घर में 3-4 दिन हंसी मजाक में निकल गए। चार दिन बाद चूत खुजलाने लगी, छठे दिन तो रात को ऐसा लगने लगा कि अभी कोई लौड़ा घुसा दे ! उंगली कर कर के थक गई लेकिन काम पिपासा शांत ही नहीं हो रही थी।मैं रसोई में गई, एक पतला चिकना सा बैंगन निकाल कर लाई और उसे चूत में घुसाया तब थोड़ी सी शांति मिली। लेकिन लंड जैसा मज़ानहीं आया।अगले दिन कुसुम मौसी मेरे घर 3-4दिन रहने आईं। मौसी मेरी अच्छी सहेली थीं, उनकी उम्र 40 साल के करीब थी। रात में मेरे साथ सोई, हम दोनों बातें करने लगे, मेरे उनके बीच कोई पर्दा नहीं था। मैंने उन्हें बता दिया कि कैसे मेरी चूत और गांड इन्होंने अपनेमोटे लंड से पेल दी और यह भी बता दिया कि मेरी चूत आजकल पूरी गर्म भट्टी हो रही है। रात को 69में होकर हम दोनों ने एक दूसरे की चूत चूसी, इसके बाद उन्होंने एक मोटी मूली मेरी चूत में अंदर तक पेली तब रात में मुझे थोड़ी शांति मिली।मैंने मौसी को अपने पास ही रोक लिया। दो दिन बाद मेरी चचेरी बुआ का लड़का अतुल मुझसे मिलने आया।मौसी बोली- आज रात मैं अतुल और तू साथ साथ सोएँगे, बड़ा मज़ा आएगा।उन्होंने मेरे कान में भी कुछ फुसफुसाया रात को चूत का खेल खेलना था।अतुल 22 साल का लड़का था, हम लोग आपस में खूब हंसी मजाक करते थे, आजकल वो दिल्ली में नौकरी कर रहा था। उसने मेरा हाथ दबाया और पूछा- सपना दीदी शादी करके कैसा लग रहा है?मैंने हाथ दबाते हुए कहा- बड़ा मज़ा आ रहा है।रात को खाने के बाद मौसी अतुल कोमेरे कमरे में ले आईं। गयारह बज रहे थे, ऊपर छत पर सिर्फ एक कमरा था। अतुल जाने को हुआ तो मौसी बोलीं- यहीं सो जाओ, अब नीचे क्या जाओगे? कपड़े उतार लो, इससे क्या शर्माना, इसकी तो अब शादी हो गई है।डबलबेड पर मौसी ने अतुल को बीच में सुला दिया। कमरे में अँधेराथा, अतुल पेंट पहने था, मैं अतुल से बात कर रही थी, मैंने उसका हाथ पकड़ रखा था। चूत भट्टी हो रही थी।मैंने अतुल से कहा- गर्मी बहुत हो रही है, मैं साड़ी उतार देती हूँ !मैंने अपनी साड़ी उतार दी अब मैं पेटीकोट और ब्लाउज में थी। मैंने अतुल से कहा- बाहर तक आ जाओ, मुझे बाथरूम जाना है !बाहर चांदनी रात थी, बाहर आकर मैंने नाली पर अपना पेटीकोट पूरा ऊपर तक उठाकर पेशाब किआ तो मेरी नंगी गांड पीछे से पूरी दिख रही थी, अतुल चोर नज़रों से मेरी गांड देख रहा था।कमरे में आकर मैंने अपने ब्लाउजके 2 बटन खोल लिए और अतुल से धीरे से बोली- तुम भी अपनी पेंट-शर्ट उतार दो, आराम से लेटो!अतुल ने अपनी पेंट शर्ट उतार दी,अब वो चड्डी बनियान में था।एक दूसरे की तरफ मुँह करके हम दोनों लड़कियों की बातें कर रहे थे, मेरी चूत की चुलबुलाहट मुझे परेशान कर रही थी, साथ ही साथ मुझे यह भी लग रहा था कि अतुल का लंड भी झटके खा रहा है।मैंने जब अतुल से पूछा कि उसने किसी की चूचियाँ दबाई हैं तो गर्मी से भरे अतुल ने अपना हाथ मेरे नंगे पेट पर रख दिया। मेरी चूत गीली हो रही थी, मैंने उसका हाथ उठाकर अपने ब्लाउज में घुसवा लिया, उसने मेरी चूचