा था। तुमने मुझसे चाल चलने की कोशिश की पर मैंने भी अपना प्लैन पहले से ही बना लिया था। इस वक्त हम दूसरे होटल में जा रहे हैं जहाँ मैंने सब व्यवस्था कर रखी है। और जो हम दोनो के बीच तय हुआ है वो आज हमारी सुहागरात को होकर रहेगा।”
“राज ये तो कोई तरीका नहीं हुआ अपनी शादी की शुरुआत करने का?” सोनिया ने कहा।
“सोनिया, तुम भी ये जानती हो कि ये शादी नहीं एक व्यापारिक समझौता है। मैं अपना वचन निभाऊँगा। मेरा वचन एक पत्थर की लकीर है पर तुम्हें भी अपना वचन निभाना होगा।”
इतना कहकर मैंने गाड़ी रोड के साइड में खडी कर दी। “अभी वक्त है अगर तुम्हारा इरादा नहीं है तो तुम अपने वचन से पीछे लौट सकती हो। मैं कल ही कोर्ट में अपने तलाक के कागज़ात दाखिल कर दूँगा फिर तुम आज़ाद हो।”
मैंने देखा कि सोनिया के चेहरे पर अजीब-अजीब से भाव आ रहे थे। उसने अपने पर्स में से सिगरेट निकाल कर सुलगा ली कश लेते हुए थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा, “मैं अपना वादा जरूर निभाऊँगी राज। मुझे हैरानगी इस बात की हो रही है कि तुमने मुझ पर विश्वास नहीं किया।”
“सोनिया ये तुम भी जानती हो कि हमारी शादी एक समझौता है। फिर एक दूसरे से झूठ बोलना बंद करो। तुम मुझे जितना बेवकूफ़ समझती हो उतना मैं हूँ नहीं। मैंने कुछ फोन किये थे और मुझे पता चल गया था। हमारी बुकिंग रूम नंबर १२१६ में जिस होटल में हुई थी ठीक उसी कमरे के सामने वाला कमरा १२१७ मिस्टर अमित कपूर के नाम बुक था। मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि हमारी सुहागरात के दिन वो हमसे पाँच मील के अंदर नहीं होना चाहिये। मैं तुम्हारे जाल में नहीं फँसा सोनिया बस इतनी सी बात है,” मैंने कहा।
जब हम होटल सिल्वर-इन में घुसे जिसमें मैंने कमरा बुक कराया था, तो मुझे पता था कि सोनिया वर्मा जैसी महान हस्ती को कोई इस छोटे से होटल में नहीं ढूँढेगा। सोनिया नशे में लड़खड़ाती जैसे ही मेरे साथ कमरे में घुसी तो सोनिया ने आपाधापी में अपने कपड़े उतारे और सैंडल उतारे बगैर ही बिस्तर पर लेट गयी जैसे कह रही हो, “जो करना है जल्दी करो और इस कहानी को यहीं खत्म करो।” उसके बदन पर सिर्फ ब्रा, पैंटी और सैंडल थे।
पर मैं भी पूरी तैयारी के साथ आया था। मैंने अपनी सुटकेस खोली और एक किताब निकालकर सोनिया को पकडा दी।
“ये क्या है?” उसने पूछा।
“जब तक मैं अपनी शाम का मज़ा लेता हूँ तुम किताब पढ़कर अपना दिल बहलाओ,” मैंने कहा।
मैं उसके पास बिस्तर पर पहुँचा और उसकी टाँगों को फ़ैला दिया। तभी वो बोली, “तुम कुछ भुल तो नहीं रहे हो?”
“नहीं तो,”
“तुम भुल तो रहे हो, कंडोम कहाँ है?” उसने पूछा।
“उसकी जरूरत ही नहीं है।”
“है, तुम्हें उसकी जरूरत है, मैं अभी से माँ बनने के लिये तैयार नहीं हूँ।” सोनिया ने कहा।
“जो मैं करूंगा उससे तुम प्रेगनेंट नहीं हो सकती। तुम किताब पढ़ो और मुझे अपना काम करने दो,” इतना कहकर मैंने अपना चेहरा उसकी टाँगों के बीच डाल दिया। मुझे चूत चूसने में काफी मज़ा आता है और कई औरतों ने तो इतना तक कहा कि मुझसे बेहतर चूत कोई नहीं चूसता।
सोनिया को उत्तेजित करने में मुझे ज्यादा वक्त नहीं लगा। थोड़ी ही देर में वो सिसकने लगी और अपने कुल्हों को उपर को उठाकर अपनी चूत को मेरे मुँह पर और दबाने लगी। मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत के अंदर डाल दी और साथ ही अपना अँगुठा उसकी गाँड के छेद में डाल दिया। अब मेरी जीभ के साथ मेरी एक अँगुली उसकी चूत में और अँगुठा उसकी गाँड के अंदर बाहर हो रहे थे।
“ये तुम क्या कर रहे हो?” उसने गहरी साँसें लेते हुए पूछा तो मैंने अपना चेहरा उसकी चूत पर से हटाते हुए कहा, “सोनिया, तुम अपनी किताब पढ़ो और मुझे अपना काम करने दो।”
मैं अपना अँगुठा उसकी गाँड में से निकाल कर अपनी एक अँगुली उसकी गाँड के अंदर बाहर करने लगा। फिर दूसरी अँगुली भी अंदर डाल दी। अब मैं उसकी चूत को चूस रहा था और अपनी अँगुलियाँ उसकी गाँड के अंदर बाहर कर रहा था।
सोनिया ने अपनी किताब बिस्तर पर फ़ेंक दी और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पे दबा दिया, साथ ही अपने कुल्हे भी उपर को उठा दिये। मेरा मुँह पुरा उसकी चूत पे था। “ओहहहह राऽऽऽऽऽऽज, ओहहह अब और बरदाश्त नहीं होताऽऽऽऽऽऽ, चोदोऽऽऽऽ मुझे जल्दी सेऽऽऽऽऽऽ” सोनिया सिसक रही थी।
मैंने मुस्कुरा कर बिस्तर पर पड़ी क्रीम की ट्यूब उठा ली जिसे मैंने बिस्तर पर आने से पहले रखी थी। मैंने थोड़ी क्रीम अपने लंड पर लगायी और साथ ही उसकी चूत में अँगुली करता रहा। सोनिया सिसक रही थी। जब मेरे लंड पर अच्छी तरह क्रीम लग गयी तो मैंने उसकी टाँगों को पकड़ कर अपने कंधों पर रख लिया। जब उसकी गाँड पूरी तरह बिस्तर के उपर हो गयी तो मैंने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी गाँड में घुसेड़ दिया।
“ओहहहऽऽऽऽऽऽ मर गयी रेऽऽऽऽ......” सोनिया ने अपने आप को मुझसे छुड़ाने की कोशिश की पर मेरा लंड पूरी तरह उसकी गाँड में घुसा हुआ था। मैं अपना लंड उसकी गाँड के अंदर बाहर करने लगा। मेरे पिछले अनुभव से मुझे पता था कि कुछ औरतों को गाँड मराने में बड़ा मज़ा आता है। कुछ शौक के लिये मरवाती थीं, तो कुछ अनुभव के लिये। सोनिया किस किस्म में आती है मुझे इस वक्त इसकी नहीं पड़ी थी। मुझे मतलब था तो सिर्फ़ आज की रात से, जिसमें सोनिया के साथ मैं कुछ भी कर सकता था।
मैंने देखा कि सोनिया को भी मज़ा आने लगा और वो अपने कुल्हे उछाल उछालकर मेरा साथ दे रही है।
“हाँ, फाड़ दो मेरी गाँड कोऽऽऽऽऽ, ओह, हाँ और जोरसेऽऽऽऽ” सोनिया सिसक रही थी।
आज की रात के लिये मैंने पिछले २४ घंटे में कम से कम से दस बार मुठ मारी थी। सिर्फ़ इसलिये की मेरा लंड जल्दी पानी नहीं छोड़े। मैं पंद्रह मिनट तक सोनिया की गाँड मारता रहा। सोनिया की चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी और आखिर में मेरे लंड ने भी उसकी गाँड में पानी छोड़ दिया। जब मेरा लंड मुर्झा गया तो मैंने उसे सोनिया की गाँड से बाहर निकाला और बाथरूम में सफ़ाई के लिये चला गया। सोनिया बिस्तर पर लेटी हुई मुझे देखती रही।
मैं अपना लंड साफ़ करके फ़िर एक बार बिस्तर पर आ गया। अपने घुटनों से उसकी टाँगों को फ़ैलाया और एक बार फ़िर उसकी चूत को चूसने लगा। मैं अपनी तीन अँगुलियाँ इस बार उसकी गाँड के बजाय उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था। एक बार फिर सोनिया ने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा दिया और जोरों से सिसक पड़ी, “ओहह राजऽऽऽऽ, अब और मत तरसाओऽऽऽ, अब नहीं रह सकतीऽऽऽ चोदो ना मुझे, डाल दो अपना लंड मेरी चूत में।”
“नहीं मैं अभी नहीं चोद सकता। मेरा लंड खड़ा नहीं हुआ है,” कहकर मैं उसकी चूत को जोरों से चाटने और चूसने लगा।
“प्लीज़, राज चोदो ना, देखो मेरी चूत में आग लगी है” सोनिया फिर गिड़गिड़ा पड़ी।
“थोड़ी देर रुको ना जान, जैसे ही मेरा लंड खड़ा होगा मैं चोदुँगा तुम्हें,” कहकर मैं उसकी चूत चूसता रहा।
तभी मैंने उसके हाथ को अपने लंड पर महसूस किया। वो थोड़ी देर तो मेरे लंड को मसलती रही। फिर वो इस तरह घूम गयी कि उसका मुँह मेरे लंड के पास आ गया। वो मेरे नीचे ही मेरे लंड को अपने गरम मुँह में लेकर चूसने लगी। यही तो मैंने सोचा था। मैं चाहता था कि वो हर चीज़ के लिये मुझसे भीख माँगे, मेरे सामने गिड़गिड़ाये। पहले वो चोदने के लिये गिड़गिड़ाती रही और अब मेरे लंड को अपने मुँह में ले बड़े प्यार से चूस रही थी।
मैंने सोनिया को थोड़ी देर तक अपना लंड चूसने दिया, फ़िर घूम कर उसकी टाँगों के बीच आ गया और उसके चेहरे को देखने लगा कि कहीं वो नाटक तो नहीं कर रही।
“अब क्या देख रहे हो?” सोनिया ने कहा, “किस बात का इंतज़ार कर रहे हो, जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में घुसा कर मुझे चोदो।”
उस रात मेरी एक तमन्ना पूरी नहीं हुई। उसने मुझसे अपनी गाँड मारने को नहीं कहा। उस रात मैंने सोनिया को तीन बार चोदा और हर बार चुदाई के बाद उसकी चूत चाटी और चुसी। जब भी मैं उसकी चूत चूसता तो वो उत्तेजना से पागल हो जाती। सुबह के पाँच बजे ही हम सो पाये।
मेरी सुबह साढ़े-नौ बजे जब आँख खुली तो देखा कि सोनिया कुहनी के बल लेटी हुई मुझे देख रही थी।
“क्या बात है,” मैंने अपनी आँखों को मसलते हुए पूछा।
“कुछ नहीं”
“फिर मुझे इस तरह क्यों देख रही हो?” मैंने पूछा।
“क्यों ना देखूँ? ये मेरी शादी की ज़िंदगी का पहला दिन है और पहली बार मैंने रात अपने पति के साथ गुज़ारी है” सोनिया ने कहा।
“पति? वो भी नाम का!” मैंने हँसते हुए कहा और उठ कर अपने कपड़े पहनने लगा।
“ये क्या कर रहे हो?” सोनिया ने पूछा।
“कपड़े पहन रहा हूँ और क्या” मैंने जवाब दिया।
“मैं यहाँ नंगी बिस्तर पर लेटी हुई हूँ और तुम कपड़े पहन रहे हो” सोनिया ने कहा।
“देखो, हमारे बीच एक समझौता हुआ था कि एक रात तुम मेरे साथ गुज़ारोगी। अब सुबह हो चुकी है और सूरज आसमान में चढ़ चुका है” मैंने जवाब दिया, “रात गुज़र चुकी है और अब मैं अपना वचन निभाऊँगा।”
“रात तब तक पूरी नहीं होती जब तक की हम बिस्तर से निकल कर अपने कपड़े ना पहन लें” सोनिया ने कहा।
मैंने अपनी पैंट छोड़ दी और वापस बिस्तर में आ गया। “तुम्हारा इरादा कैसे बदल गया,” मैंने पूछा।
“सुहागरात किसी औरत के जीवन में एक बार ही आती है। मैंने तुम्हें पहले भी बताया है कि मुझे चूत चुसवाने में बड़ा मज़ा आता है जो कि तुम आने वाले दिनो में भी चूसोगे। पर रात को जैसे तुमने मेरी चूत चूसी मैं एक बार फिर चूत चुसवाना चाहती हूँ” सोनिया ने कहा।
हम दोपहर को ढाई बजे ही होटल से चेक-आऊट कर सके। हमारे लेट होने से सोनिया के सारे प्लैन लेट हो गये। हमें हनीमून के लिये शिमला जाना था और अगली फ़्लाईट दूसरे दिन ही थी। सोनिया ने कुछ फोन किये और फिर से सब तैयारी की। हम दोनों सोनिया के बंगले पर आ गये और वो दिन मैंने सोनिया के कमरे में ही गुज़ारा जो आने वाले पाँच सालो के लिये अब मेरा था। हनीमून उतना ही बकवास था जितनी की मेरी शादी। शादी से पहले ही मुझे बता दिया गया था कि मुझे क्या-क्या करना है। मुझे अपना पार्ट इस तरह अदा करना है कि दुनिया और कानून यही समझे कि हम दोनो शादी-शुदा जोड़े हैं और शादी से खुश हैं।
“मैं जो कह रही हूँ राज, तुम उस पर विश्वास तो नहीं करोगे, पर ये सच है कि ट्रस्ट के जो इन-चार्ज हैं वो अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश करेंगे ये साबित करने की कि मैंने वसियत की हर शर्त पूरी नहीं की है। तुम्हें अपना रोल बाखूबी निभाना होगा जिससे किसी को कोई भी शक ना होने पाये” सोनिया ने कहा।
“अगर तुम जो कह रही हो वो सच है तो वो लोग तुम्हारे पीछे जासूस भी छोड़ सकते हैं और तुम्हारा अमित के साथ इश्क भी उनकी नज़रों में आ जायेगा,” मैंने कहा।
“अगर ट्रस्टीज़ को पता चल भी गया तो इस बात से कोई फ़रक नहीं पड़ता। पिताजी की वसियत में ऐसा कुछ नहीं लिखा कि मैं किसी दूसरे मर्द के साथ नहीं सो सकती। फिर भी अगर किसी ने इसको विषय बनाया तो मैं साफ़ कह दूँगी कि ये सब झूठी अफ़वाह है और मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ। फिर भी अगर बात नहीं बनी राज, तो तुम्हें मेरा साथ देना होगा कि ये कहकर तुम मेरी हर गलती को माफ़ करते हो और मुझसे बहुत प्यार करते हो।”
मेरी शादी की कहानी तो पहले ही लिखी जा चुकी थी और कहानी के अनुसार ही मैं अपने चंद सालों की पत्नी सोनिया के साथ हनीमून सूईट में था और उसका प्रेमी अमित हमारे कमरे से थोड़ी ही दूर दूसरे कमरे में था।
मुझे अमित के कमरे में सोना था और अमित सोनिया के साथ उसके कमरे में। सब कुछ पहले से तय था। मेरे हनीमून का मतलब था कि सोनिया ज्यादा से ज्यादा समय अमित के साथ बिता सके। सब कुछ जानते हुए मैं अपने साथ बहुत सारी किताबें ले आया था जिससे मेरा समय कट सके।
हर रात एक शादी शुदा जोड़े की तरह मैं और सोनिया किसी अच्छे रेस्तोराँ में खाना खाने जाते और किसी पब में जाकर नाचते जिससे लोगों की नज़र हम पर पड़ सके। पब से लौटते वक्त सोनिया शराब के नशे में ही होती जब होटल वापस पहुँचते तो मैं उसे सहारा देकर सीधा अपने कमरे में ले जाता और जब रात को पैसेज में कोई नहीं होता तो मैं अमित के कमरे में चला जाता और अमित सोनिया के कमरे में आ जाता। किसी दिन हम ऐसी जगह घुमने जाते जहाँ एकांत हो तो अमित वहाँ पर सोनिया का इंतज़ार करते हुए मिलता। मैं सोनिया को अमित के पास छोड़ कर पास में ही कहीं टहल कर अपना समय व्यतीत करता।
ये सब कुछ छः दिनों तक चला पर एक रात मैं हैरान रह गया। मैं अपने कमरे में गहरी नींद सोया हुआ था कि अचानक मैंने कमरे में सोनिया के सैंडलों की खटखटाहट सुनी। वो नशे में झूमती हुई आयी और मेरे बगल में आकर मेरे पास लेट गयी।
सोनिया मेरे पास लेटकर मेरे लंड से खेलने लगी। जब मैं नींद से जगा तो उसने मुझे सीधा किया और मेरे चेहरे पर बैठ कर अपनी चूत मेरे मुँह से लगा दी।
“मेरी चूत को चूसो राजऽऽऽ। खूऽऽब जोरसे चूसो। आज अमित ने मेरी चूत नहीं चूसी। अब एक अच्छे पति की तरह मेरी चूत को खूब चूसो और चाटो।”
खैर मैं क्या करता, इसी काम के लिये तो मुझे किराये पर रखा गया था और वैसे भी मैं पहले से जानता था कि ये सब तो होना ही था। मैं जोरों से सोनिया की चूत को चूसने और चाटने लगा। पता नहीं क्यों आज मुझे उतना मजा नहीं आ रहा था जितना कि मुझे अपनी सुहागरात को सोनिया की चूत चूसने में आया था। शायद इसलिये की वो अभी-अभी अमित से चुदवा कर आ रही थी।
हमारा पंद्रह दिन का हनीमून किसी भी विवाद के बिना खत्म हो गया। हम वापस घर आ गये। मैं हमेशा की तरह अपने काम पर जाने लगा। मुझे इस बात की परवाह नहीं थी कि मेरे स्टाफ में सब लोग क्या कहेंगे कि मैंने तरक्की के लिये कंपनी की बॉस से शादी कर ली। मुझे अपना काम पसंद था और मैं दिल लगा कर अपना काम करने लगा। सभी लोग मेरे काम की तारीफ़ भी किया करते थे।
कुछ नहीं बदला था, ना तो कंपनी का माहौल, ना काम। सिर्फ़ बदला था तो मेरा कंपनी पहुँचने का तरीका। अब मैं सोनिया के साथ उसकी गाड़ी में ऑफिस पहुँचता। दोपहर को हम खाना साथ खाते और शाम को साथ ही घर पहुँचते। जब घर पहुँचते तो अमित वहाँ इंतज़ार करते हुए मिलता। हम तीनों साथ-साथ खामोशी से खाना खाते। मैंने आज तक अमित से बात नहीं की थी, बल्कि सही कहूँ तो मैं उसे नज़र-अंदाज़ सा ही करता था। खाने के बाद मैं अपने कमरे में आ जाता या फिर स्टडी-रूम में चला जाता जहाँ मैंने अपना छोटा सा ऑफिस बनाया हुआ था। सोनिया अमित के साथ अपने कमरे में चली जाती।
इसी तरह एक हफ़्ता गुज़र गया। अमित और मेरे बीच खामोश युद्ध सा चल रहा था। फिर एक दिन वही हुआ जिसका मुझे अंदाज़ा था। उसने वही किया जो मैंने पहले से सोच रखा था। खाने के बाद जब सोने का समय हुआ तो उन दोनों ने काफी शराब पी रखी थी। अमित ने मुझे घूरते हुए कहा, “राज, हम सोने जा रहे हैं, सुबह मिलेंगे। मैं तुम्हारी बीवी को उपर कमरे में ले जा रहा हूँ और आज मैं उसकी चूत का बैंड बज़ा दूँगा। तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा ना?”
दूसरी सुबह ऑफिस जाते वक्त सोनिया ने मुझसे अमित के व्यवहार के लिये माफ़ी माँगी।
“माफ़ी माँगने की कोई बात नहीं है सोनिया, मैं तो ये सब पहले से ही जानता था। मैंने जैसा सोचा था उसने वैसे ही व्यवहार किया। मुझे कोई तकलीफ़ नहीं हुई। पर हाँ, अब तुम दूसरा वादा पुरा करो जो तुमने किया था, मुझे भी अपनी सैक्स लाइफ़ चाहिये।”
“ठीक है, ऑफिस पहुँचते ही मैं सब इंतज़ाम कर दूँगी।” सोनिया ने मेरा हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा।
दोपहर को खाना खाते समय सोनिया ने मुझसे कहा, “राज सब तय हो चुका है, जिस लड़की को तुमने चुना था वो कल से आ सकती है। पर वो सिर्फ़ दिन में ही आ सकती है इसलिये कल से तुम खाना घर पर खाना। ऑफिस में बहाना बना दूँगी कि तुम किसी मिटिंग में व्यस्त हो या फिर किसी क्लायंट के साथ लंच पर गये हो। मैं बस ये चाहती हूँ कि ये सब एक राज़ रहे।”
“लगता है मुझे भी कहानी सोच कर रखनी होगी, कहीं उस लड़की ने मुझसे ये पूछ लिया कि एक नये शादी शुदा पति को किराये की लड़की की क्या जरूरत पड़ गयी तो? अगर मैं उसे ये कह दूँ कि तुम्हें मर्दों में कम और लड़कियों में ज्यादा दिलचस्पी है तो कैसा रहेगा?”
मेरी बात सुनकर सोनिया हँस दी, “राज मैं तुमसे कहीं आगे हूँ। जिस दिन तुमने उस लड़की को चुना था मैंने अगले दिन ही उससे मुलाकात कर ली थी। मैंने उससे कहा था कि मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ पर किसी खास बिमारी की वजह से मैं उनके साथ सैक्स नहीं कर सकती इसलिये मुझे उसकी मदद की जरूरत है। मैंने उससे कहा कि मुझे पता है कि उसकी भी कुछ जरूरतें है जिसे मैं पूरा कर सकती हूँ।”
सोनिया थोड़ा सा झुकी और मेरी जाँघों को थपथपाते हुए कहा, “राज, वो काफी सुलझी हुई लड़की है और उसे उसके काम के लिये मैंने मुँह माँगी कीमत दी है, देखना मेरा पैसा व्यर्थ ना जाने पाये।”
उस रात जब मैं सो चुका था तो सोनिया मेरे कमरे में आयी और मेरे लंड से खेलने लगी। मैं अपनी आँख मलते हुए उठा तो मैंने उसे कहते सुना, “राज, मेरी चूत बह रही है, इसे जोर जोर से चूसो राज। मेरी रसीली चूत का सारा पानी पी जाओ।”
दूसरे दिन मैं खाने के वक्त घर पहुँचा तो सादिया सोफ़े पर बैठी कोई मैगज़ीन पढ़ते हुए सिगरेट पी रही थी। उसे देखते ही मेरे लंड में सनसनाहट होने लगी। उसने शिफॉन की प्रिंटेड साड़ी बहुत ही सैक्सी तरीके से नाभि के बहुत नीचे बाँधी हुई थी और उसका मैचिंग चोली-नुमा ब्लाऊज़ बहुत ही छोटा सा था और पैरों में बहुत ही खूबसूरत हाई हील सैंडल पहने हुए थे। साथ ही उसने उपयुक्त शृंगार किया हुआ था। जैसे ही मैं हॉल में घुसा, उसने चौंकते हुए मेरी तरफ़ देखा, “राज, तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो?”
“क्या तुम्हें पता नहीं?” मैंने कहा।
“मुझे क्या पता नहीं?” उसने ऐशट्रे में सिगरेट बुझा कर सोफ़े पर से खड़े होते हुए पूछा।
“यही कि तुम्हें मेरे लिये ही बुलाया गया है।”
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ये एक ऐसा वाक्या था जो कोई भी वर्मा इंटरनैशनल में सुनना पसंद नहीं करता था। इसका सीधा मतलब था कि आज से आपका वजूद एक इतिहास बनने वाला है। सोनिया वर्मा का ये मानना था कि वो खुद अपने हर कर्मचारी को खराब खबर सुनाना पसंद करती थी बजाय अपने किसी अधिकारी के ज़रिये। पिछ्ले कईं सालों से वर्मा इंटरनैशनल का कारोबार धीमा पड़ता जा रहा था। खर्चों को कम करने के हिसाब से वो अपने कर्मचारियों में कटौती करते आ रहे थे। मैं समझ गया कि आज मेरा नंबर है, मुझे फिर इंटरव्यू की लाईन में खड़ा होना पड़ेगा।
मैंने सोनिया वर्मा के प्राइवेट केबिन के दरवाज़े पर दस्तक दी।
“कम इन,” मुझे सोनिया की आवाज़ सुनायी दी।
मैंने दरवाज़े को धकेला और उसके ऑफिस में कदम रखा। सोनिया अपनी मेज़ से उठ कर मेरे पास आयी और अपना हाथ मुझसे मिलाने के लिये आगे बढ़ा दिया। उसे देख कर हर बार की तरह फ़िर मेरे शरीर में एक झुरझुरी सी फ़ैल गयी। वही सुंदर चेहरा, गोरा बदन और फ़िगर के तो क्या कहने, ठीक किसी मॉडल की तरह। काले बिज़नेस स्कर्ट-सूट और उससे मेल खाते काले हाई-हील सैंडलों में उसका व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली लग रहा था।
“हाय राज कैसे हो? अच्छा लगा तुमसे मिलकर, बैठो।” उसने अपने मधुर स्वर में कहा।
हाथ मिलाने के बाद वो अपनी मेज़ के पीछे की कुर्सी पर बैठ गयी और मैं उसके सामने की कुर्सी पर। मेरे बैठते ही उसने अपने सामने फ़ोल्डर को खोला और कुछ पढ़ने लगी, फ़िर उसने मेरी तरफ़ देखा और फ़िर फ़ाइल को पढ़ने लगी।
“राज तुम हमारी कंपनी में कितने सालों से काम कर रहे हो?” उसने पूछा।
“लगभग दस साल से, अपने हाइस्कूल के ठीक बाद ही मैंने आपके पिताजी के साथ काम करना शुरु कर दिया था,” मैंने जवाब दिया।
“बड़ी मुश्किल हुई होगी तुम्हें, दिन भर ऑफ़िस में काम करना फिर रात को कॉलेज में पढ़ना?” सोनिया ने कहा।
“इतना आसान तो नहीं था मिस वर्मा, पर आपके पिताजी ने मेरी काफी मदद की इस विषय में,” मैंने कहा।
“हाँ मुझे पता है। वो अपनी दिल की बात ज़ुबान पर नहीं ला पाये नहीं तो हमेशा उन्होंने तुम्हें अपने बेटे की तरह माना था। पिताजी ने तुम्हें तुम्हारी पढ़ाई के लिये उधार भी दिया था जिसे उन्होंने तुम्हारी ग्रैज्युएशन का तोहफ़ा कहकर माफ़ कर दिया था। ऐसा उन्होंने क्यों किया राज?” सोनिया बोली।
“मुझे पता नहीं,” मैंने जवाब दिया।
“तुम्हें पता है राज और मुझे भी पता है। तुमने ऐसा क्यों किया राज? तुमने उस झमेले में अपनी गर्दन क्यों फ़ंसायी?” सोनिया ने कहा।
“आपके पिताजी बहुत ही ही अच्छे इंसान थे मिस सोनिया, और मैं नहीं चाहता कि कोई रंडी उनकी ज़िंदगी बरबाद कर दे,” मैंने जवाब दिया।
“क्या तुम्हारी पढ़ायी के लिये पैसे देना फ़िर इनाम में माफ़ कर देना उसकी कीमत थी?” सोनिया ने पूछा।
“नहीं मैडम ऐसा नहीं था। आपके पिताजी मुझे पहले ही उधार दे चुके थे और उसे मेरी डिग्री का तोहफ़ा कह कर माफ़ कर चुके थे। और ये वो एक कारण था जिसके लिये मैंने सब कुछ किया। उन्हें मेरी मदद करने की जरुरत नहीं थी, उन्होंने जो कुछ किया अपने दिल से किया, और कोई भी इंसान ये सब सहन नहीं कर सकता कि कोई पैसे की भूखी रंडी किसी ऐसे अच्छे इंसान के साथ ये सब करे,” मैंने कहा।
“तुम खुशनसीब हो कि उस समय डी-एन-ए टेस्ट का चलन नहीं था, अगर होता तो तुम्हारी कहानी हवा हो गयी होती,” सोनिया बोली।
“ऐसी बात भी नहीं थी, पचास-पचास प्रतिशत संभावना थी कि मेरी कहानी हर हाल में सच साबित हो जाती।” मैंने जवाब दिया।
“तुमने और पिताजी ने मिलकर ये सब किया?”
“मुझे नहीं पता कि आपके पिताजी ने क्या किया, पर मेल-रूम के आधे से ज्यादा कर्मचारी ये कर सकते थे। उनमे से कोई भी उसके बच्चे का बाप हो सकता था,” मैंने कहा।
“फिर भी ऐसी क्या बात थी जो तुमने उसके खिलाफ़ गवाही दी। जब उसने कहा कि मेरे पिताजी ने उसे गर्भवती बनाया है, पर उसने तुम्हें बताया था कि वो बच्चा मेरे पिताजी का नहीं है, वो तो सिर्फ़ पैसो के लिये ऐसा कह रही है,” सोनिया ने कहा।
“इमानदारी और नमक हलाली और कुछ नहीं,” मैंने जवाब दिया।
“पर मैंने सुना है तुम पुराने ख्यालातों के हो?” सोनिया ने कहा।
“जहाँ तक मेरा सवाल है, इमानदारी और नमक-हलाली वक्त के साथ नहीं बदलती मैडम!” मैंने जवाब दिया।
“क्या ऐसा हो सकता है कि जो इमानदारी और नमक-हलाली तुमने मेरे पिताजी के साथ दिखायी थी वो उनकी आगे की पिढ़ियों के साथ भी कायम रह सकती है?” सोनिया ने प्रश्न भरी नज़रों से मुझसे कहा।
“आपके कहने का मतलब क्या है, मैं कुछ समझा नहीं?” मैंने पूछा।
“इतना ही राज!! क्या तुम वो ही इमानदारी और नमक-हलाली मेरे साथ निभा सकते हो?” सोनिया ने कहा।
“मिस वर्मा, मैं अभी भी आपकी बातों का मतलब नहीं समझा,” मैंने कहा।
“राज मैं काफी मुसीबत में हूँ और मुझे एक ऐसा इंसान चाहिये जो मुझे इस मुसीबत से बाहर निकाल सके,” सोनिया थोड़े दुखी स्वर में बोली।
“मिस वर्मा मुझसे जो हो सकेगा मैं करुँगा,” मैंने कहा।
“हो भी सकता है और नहीं भी राज! सबसे पहले तो तुम ये समझ लो कि तुम्हें काफी जिल्लत से गुज़रना होगा, ऐसा भी वक्त आ सकता है कि तुम मुझसे नफ़रत करने लगो। आज रात का खाना मैं तुम्हारे साथ खाना चाहुँगी राज, जहाँ हमारी बातों को कोई सुन नहीं सके, वरना दीवारों के भी कान होते है ये मैंने सुना है। क्या मैं तुम्हें आज रात सात बजे पिक कर लूँ? सोनिया ने कहा।
“हाँ क्यों नहीं, मैं आपको मेरे घर का पता दे देता हूँ,” मैंने कहा।
“इसकी जरुरत नहीं है राज, मुझे पता है तुम कहाँ रहते हो।”
शायद इन बातों के दौरान मेरे चेहरे पर अजीब भाव आ गये होंगे। “थोड़ा इंतज़ार करो राज, आज की रात तुम्हें तुम्हारे हर प्रश्न का जवाब मिल जायेगा।”
थोड़ा सा इंतज़ार करो। उसके लिये कहना आसान था पर मेरे लिये नहीं। उसे कैसे पता कि मैं कहाँ रहता हूँ। दीवारों के भी कान होते हैं - इस बात का क्या मतलब है, वो मुझसे क्या चाहती है, इन ही सब ख्यालों में खोया मैं अपने केबिन में बैठा था। मैं इन ही ख्यालों में खोया था और अपने काम पर भी ध्यान नहीं दे पा रहा था। मेरे दिमाग में यही घूम रहा था कि आज की रात खाने पर वो मुझसे क्या कहेगी।
और वह घड़ी आयी। सोनिया मुझे लेने आयी। हमेशा की तरह मैं उसे देखता ही रह गया। कमर तक लंबे खुले हुए उसके काले घने बाल, मदहोश कर देने वाली आँखें, आकर्षक स्कर्ट-टॉप और उससे मेल खाते उँची हील के सैंडल। मैं एक आह भर कर गाड़ी में बैठ गया और हम गाड़ी में बात करने लगे।
“राज मैं चाहती हूँ कि तुम मुझसे शादी कर लो!” सोनिया ने कहा।
सोनिया की बात सुनकर मेरा शरीर पत्थर सा हो गया। मुझे उससे इस बात की उम्मीद नहीं थी। बड़ी मुश्किल से मैंने अपने आपको संभाला और गहरी साँस लेने लगा।
“राज आज की रात मैं तुम्हें सब कुछ बता दूँगी और मुझे उम्मीद है कि जो भी बातें हम दोनो के बीच होंगी उसे तुम राज़ ही रखोगे। जो मैं तुमसे कह रही हूँ तुम मानो या ना मानो ये तुम्हारी मर्ज़ी है, मैं तो सिर्फ़ तुम्हारे और मेरे पिताजी के संबंधों को देखते हुए तुमसे ये कह रही हूँ। क्या तुम्हें पता है कि उन्होंने अपनी वसियत में लिख रखा है कि तुम हमेशा वर्मा इंटरनैशनल के लिये काम करोगे। इसका मतलब है कि कोई भी तुम्हें ना तो नौकरी छोड़ने के लिये कह सकता है और ना ही तुम्हें रिटायर कर सकता है,” सोनिया ने कहा।
“मुझे इस बात की जानकारी नहीं है,” मैंने कहा।
“तुम्हें जानने की जरुरत भी नहीं है, मैं तुम्हें ये बात सिर्फ़ इसलिये बता रही हूँ कि जो मैं तुमसे माँगने जा रही हूँ, अगर तुम उस बात से इंकार करते हो तो तुम्हें तुम्हारी नौकरी का कोई डर ना हो। क्या तुम ऐसा कर सकते हो राज? क्या तुम मुझसे एक वादा कर सकते हो? आज की रात तुम चाहो जो फ़ैसला करो, पर जो बातें मैं तुम्हें बताने जा रही हूँ वो सिर्फ़ तुम्हारे और मेरे बीच रहेंगी,” सोनिया ने कहा।
“ये बात आप पहले से जानती हैं मिस वर्मा, वरना मैं आज यहाँ आपके सामने ना बैठा होता,” मैंने कहा।
“हालातों को देखते हुए मुझे लगता है राज कि तुम मुझे सोनिया नाम से पुकारो तो ज्यादा अच्छा रहेगा। लो हम पहुँच गये,” सोनिया ने गाड़ी एक रेस्तोराँ के सामने रोकी। हम ने अंदर जा कर ड्रिंक्स ऑर्डर किये। सोनिया ने अपने पर्स में से सिगरेट निकाली और मुझे भी ऑफर की।
“राज, जैसे ही तुम्हारे गले के नीचे पहला पैग जायेगा तुम पर मैं एक बिजली सी गिराने वाली हूँ।” सोनिया ने सिगरेट का कश लेते हुए कहा। मेरे चेहरे पे आये भावों ने उसे मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया। वो भी अपना पैग पीने लगी और फिर बोली, “मैं जानती हूँ आज सुबह से तुम्हारे दिमाग में हज़ारों प्रश्न घूम रहे थे, पर मैं शर्त लगा सकती हूँ कि तुम्हें मुझसे ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी।”
“हाँ मैडम! मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि आप मुझे ये कहेंगी,” मैंने धीरे से सिगरेट का कश लेते हुए कहा।
“राज मैंने तुमसे कहा था कि मेरा नाम सोनिया है..... तो कैसा लगा तुम्हें मेरा प्रस्ताव?” सोनिया मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली। उसका पैग खत्म हो चुका था और वेटर आ कर उसके लिये दूसरा पैग रख गया।
“अगर सच कहूँ तो मुझे डर सा लग रहा है, और मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है।”
“मैं तुम्हें साफ़-साफ़ बताती हूँ, आर्थिक कारणों से मुझे पति की सख्त जरुरत है, और मेरी अपनी मजबूरी है कि जिससे मैं प्यार करती हूँ वो मुझसे फ़िलहाल शादी नहीं कर सकता” सोनिया ने जवाब दिया और अपने ड्रिंक का सिप लिया।
“माफ़ करना मैडम, मेरी समझ में अब भी आपकी बात नहीं आयी,” मैंने कहा।
“मैं तुम्हें ये तो नहीं बता सकती कि मैं अपने प्रेमी से क्यों शादी नहीं कर सकती पर बाकी की सब बातें तुम्हें बताती हूँ। मेरे पिताजी ने अपनी वसियत कुछ अजीब किस्म की लिखी है, ऐसा उन्होंने क्यों किया ये वो ही जानते है.... शायद मेरे चालचलन की वजह से उन्हें मुझ पर उतना भरोसा नहीं था....” कहते हुए सोनिया बीच में रुकी और अपने पैग का बड़ा सा घूँट पी कर सिगरेट के कश लेने लगी।
“आपका चालचलन....?” मैंने जिज्ञासा पूर्वक पूछा।
“हाँ.... उन्हें मेरा स्वच्छंद लाईफ स्टाईल पसंद नहीं था.... यही शराब-सिगरेट पीना, देर रात पार्टियों से नशे में घर लौटना.... और फिर जब मैं कॉलेज में थी तो ड्रग्स भी लेने लगी थी और तब पिताजी ने मुझे ड्रग्स कि लत छुड़ाने के लिये एक क्लिनिक में तीन महिनों के लिये अमेरिका भी भेजा था।” सोनिया ने बताया और वेटर को तीसरा पैग लाने के लिये इशारा किया। मैं तो ये जानने की जिज्ञासा में कि वो मुझसे क्या और क्यों चाहती है, अपनी पहली ही ड्रिंक नहीं खत्म कर पाया था।
“हाँ तो मैं कह रही थी कि पिताजी ने अपनी वसियत में लिखा है कि तीस साल की उम्र तक अगर मैंने शादी नहीं की तो सारी दौलत अलग-अलग धर्म संस्थानों को दान में दे दी जायेगी। सारी दौलत तीन हिस्सों में बाँटी गयी है जिनके तीन ट्रस्टी हैं। ये दौलत मुझे मेरी शादी पर मुझे मिल जायेगी,” अपनी सांसो को काबू करते हुए सोनिया ने कहा और एक और सिगरेट सुलगा ली।
थोड़ी देर अपनी बातों को रोक ग्लास को टेबल से उठा कर ड्रिंक पीने लगी। उसकी आँखों में गहरी चिंता और परेशानी साफ़ नज़र आ रही थी। उसने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “सात महीनों में मैं तीस साल की हो जाऊँगी। जिससे मैं प्यार करती हूँ वो किसी कारण वश मुझसे शादी नहीं कर सकता और मैं अपनी दौलत को अपने हाथ से जाने नहीं दे सकती। अपनी दौलत बचाने के लिये मुझे एक पति की जरुरत है, पर पति भी कुछ खास किस्म का होना चाहिये।” सोनिया ने अपने पैग का सिप लिया और एक कश लेकर बोली, “राज तुम ध्यान से सुन रहे हो ना मैंने क्या कहा?”
“हाँ मैं सुन रहा हूँ, आप आगे कहें,” मैंने ने कहा।
“तो मुझे एक खास पति चाहिये जो अच्छी तरह समझ ले कि वो सिर्फ़ नाम का ही मेरा पति होगा। जिस्मानी रिश्ता बहुत कम होगा और अगर होगा तो भी एक तरफ़ा होगा। वो ये भी अच्छी तरह समझ ले कि उसका प्रत्यक्ष रूप में काफी अपमान होगा। वैसे अपमान सिर्फ़ दिखावे का होगा जिससे वो पाँच साल बाद मुझसे तलाक ले सके। और इन पाँच सालों में उसे मुझे माँ बनाकर बाप भी बनना होगा। क्या तुम ये काम करने को तैयार हो राज?” सोनिया ने कहा।
“अभी कुछ तय नहीं कर पाया हूँ, आप आगे बतायें कि मुझे क्या मिलेगा ऐसा करके?” मैंने पूछा।
“ठीक है मैं तुम्हें बताती हूँ। तुम्हारे नाम से किसी बैंक में पचास लाख रुपये जमा करा दिये जायेंगे। पर पाँच सालों तक तुम उस रकम को नहीं पा सकते। तुम मेरे साथ रहोगे, और मैं तुम्हारे हर खर्चे का भुगतान करुँगी। तुम्हें घर, गाड़ी जो तुम चाहो, जिस क्लब की मैंबरशिप चाहो, मिलेगी। जेब खर्च के लिये तुम्हें बीस हज़ार रुपये महिना मिला करेंगे। इसके बदले में तुम्हें ये वादा करना होगा कि तुम हमेशा मेरे साथ इमानदार पति बन कर रहोगे। अब अच्छा लग रहा है सुनकर?” सोनिया ने कहा। उसका तीसरा पैग खत्म हुआ और तब तक मेरा पहला ही खत्म हुआ था। उसने हम दोनों के लिये और एक-एक पैग का ऑर्डर दिया। उसकी आँखों में मैं नशा चढ़ते देख सकता था।
“हाँ अच्छा तो लग रहा है, पर कुछ परेशानियाँ हैं।”
“और वो क्या है?” सोनिया ने पूछा।
“तुमने कहा कि हम दोनों में जिस्मानी रिश्ता कम से कम रहेगा और मुझे पत्नि-व्रत बन कर रहना होगा। अब इस उम्र में मैं चुदाई के बिना नहीं रह सकता,” मैंने कहा।
“अगर तुम्हारी चुदाई वाली समस्या का मैं कोई इंतज़ाम कर दूँ तो कैसा रहेगा?” सोनिया ने कहा।
“जो सब तुमने कहा वो सुनने में तो अच्छा लग रहा है, पर दूसरी अड़चनें भी हैं, जैसे मेरा आत्म सम्मान! तुमने कहा कि मुझे अपमान सहन करना होगा, मैं जानना चाहता हूँ कि कहाँ तक?” मैंने पूछा।
“तुम्हें कोई जिस्मानी अपमान या नुकसान नहीं पहुँचने वाला। हाँ बोलने से जरूर अपमान होगा जिससे हमें तलाक लेने में आसानी हो,” सोनिया ने कहा।
“फिर भी कुछ चीज़ें है जिसका मैं खुलासा करना चाहुँगा” मैंने कहा।
अपना पैग पीते हुए सोनिया प्रश्न भरी नज़रों से मुझे देखने लगी। वो सोच में पड़ गयी। मैंने उसके दिमाग की हालत देख कर कहा, “ठीक है अगर तुम्हें मेरी कुछ शर्तें मंज़ूर हों तो मैं ये काम करने के लिये तैयार हूँ।”
“और वो क्या है?” सोनिया ने पूछा।
“हम दोनो के बीच एक लिखित करार नामा बनेगा, जिसमें तुम सब सच-सच लिखोगी। उसमें ये लिखा होना चाहिये कि पाँच साल बाद मुझे पचास लाख रुपये मिल जायेंगे, और अगर किसी कारण वश हमारे बीच ये समझौता पाँच सालों तक नहीं चलता तो भी मुझे ये रकम मिलेगी और उसमें मेरी कोई गलती नहीं होगी, बोलो मंजूर है?
सोनिया थोड़ी देर तक मेरी आँखों की गहराइयों में झाँकती हुई सिगरेट के कश लेती रही और फिर बोली, “ठीक है, मुझे मंजूर है,” और उसने अपना हाथ मिलाने के लिये आगे बढ़ा दिया।
वैसे तो ये सब एक आसान काम साबित हुआ, पर अटपटा भी। उसका प्रेमी एक निहायत ही काईयाँ किस्म का इंसान था। उसका नाम अमित कपूर था। वो किसी कारणवश सोनिया से शादी नहीं कर सकता था, और सोनिया के पिताजी की वसियत के अनुसार सोनिया को तीस साल की उम्र तक शादी भी करनी थी और पैंतिस साल की उम्र तक एक बच्चे की माँ भी बनना था।
सोनिया से शादी करने के बाद मुझे उस उल्लू के पट्ठे अमित को झेलना था। सोनिया की करीबी सहेलियाँ शायद अमित के बारे में जानती थी इसलिये अक्सर उससे पूछा करती थीं कि उसने अमित में ऐसा क्या देखा, पर वो कहावत सच है कि प्यार अंधा होता है।
“राज, मैं जानती हूँ कि कभी-कभी अमित को सहन करना मुश्किल होता है, पर क्या करूँ मैं उससे प्यार भी बहुत करती हूँ। और प्यार में अक्सर ऐसा होता है, है ना राज? और तुम तो खुद ये सब भुगत चुके हो और प्रीती के साथ सहन कर चुके हो। है ना राज?”
“तुम प्रीती के बारे में कैसे जानती हो?”
“मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानती हूँ राज। जिस दिन मैंने तुम्हें अपना किराये का पति बनाने का फ़ैसला किया उसी दिन से तुम्हारे पीछे जासूस लगा दिया था। मैं कोई चाँस नहीं लेना चाहती थी क्योंकि पचास करोड़ दाँव पर है। जब मुझे तुम्हारे और पिताजी के बीच गहरे संबंधों का पता चला तो मुझे लगा कि तुम मेरे काम आ सकते हो। इसलिये मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानना चाहती थी। वैसे एक बात पूछूँ तुम्हें बुरा ना लगे तो, तुम्हें प्रीती से अलग हुए कितना अरसा हो गया?”
“दो साल, ग्यारह महीने, तीन हफ़्ते, दो दिन, तीन घंटे और चालिस मिनट” मैंने जवाब दिया।
“तुमने इतना सब क्यों सहन किया राज?”
“तुम्हीं ने तो कहा कि प्यार अंधा होता है और इंसान प्यार में बहाने तो ढूँढ ही लेता है। अगर उसने अपने किसी प्रेमी के लिये बेवफ़ाई की होती तो शायद मैं उसे माफ़ कर देता पर अपने सगे पिता और भाई के साथ। ये मैं कैसे सहन कर लेता इसलिये उसकी ज़िंदगी से दूर हट गया।”
“तो फिर क्या सोचा राज तुम मेरा ये काम करोगे ना?” सोनिया ने सिगरेट का धुँआ उड़ाते हुए पूछा।
“हाँ करुँगा,” मैंने कहा, “पर ये तुम्हें खुलासा करना होगा कि कम से कम जिस्मानी संबंध और एक तरफ़ा का क्या मतलब है?”
“अच्छा वो?”
“हाँ वो।”
“मैं अमित से बहुत प्यार करती हूँ और उसके प्रति पूरी तरह वफ़ादार रहना चाहती हूँ। उससे मिलने से पहले मेरे कईं लोगों से शारिरिक संबंध थे पर जब से अमित मेरी ज़िंदगी में आया है, तब से मेरे ताल्लुकात सिर्फ उसके साथ ही रहे हैं। शादी के बाद हम दोनों एक बार जरूर साथ में सोयेंगे जिससे शादी पर मोहर लग सके फिर उसके बाद जब बच्चे का वक्त आयेगा तभी जिस्मानी संबंध बनायेंगे। मेरी अपनी कुछ जिस्मानी जरूरते हैं जिसे पूरी करने से अमित इंकार करता है। उन जरुरतों को पुरा करने के लिये तुम मेरी मदद करोगे... इसके लिये वो तैयार हो गया है। वो इसे बेवफ़ाई नहीं मानता है बल्कि कुछ खास परिस्थितियों में एक समझौता समझ सकता है।” सोनिया ने कहा। उसकी आवाज़ में भी अब नशा ज़ाहिर हो रहा था पर मैं उसे और पीने से कैसे रोक सकता था।
“और वो खास परिस्थितियाँ क्या हैं?” मैंने पूछा।
“क्या अभी सब बताना जरुरी है राज?”
“सब सच-सच बताना होगा सोनिया! मैंने पहले ही कहा था। फिर बाद में या पहले तुम्हें बताना तो पड़ेगा ही तो फिर आज क्यों नहीं,” मैंने कहा।
“मुझे अपनी चूत चुसवाने में बहुत मज़ा आता है, पर अमित ऐसा करने से मना करता है, पर तुम अगर मेरी चूत चूसो तो उसे कोई ऐतराज़ नहीं है... सिर्फ़ इतना कि कभी-कभी वो तुम्हें ऐसा करते देखना भी चाहेगा” सोनिया ने कहा।
“जो तुम कह रही हो उसके बारे में तुमने अच्छी तरह सोच लिया है ना?”
“हाँ राज मैंने सोच लिया है, फिर तुम्हें क्या फ़र्क पड़ता है। प्रीती जब दूसरे मर्दों से चुदवाकर आती थी तब तुमने कई बार उसकी चूत चुसी होगी। पर उस वक्त कोई खज़ाना तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर रहा था, पर इस बार पचास लाख रुपये तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। सोचो जरा थोड़ी सी चूत चूस कर तुम ये हासिल कर सकते हो। मैं तुमसे वादा करती हूँ कि तुम्हें चूत की कमी नहीं होने दूँगी। सिर्फ़ वो मेरी नहीं किसी और की होगी” सोनिया ने कहा।
मैं मन ही मन सोचने लगा। मेरी उम्र छब्बीस की होने वाली है, और चूत चूसने से अगर पचास लाख रुपये मिलते हैं तो बुराई क्या है। इतने रुपये से मेरी बाकी की ज़िंदगी आराम से कट सकती है। मैं सिगरेट पीता हुआ सोनिया को घूरता रहा और फिर कहा, “मेरी तीन शर्तें होंगी... एक, लिखित समझौता होगा। दूसरा तुम चाहे जिसका इंतज़ाम करो मुझे चूत मिलती रहेगी और आखिरी और अहम शर्त हमारी सुहागरात सिर्फ़ मेरी होगी सिर्फ़ मेरी! बोलो मंजूर है?” मैंने कहा।
“ये सुहागरात वाली बात से तुम्हारा क्या मतलब है?”
“दो बातें हैं। जैसे तुमने कहा कि तुम्हारा प्रेमी मुझे तुम्हारी चूत चूसते देखना चाहता है। पर उस रात नहीं! मैं नहीं चाहता कि उस रात वो तुम्हारे पास भी फ़टके। दूसरी बात वो रात मेरी होगी, पूरी तरह से मेरी। ऐसा नहीं हो कि आधे घंटे में चुदाई खत्म करो और फ़ुटो। उस रात मैं अच्छी तरह और हर तरह से तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूँ, तुम्हें मेरा लंड भी चूसना होगा और गाँड भी मरवानी होगी” मैंने कहा।
“मैं ऐसा नहीं कर सकती राज, ये अमित के साथ बेवफ़ाई होगी।”
“तुम कर सकती हो सोनिया। तुम पहले ही मान चुकी हो कि सुहागरात को हम चुदाई करेंगे वो समझौता है बेवफ़ाई नहीं। फिर समझौता थोड़ी देर का हो या पूरी रात का, क्या फ़र्क पड़ता है एक ही बात है।”
“नहीं राज मैं नहीं कर सकती, ये गलत होगा।”
“सोच लो सोनिया या तो हाँ या फिर तुम किसी और को ढूँढ लो।”
“इतनी छोटी सी बात के लिये तुम पचास लाख रुपये छोड़ने को तैयार हो।”
“और तुम पचास करोड़ खो दोगी।” मैंने कहा।
“मैं किसी और को भी तैयार कर सकती हूँ, तुम ये बात जानते हो राज।”
“हाँ तुम कर सकती हो।” कहकर मैंने टेबल पर मेनू कार्ड उठाया और वेटर को आवाज़ दी।
“राज विषय को बदलो मत।”
“मैं कोई विषय को नहीं बदल रहा। हम यहाँ कोई बात करने आये थे, मैंने अपनी शर्त तुम्हें बता दी और तुमने उसे नकार दिया तो मैंने समझा कि हमारी बात पूरी हो गयी। हम यहाँ खाना खाने आये थे सो वेटर को खाने का ऑर्डर दे रहा था जिससे बाद में मैं टैक्सी पकड़ कर घर जा सकूँ और तुम्हें मुझे छोड़ने की जहमत ना उठानी पड़े” मैंने कहा।
“पर तुम इस एक बात पर क्यों अड़े हुए हो? ऐसी क्या खास बात है इसमें?” सोनिया ने कहा।
“मेरी मानसिक हालात के लिये बहुत जरुरी है, सोनिया।”
“ये तो कोई बात नहीं हुई राज।”
“तुम्हारे लिये नहीं होगी पर मेरे लिये ये बहुत जरुरी है।”
“क्या तुम मुझे जरा खुल कर समझा सकते हो।”
“बड़ी सीधी सी बात है सोनिया। तुमने मुझे पहले ही बता दिया है कि मुझे आने वाले पाँच साल तुम्हारे उस बद-दिमाग प्रेमी को झेलना होगा। मैं कोई बेवकूफ़ नहीं हूँ, आने वाले पाँच सालो की कहानी मैं अभी लिख सकता हूँ। पहले तो वो मुझे चिढ़ायेगा कि मैं अपनी पत्नी को नहीं चोद रहा हूँ बल्कि वो हर रात मेरी पत्नी को चोदता है। जब वो तुम्हें चोद रहा होगा तो मुझे बगल के कमरे में इंतज़ार करना होगा कि कब वो तुम्हारी चुदाई खत्म करे और मैं आकर तुम्हारी चूत को चूसूँ। इसी तरह वो मुझे चिढ़ाकर अपमानित करता रहेगा।”
“उसके हर अपमान पर मैं मुस्कुरा कर उसका जवाब दूँ एक गधे की तरह, नहीं! मैं ये सहन नहीं कर सकता। हाँ मैं करुँगा पर जब मैं उसे देखूँ तो मन ही मन कह सकूँ कि देख मैंने तेरी प्रेमिका की चूत चोदी है, उसके मुँह में अपना पानी छोड़ा है, उसकी गाँड की तो धज्जियाँ उड़ा दी हैं। उसके गर्भ में मेरा बीज है जिससे वो माँ बनने वाली है,” मैंने कहा, “जैसा मैंने कहा सोनिया... ये मानसिक लड़ाई है जो मेरे लिये जरुरी है, फिर तुम्हारा कुछ जाने वाला नहीं है, वैसे भी उस रात तुम मेरे साथ चुदाई करने को तैयार हो तो क्या फ़र्क पड़ता है।”
“राज, मुझे ऐसा लग रहा है कि मुझे एक बार फिर सोचना पड़ेगा। चलो खाने का ऑर्डर देते है, भूख लगी है” सोनिया ने अपना पैग खत्म करते हुए कहा।
खाना खाने के बाद जब हम उठे तो सोनिया नशे में झूम रही थी। मैंने टैक्सी लेने का सुझाव दिया तो उसने मुझे टैक्सी नहीं बुलाने दी। वो बोली कि सालों से वो रात को ड्रिंक करके ड्राईव करती रही है। फिर उसने ज़िद्द करके मुझे भी घर तक छोड़ा। जब मैं गाड़ी से उतर रहा था उसने कहा, “हम फिर बात करेंगे राज पर मुझे सोचने के लिये कुछ वक्त दो।” ये कहकर वो चली गयी।
दो दिन के बाद सोनिया ने मुझे अपने ऑफ़िस में बुलाया और बैठने को कहा। जैसे ही मैं कुर्सी पर बैठा उसने कुछ कागज़ात मेरे सामने रख दिये।
“राज ये एग्रीमेंट जैसे तुमने कहा था वैसे ही बनाया गया है। जहाँ तक हमारी सुहागरात का सवाल है तुम हर वो काम कर सकते हो जो तुम चाहो उसके लिये मैं तैयार हूँ। अब रहा सवाल तुम्हारे लिये किसी पर्मानेंट चूत के इंतज़ाम का तो मैं चाहुँगी कि घर में एक दिखावे की नौकरानी रख ली जाये जिसका असल काम घर की सफ़ाई नहीं बल्कि तुम्हारे लंड की सफ़ाई करना होगा। बाहर वालों को कुछ पता ना चले इसलिये मैं चाहुँगी कि ये सब हमारे घर की चार दिवारी में ही हो। अगर तुम्हें ये मंज़ूर हो तो बोलो।”
सोनिया ने फिर अपना ब्रीफ़केस खोला और उसमें से तीन फोटो एलबम निकाल कर मुझे पकड़ा दिये। “इनमें देखो शायद तुम्हें कोई पसंद आ जाये। जिनके चेहरे पर निशान लगा है वो उपलब्ध नहीं हैं” सोनिया ने कहा।
मैं एलबम में लगी सुंदर औरतों की तसवीरों को देखने लगा। फोटो के साथ-साथ उनके बारे में भी लिखा था। मैं पढ़ने लगा और सोनिया की ओर देख कर मुस्कुरा दिया।
“मेरी एक दोस्त है जो मॉडलिंग एजेंसी के साथ एसकोर्ट एजेंसी भी चलाती है। उसने मुझे आश्वासन दिया है कि जिस काम के लिये मैं पैसे खर्च कर रही हूँ उससे कहीं अच्छा काम इनमें से हर कोई करेगी। इनमें से एक को चुन लो राज, मैं सब इंतज़ाम कर लूँगी। अगर कुछ महीनों बाद तुम्हारा उससे दिल भर जाये तो फिर इनमें से किसी और को चुन सकते हो। तो अब हमारा सौदा पक्का?” सोनिया ने कहा।
जब सोनिया मुझसे ये कह रही थी तब मैं एलबम में लगी फोटो देख रहा था। अचानक मैं एक फोटो को देख कर रुक सा गया और उस फोटो को ध्यान देखने लगा। सादिया मेरे एक दोस्त की पत्नी थी जिसके साथ मैं फ़ुटबॉल खेला करता था, और हमेशा उसे चोदने के सपने देखा करता था।
“इस एलबम की हर औरत पैसे के लिये चुदवाने को तैयार है?” मैंने पूछा।
सोनिया ने अपनी गर्दन हाँ में हिला दी। मैंने उसे एलबम वापस लौटाया, “ये वाली।”
“तो मैं ये समझ लूँ की हमारा सौदा अब पक्का है?”
“हाँ सोनिया मुझे ये सौदा मंजूर है!”
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(भाग-०२)
उस दिन के बाद तो मेरी ज़िंदगी काफी व्यस्त हो गयी। अगले तीन महीने तक हम प्रेम का नाटक करते रहे। फिर उसके बाद हमारी सगाई की तारीख घोषित कर दी गयी। उसके बाद तो जैसे पार्टियों की लाईन लग गयी। कभी कोई दोस्त पार्टी दे रहा है तो कभी कोई बिजनेस से जुड़ा व्यक्ति। उसके बाद शादी की तैयारियाँ और साथ ही हमारे हनीमून की प्लानिंग। एक शाम या रात ऐसी नहीं थी कि मैं और सोनिया किसी पार्टी या होटल में साथ में ना हो। शादी के वक्त तक हमारे प्यार की सच्चाई पर सभी को विश्वास हो चुका था। प्रेस, मेडिया वाले और दोस्त यार सब हमारे प्यार की मिसाल देने लगे।
अभी तक एक शर्त पूरी नहीं हुई थी, वो थी पचास लाख रुपये की। मैंने सोनिया को कई बार याद भी दिलाया और हर बार उसने यही कहा कि तुम चिंता मत करो, हो जायेगा। मैं भी जानता था कि शादी से पहले तो होगा ही वर्ना मैं थोड़े शादी करने वाला था। दो दिन बाद उसने मुझे एक कन्फर्मेशन लेटर थमाया कि मेरे नाम से बैंक में रुपया जमा हो चुका है। अभी तक मेरी मुलाकात सोनिया के प्रेमी अमित कपूर से नहीं हुई थी। शायद शादी तक सोनिया ने उसे अपने आपसे दूर ही रखा हुआ था। शादी वाले दिन मैं भीड़ में उसे ढूँढने लगा। जितना मैंने उसके बारे में सुना था मैं जानता था कि वो इतना कमीना इंसान है कि आये बगैर मानेगा नहीं।
मेरा सोचना कितना सही था। जैसे ही मैं और सोनिया मंडप की ओर बढ़े वो ठीक ऐन सामने आकर बैठ गया। मेरी उसे नज़रें मिली और मैं मुस्कुरा दिया। मैं उसे देख कर अपने आप से कहने लगा, “साले, गधे के बच्चे, तेरी प्रेमिका आज की रात मेरी रंडी बनेगी। तू चाहे जितना खुश हो ले, पर जब भी तू इसे चोदेगा... ये दौड़ कर मेरे पास ही आयेगी कुत्ते के बच्चे।”
शादी की सारी विधी बिना व्यवधान के पूरी हो गयी। पर आखिरी रसम के लिये शायद सोनिया ने अपने आपको तैयार नहीं किया हुआ था जब पंडितजी ने कहा, “अब आप दुल्हन को मंगलसुत्र पहना दीजिये।”
एक बार तो मैंने सोचा कि शायद सोनिया इंकार कर देगी या कुछ बहाना बना देगी पर मुझे क्या पता था कि वो इसकी भी तैयारी करके आयी है। पैसों के लिये रिश्तों और रिवाजों की कहाँ अहमियत होती है। और आने वाले पाँच साल मुझे यही सब भुगतना और सहन करना है।
शादी का रिसैप्शन कोई खास नहीं था। हर रिसैप्शन की तरह लोगों ने हमें बधाई दी और तोहफ़े दिये। फिर वही पीना-पिलाना और खाना-खिलाना। सोनिया ने काफी ड्रिंक कर रखी थी पर ठीक पहले से तय वक्त पर मैं सोनिया को लेकर वहाँ से निकल गया।
रिसैप्शन से ठीक दो किलोमिटर दूर एक गाड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थी।
“राज, ये सब क्या हो रहा है प्लीज़ मुझे बताओ,” सोनिया ने पूछा।
“तुम्हारे लिये एक सरप्राईज है जान, थोड़ा इंतज़ार करो,” मैंने कहा।
मैं अपना सामान कार की डिक्की में रखने लगा। कार का ड्राइवर मेरी मदद करता रहा। सामान रखे जाने के बाद मैंने ड्राइवर को ५०० रुपये दिये और वो कार की चाबी मुझे देकर चल गया।
“राज, ये क्या हो रहा है, किसकी गाड़ी है ये?” सोनिया ने फिर पूछा।
“थोड़ा और सब्र करो, थोड़ी देर में तुम्हें सब पता चल जायेगा,” मैंने कहा।
जैसे ही वो ड्राइवर गया मैंने सोनिया को गाड़ी में बैठने को कहा।
“जब तक तुम मुझे सब कुछ नहीं बताओगे, मैं तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाऊँगी,” सोनिया ने कहा।
“सोनिया गाड़ी में बैठो, जिद्द मत करो। अगर तुम नहीं चली तो तुम्हें यहाँ अकेला सड़क पर छोड़कर मैं चला जाऊँगा। फिर तुम उस हनीमून होटल जाकर सफ़ाई दे देना कि तुम अपने पति के बिना वहाँ क्यों आयी हो,” मैंने थोड़ा गुस्से में कहा।
सोनिया ने इतने गुस्से से मेरी ओर देखा जैसे कि वो मेरा खून ही कर देगी। फिर वो गाड़ी में बैठ गयी।
“पर मुझे बताओ ये सब क्या हो रहा है, और तुम क्या चाहते हो?”
“आराम से सोनिया, ये भी कोई तरीका है अपने पति से बात करने का,” मैंने कहा।
“बकवास बंद करो राज, मैं सब कुछ जानना चाहती हो कि तुम क्या चाहते हो?”
“आसान सी बात है मेरी जान, मैं तुम पर विश्वास नहीं करता। तुमने बड़ी आसानी से मेरी सुहागरात वाली बात मान ली। तुम्हारे दिमाग ने तुमसे कहा कि जो माँग रहा है इस वक्त हाँ कर दो, एक बार शादी हो जायेगी तो तुम अपनी जुबान से मुकर सकती हो। तब तक शादी हो चुकी होगी और राज पैसे के लालच में कुछ नहीं बोलेगा। क्यों मैं सच कह रहा हूँ ना?” मैंने उसकी ओर देखते हुए कहा।
“नहीं राज ये सच नहीं है, मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था।”
“यही सच है सोनिया। जिस तरह से तुमने सब प्लैनिंग की थी मुझे उसी वक्त लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है। हो सकता था की होटल में पहुँचने के बाद तुम अमित के कमरे में चली जाती जो हमारे सामने के कमरे में तुम्हारा इंतज़ार कर रहा होता, या फिर वो चल कर हमारे कमरे के दरवाज़े पर दस्तक दे देता और तुम उसे अंदर बुलाकर हमारा साथ देने की दावत दे देती। हो सकता था कि जो मैंने सोचा वो गलत होता पर ऐसा हुआ नहीं। मैंने तुम्हें अमित से आँख मिलाते देख लिया था जो अपनी गाड़ी की ओर इशारा करके तुम्हें याद दिला रहा था। तुमने मुझसे चाल चलने की कोशिश की पर मैंने भी अपना प्लैन पहले से ही बना लिया था। इस वक्त हम दूसरे होटल में जा रहे हैं जहाँ मैंने सब व्यवस्था कर रखी है। और जो हम दोनो के बीच तय हुआ है वो आज हमारी सुहागरात को होकर रहेगा।”
“राज ये तो कोई तरीका नहीं हुआ अपनी शादी की शुरुआत करने का?” सोनिया ने कहा।
“सोनिया, तुम भी ये जानती हो कि ये शादी नहीं एक व्यापारिक समझौता है। मैं अपना वचन निभाऊँगा। मेरा वचन एक पत्थर की लकीर है पर तुम्हें भी अपना वचन निभाना होगा।”
इतना कहकर मैंने गाड़ी रोड के साइड में खडी कर दी। “अभी वक्त है अगर तुम्हारा इरादा नहीं है तो तुम अपने वचन से पीछे लौट सकती हो। मैं कल ही कोर्ट में अपने तलाक के कागज़ात दाखिल कर दूँगा फिर तुम आज़ाद हो।”
मैंने देखा कि सोनिया के चेहरे पर अजीब-अजीब से भाव आ रहे थे। उसने अपने पर्स में से सिगरेट निकाल कर सुलगा ली कश लेते हुए थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा, “मैं अपना वादा जरूर निभाऊँगी राज। मुझे हैरानगी इस बात की हो रही है कि तुमने मुझ पर विश्वास नहीं किया।”
“सोनिया ये तुम भी जानती हो कि हमारी शादी एक समझौता है। फिर एक दूसरे से झूठ बोलना बंद करो। तुम मुझे जितना बेवकूफ़ समझती हो उतना मैं हूँ नहीं। मैंने कुछ फोन किये थे और मुझे पता चल गया था। हमारी बुकिंग रूम नंबर १२१६ में जिस होटल में हुई थी ठीक उसी कमरे के सामने वाला कमरा १२१७ मिस्टर अमित कपूर के नाम बुक था। मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि हमारी सुहागरात के दिन वो हमसे पाँच मील के अंदर नहीं होना चाहिये। मैं तुम्हारे जाल में नहीं फँसा सोनिया बस इतनी सी बात है,” मैंने कहा।
जब हम होटल सिल्वर-इन में घुसे जिसमें मैंने कमरा बुक कराया था, तो मुझे पता था कि सोनिया वर्मा जैसी महान हस्ती को कोई इस छोटे से होटल में नहीं ढूँढेगा। सोनिया नशे में लड़खड़ाती जैसे ही मेरे साथ कमरे में घुसी तो सोनिया ने आपाधापी में अपने कपड़े उतारे और सैंडल उतारे बगैर ही बिस्तर पर लेट गयी जैसे कह रही हो, “जो करना है जल्दी करो और इस कहानी को यहीं खत्म करो।” उसके बदन पर सिर्फ ब्रा, पैंटी और सैंडल थे।
पर मैं भी पूरी तैयारी के साथ आया था। मैंने अपनी सुटकेस खोली और एक किताब निकालकर सोनिया को पकडा दी।
“ये क्या है?” उसने पूछा।
“जब तक मैं अपनी शाम का मज़ा लेता हूँ तुम किताब पढ़कर अपना दिल बहलाओ,” मैंने कहा।
मैं उसके पास बिस्तर पर पहुँचा और उसकी टाँगों को फ़ैला दिया। तभी वो बोली, “तुम कुछ भुल तो नहीं रहे हो?”
“नहीं तो,”
“तुम भुल तो रहे हो, कंडोम कहाँ है?” उसने पूछा।
“उसकी जरूरत ही नहीं है।”
“है, तुम्हें उसकी जरूरत है, मैं अभी से माँ बनने के लिये तैयार नहीं हूँ।” सोनिया ने कहा।
“जो मैं करूंगा उससे तुम प्रेगनेंट नहीं हो सकती। तुम किताब पढ़ो और मुझे अपना काम करने दो,” इतना कहकर मैंने अपना चेहरा उसकी टाँगों के बीच डाल दिया। मुझे चूत चूसने में काफी मज़ा आता है और कई औरतों ने तो इतना तक कहा कि मुझसे बेहतर चूत कोई नहीं चूसता।
सोनिया को उत्तेजित करने में मुझे ज्यादा वक्त नहीं लगा। थोड़ी ही देर में वो सिसकने लगी और अपने कुल्हों को उपर को उठाकर अपनी चूत को मेरे मुँह पर और दबाने लगी। मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत के अंदर डाल दी और साथ ही अपना अँगुठा उसकी गाँड के छेद में डाल दिया। अब मेरी जीभ के साथ मेरी एक अँगुली उसकी चूत में और अँगुठा उसकी गाँड के अंदर बाहर हो रहे थे।
“ये तुम क्या कर रहे हो?” उसने गहरी साँसें लेते हुए पूछा तो मैंने अपना चेहरा उसकी चूत पर से हटाते हुए कहा, “सोनिया, तुम अपनी किताब पढ़ो और मुझे अपना काम करने दो।”
मैं अपना अँगुठा उसकी गाँड में से निकाल कर अपनी एक अँगुली उसकी गाँड के अंदर बाहर करने लगा। फिर दूसरी अँगुली भी अंदर डाल दी। अब मैं उसकी चूत को चूस रहा था और अपनी अँगुलियाँ उसकी गाँड के अंदर बाहर कर रहा था।
सोनिया ने अपनी किताब बिस्तर पर फ़ेंक दी और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पे दबा दिया, साथ ही अपने कुल्हे भी उपर को उठा दिये। मेरा मुँह पुरा उसकी चूत पे था। “ओहहहह राऽऽऽऽऽऽज, ओहहह अब और बरदाश्त नहीं होताऽऽऽऽऽऽ, चोदोऽऽऽऽ मुझे जल्दी सेऽऽऽऽऽऽ” सोनिया सिसक रही थी।
मैंने मुस्कुरा कर बिस्तर पर पड़ी क्रीम की ट्यूब उठा ली जिसे मैंने बिस्तर पर आने से पहले रखी थी। मैंने थोड़ी क्रीम अपने लंड पर लगायी और साथ ही उसकी चूत में अँगुली करता रहा। सोनिया सिसक रही थी। जब मेरे लंड पर अच्छी तरह क्रीम लग गयी तो मैंने उसकी टाँगों को पकड़ कर अपने कंधों पर रख लिया। जब उसकी गाँड पूरी तरह बिस्तर के उपर हो गयी तो मैंने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी गाँड में घुसेड़ दिया।
“ओहहहऽऽऽऽऽऽ मर गयी रेऽऽऽऽ......” सोनिया ने अपने आप को मुझसे छुड़ाने की कोशिश की पर मेरा लंड पूरी तरह उसकी गाँड में घुसा हुआ था। मैं अपना लंड उसकी गाँड के अंदर बाहर करने लगा। मेरे पिछले अनुभव से मुझे पता था कि कुछ औरतों को गाँड मराने में बड़ा मज़ा आता है। कुछ शौक के लिये मरवाती थीं, तो कुछ अनुभव के लिये। सोनिया किस किस्म में आती है मुझे इस वक्त इसकी नहीं पड़ी थी। मुझे मतलब था तो सिर्फ़ आज की रात से, जिसमें सोनिया के साथ मैं कुछ भी कर सकता था।
मैंने देखा कि सोनिया को भी मज़ा आने लगा और वो अपने कुल्हे उछाल उछालकर मेरा साथ दे रही है।
“हाँ, फाड़ दो मेरी गाँड कोऽऽऽऽऽ, ओह, हाँ और जोरसेऽऽऽऽ” सोनिया सिसक रही थी।
आज की रात के लिये मैंने पिछले २४ घंटे में कम से कम से दस बार मुठ मारी थी। सिर्फ़ इसलिये की मेरा लंड जल्दी पानी नहीं छोड़े। मैं पंद्रह मिनट तक सोनिया की गाँड मारता रहा। सोनिया की चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी और आखिर में मेरे लंड ने भी उसकी गाँड में पानी छोड़ दिया। जब मेरा लंड मुर्झा गया तो मैंने उसे सोनिया की गाँड से बाहर निकाला और बाथरूम में सफ़ाई के लिये चला गया। सोनिया बिस्तर पर लेटी हुई मुझे देखती रही।
मैं अपना लंड साफ़ करके फ़िर एक बार बिस्तर पर आ गया। अपने घुटनों से उसकी टाँगों को फ़ैलाया और एक बार फ़िर उसकी चूत को चूसने लगा। मैं अपनी तीन अँगुलियाँ इस बार उसकी गाँड के बजाय उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था। एक बार फिर सोनिया ने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा दिया और जोरों से सिसक पड़ी, “ओहह राजऽऽऽऽ, अब और मत तरसाओऽऽऽ, अब नहीं रह सकतीऽऽऽ चोदो ना मुझे, डाल दो अपना लंड मेरी चूत में।”
“नहीं मैं अभी नहीं चोद सकता। मेरा लंड खड़ा नहीं हुआ है,” कहकर मैं उसकी चूत को जोरों से चाटने और चूसने लगा।
“प्लीज़, राज चोदो ना, देखो मेरी चूत में आग लगी है” सोनिया फिर गिड़गिड़ा पड़ी।
“थोड़ी देर रुको ना जान, जैसे ही मेरा लंड खड़ा होगा मैं चोदुँगा तुम्हें,” कहकर मैं उसकी चूत चूसता रहा।
तभी मैंने उसके हाथ को अपने लंड पर महसूस किया। वो थोड़ी देर तो मेरे लंड को मसलती रही। फिर वो इस तरह घूम गयी कि उसका मुँह मेरे लंड के पास आ गया। वो मेरे नीचे ही मेरे लंड को अपने गरम मुँह में लेकर चूसने लगी। यही तो मैंने सोचा था। मैं चाहता था कि वो हर चीज़ के लिये मुझसे भीख माँगे, मेरे सामने गिड़गिड़ाये। पहले वो चोदने के लिये गिड़गिड़ाती रही और अब मेरे लंड को अपने मुँह में ले बड़े प्यार से चूस रही थी।
मैंने सोनिया को थोड़ी देर तक अपना लंड चूसने दिया, फ़िर घूम कर उसकी टाँगों के बीच आ गया और उसके चेहरे को देखने लगा कि कहीं वो नाटक तो नहीं कर रही।
“अब क्या देख रहे हो?” सोनिया ने कहा, “किस बात का इंतज़ार कर रहे हो, जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में घुसा कर मुझे चोदो।”
उस रात मेरी एक तमन्ना पूरी नहीं हुई। उसने मुझसे अपनी गाँड मारने को नहीं कहा। उस रात मैंने सोनिया को तीन बार चोदा और हर बार चुदाई के बाद उसकी चूत चाटी और चुसी। जब भी मैं उसकी चूत चूसता तो वो उत्तेजना से पागल हो जाती। सुबह के पाँच बजे ही हम सो पाये।
मेरी सुबह साढ़े-नौ बजे जब आँख खुली तो देखा कि सोनिया कुहनी के बल लेटी हुई मुझे देख रही थी।
“क्या बात है,” मैंने अपनी आँखों को मसलते हुए पूछा।
“कुछ नहीं”
“फिर मुझे इस तरह क्यों देख रही हो?” मैंने पूछा।
“क्यों ना देखूँ? ये मेरी शादी की ज़िंदगी का पहला दिन है और पहली बार मैंने रात अपने पति के साथ गुज़ारी है” सोनिया ने कहा।
“पति? वो भी नाम का!” मैंने हँसते हुए कहा और उठ कर अपने कपड़े पहनने लगा।
“ये क्या कर रहे हो?” सोनिया ने पूछा।
“कपड़े पहन रहा हूँ और क्या” मैंने जवाब दिया।
“मैं यहाँ नंगी बिस्तर पर लेटी हुई हूँ और तुम कपड़े पहन रहे हो” सोनिया ने कहा।
“देखो, हमारे बीच एक समझौता हुआ था कि एक रात तुम मेरे साथ गुज़ारोगी। अब सुबह हो चुकी है और सूरज आसमान में चढ़ चुका है” मैंने जवाब दिया, “रात गुज़र चुकी है और अब मैं अपना वचन निभाऊँगा।”
“रात तब तक पूरी नहीं होती जब तक की हम बिस्तर से निकल कर अपने कपड़े ना पहन लें” सोनिया ने कहा।
मैंने अपनी पैंट छोड़ दी और वापस बिस्तर में आ गया। “तुम्हारा इरादा कैसे बदल गया,” मैंने पूछा।
“सुहागरात किसी औरत के जीवन में एक बार ही आती है। मैंने तुम्हें पहले भी बताया है कि मुझे चूत चुसवाने में बड़ा मज़ा आता है जो कि तुम आने वाले दिनो में भी चूसोगे। पर रात को जैसे तुमने मेरी चूत चूसी मैं एक बार फिर चूत चुसवाना चाहती हूँ” सोनिया ने कहा।
हम दोपहर को ढाई बजे ही होटल से चेक-आऊट कर सके। हमारे लेट होने से सोनिया के सारे प्लैन लेट हो गये। हमें हनीमून के लिये शिमला जाना था और अगली फ़्लाईट दूसरे दिन ही थी। सोनिया ने कुछ फोन किये और फिर से सब तैयारी की। हम दोनों सोनिया के बंगले पर आ गये और वो दिन मैंने सोनिया के कमरे में ही गुज़ारा जो आने वाले पाँच सालो के लिये अब मेरा था। हनीमून उतना ही बकवास था जितनी की मेरी शादी। शादी से पहले ही मुझे बता दिया गया था कि मुझे क्या-क्या करना है। मुझे अपना पार्ट इस तरह अदा करना है कि दुनिया और कानून यही समझे कि हम दोनो शादी-शुदा जोड़े हैं और शादी से खुश हैं।
“मैं जो कह रही हूँ राज, तुम उस पर विश्वास तो नहीं करोगे, पर ये सच है कि ट्रस्ट के जो इन-चार्ज हैं वो अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश करेंगे ये साबित करने की कि मैंने वसियत की हर शर्त पूरी नहीं की है। तुम्हें अपना रोल बाखूबी निभाना होगा जिससे किसी को कोई भी शक ना होने पाये” सोनिया ने कहा।
“अगर तुम जो कह रही हो वो सच है तो वो लोग तुम्हारे पीछे जासूस भी छोड़ सकते हैं और तुम्हारा अमित के साथ इश्क भी उनकी नज़रों में आ जायेगा,” मैंने कहा।
“अगर ट्रस्टीज़ को पता चल भी गया तो इस बात से कोई फ़रक नहीं पड़ता। पिताजी की वसियत में ऐसा कुछ नहीं लिखा कि मैं किसी दूसरे मर्द के साथ नहीं सो सकती। फिर भी अगर किसी ने इसको विषय बनाया तो मैं साफ़ कह दूँगी कि ये सब झूठी अफ़वाह है और मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ। फिर भी अगर बात नहीं बनी राज, तो तुम्हें मेरा साथ देना होगा कि ये कहकर तुम मेरी हर गलती को माफ़ करते हो और मुझसे बहुत प्यार करते हो।”
मेरी शादी की कहानी तो पहले ही लिखी जा चुकी थी और कहानी के अनुसार ही मैं अपने चंद सालों की पत्नी सोनिया के साथ हनीमून सूईट में था और उसका प्रेमी अमित हमारे कमरे से थोड़ी ही दूर दूसरे कमरे में था।
मुझे अमित के कमरे में सोना था और अमित सोनिया के साथ उसके कमरे में। सब कुछ पहले से तय था। मेरे हनीमून का मतलब था कि सोनिया ज्यादा से ज्यादा समय अमित के साथ बिता सके। सब कुछ जानते हुए मैं अपने साथ बहुत सारी किताबें ले आया था जिससे मेरा समय कट सके।
हर रात एक शादी शुदा जोड़े की तरह मैं और सोनिया किसी अच्छे रेस्तोराँ में खाना खाने जाते और किसी पब में जाकर नाचते जिससे लोगों की नज़र हम पर पड़ सके। पब से लौटते वक्त सोनिया शराब के नशे में ही होती जब होटल वापस पहुँचते तो मैं उसे सहारा देकर सीधा अपने कमरे में ले जाता और जब रात को पैसेज में कोई नहीं होता तो मैं अमित के कमरे में चला जाता और अमित सोनिया के कमरे में आ जाता। किसी दिन हम ऐसी जगह घुमने जाते जहाँ एकांत हो तो अमित वहाँ पर सोनिया का इंतज़ार करते हुए मिलता। मैं सोनिया को अमित के पास छोड़ कर पास में ही कहीं टहल कर अपना समय व्यतीत करता।
ये सब कुछ छः दिनों तक चला पर एक रात मैं हैरान रह गया। मैं अपने कमरे में गहरी नींद सोया हुआ था कि अचानक मैंने कमरे में सोनिया के सैंडलों की खटखटाहट सुनी। वो नशे में झूमती हुई आयी और मेरे बगल में आकर मेरे पास लेट गयी।
सोनिया मेरे पास लेटकर मेरे लंड से खेलने लगी। जब मैं नींद से जगा तो उसने मुझे सीधा किया और मेरे चेहरे पर बैठ कर अपनी चूत मेरे मुँह से लगा दी।
“मेरी चूत को चूसो राजऽऽऽ। खूऽऽब जोरसे चूसो। आज अमित ने मेरी चूत नहीं चूसी। अब एक अच्छे पति की तरह मेरी चूत को खूब चूसो और चाटो।”
खैर मैं क्या करता, इसी काम के लिये तो मुझे किराये पर रखा गया था और वैसे भी मैं पहले से जानता था कि ये सब तो होना ही था। मैं जोरों से सोनिया की चूत को चूसने और चाटने लगा। पता नहीं क्यों आज मुझे उतना मजा नहीं आ रहा था जितना कि मुझे अपनी सुहागरात को सोनिया की चूत चूसने में आया था। शायद इसलिये की वो अभी-अभी अमित से चुदवा कर आ रही थी।
हमारा पंद्रह दिन का हनीमून किसी भी विवाद के बिना खत्म हो गया। हम वापस घर आ गये। मैं हमेशा की तरह अपने काम पर जाने लगा। मुझे इस बात की परवाह नहीं थी कि मेरे स्टाफ में सब लोग क्या कहेंगे कि मैंने तरक्की के लिये कंपनी की बॉस से शादी कर ली। मुझे अपना काम पसंद था और मैं दिल लगा कर अपना काम करने लगा। सभी लोग मेरे काम की तारीफ़ भी किया करते थे।
कुछ नहीं बदला था, ना तो कंपनी का माहौल, ना काम। सिर्फ़ बदला था तो मेरा कंपनी पहुँचने का तरीका। अब मैं सोनिया के साथ उसकी गाड़ी में ऑफिस पहुँचता। दोपहर को हम खाना साथ खाते और शाम को साथ ही घर पहुँचते। जब घर पहुँचते तो अमित वहाँ इंतज़ार करते हुए मिलता। हम तीनों साथ-साथ खामोशी से खाना खाते। मैंने आज तक अमित से बात नहीं की थी, बल्कि सही कहूँ तो मैं उसे नज़र-अंदाज़ सा ही करता था। खाने के बाद मैं अपने कमरे में आ जाता या फिर स्टडी-रूम में चला जाता जहाँ मैंने अपना छोटा सा ऑफिस बनाया हुआ था। सोनिया अमित के साथ अपने कमरे में चली जाती।
इसी तरह एक हफ़्ता गुज़र गया। अमित और मेरे बीच खामोश युद्ध सा चल रहा था। फिर एक दिन वही हुआ जिसका मुझे अंदाज़ा था। उसने वही किया जो मैंने पहले से सोच रखा था। खाने के बाद जब सोने का समय हुआ तो उन दोनों ने काफी शराब पी रखी थी। अमित ने मुझे घूरते हुए कहा, “राज, हम सोने जा रहे हैं, सुबह मिलेंगे। मैं तुम्हारी बीवी को उपर कमरे में ले जा रहा हूँ और आज मैं उसकी चूत का बैंड बज़ा दूँगा। तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा ना?”
दूसरी सुबह ऑफिस जाते वक्त सोनिया ने मुझसे अमित के व्यवहार के लिये माफ़ी माँगी।
“माफ़ी माँगने की कोई बात नहीं है सोनिया, मैं तो ये सब पहले से ही जानता था। मैंने जैसा सोचा था उसने वैसे ही व्यवहार किया। मुझे कोई तकलीफ़ नहीं हुई। पर हाँ, अब तुम दूसरा वादा पुरा करो जो तुमने किया था, मुझे भी अपनी सैक्स लाइफ़ चाहिये।”
“ठीक है, ऑफिस पहुँचते ही मैं सब इंतज़ाम कर दूँगी।” सोनिया ने मेरा हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा।
दोपहर को खाना खाते समय सोनिया ने मुझसे कहा, “राज सब तय हो चुका है, जिस लड़की को तुमने चुना था वो कल से आ सकती है। पर वो सिर्फ़ दिन में ही आ सकती है इसलिये कल से तुम खाना घर पर खाना। ऑफिस में बहाना बना दूँगी कि तुम किसी मिटिंग में व्यस्त हो या फिर किसी क्लायंट के साथ लंच पर गये हो। मैं बस ये चाहती हूँ कि ये सब एक राज़ रहे।”
“लगता है मुझे भी कहानी सोच कर रखनी होगी, कहीं उस लड़की ने मुझसे ये पूछ लिया कि एक नये शादी शुदा पति को किराये की लड़की की क्या जरूरत पड़ गयी तो? अगर मैं उसे ये कह दूँ कि तुम्हें मर्दों में कम और लड़कियों में ज्यादा दिलचस्पी है तो कैसा रहेगा?”
मेरी बात सुनकर सोनिया हँस दी, “राज मैं तुमसे कहीं आगे हूँ। जिस दिन तुमने उस लड़की को चुना था मैंने अगले दिन ही उससे मुलाकात कर ली थी। मैंने उससे कहा था कि मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ पर किसी खास बिमारी की वजह से मैं उनके साथ सैक्स नहीं कर सकती इसलिये मुझे उसकी मदद की जरूरत है। मैंने उससे कहा कि मुझे पता है कि उसकी भी कुछ जरूरतें है जिसे मैं पूरा कर सकती हूँ।”
सोनिया थोड़ा सा झुकी और मेरी जाँघों को थपथपाते हुए कहा, “राज, वो काफी सुलझी हुई लड़की है और उसे उसके काम के लिये मैंने मुँह माँगी कीमत दी है, देखना मेरा पैसा व्यर्थ ना जाने पाये।”
उस रात जब मैं सो चुका था तो सोनिया मेरे कमरे में आयी और मेरे लंड से खेलने लगी। मैं अपनी आँख मलते हुए उठा तो मैंने उसे कहते सुना, “राज, मेरी चूत बह रही है, इसे जोर जोर से चूसो राज। मेरी रसीली चूत का सारा पानी पी जाओ।”
दूसरे दिन मैं खाने के वक्त घर पहुँचा तो सादिया सोफ़े पर बैठी कोई मैगज़ीन पढ़ते हुए सिगरेट पी रही थी। उसे देखते ही मेरे लंड में सनसनाहट होने लगी। उसने शिफॉन की प्रिंटेड साड़ी बहुत ही सैक्सी तरीके से नाभि के बहुत नीचे बाँधी हुई थी और उसका मैचिंग चोली-नुमा ब्लाऊज़ बहुत ही छोटा सा था और पैरों में बहुत ही खूबसूरत हाई हील सैंडल पहने हुए थे। साथ ही उसने उपयुक्त शृंगार किया हुआ था। जैसे ही मैं हॉल में घुसा, उसने चौंकते हुए मेरी तरफ़ देखा, “राज, तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो?”
“क्या तुम्हें पता नहीं?” मैंने कहा।
“मुझे क्या पता नहीं?” उसने ऐशट्रे में सिगरेट बुझा कर सोफ़े पर से खड़े होते हुए पूछा।
“यही कि तुम्हें मेरे लिये ही बुलाया गया है।”
continue...
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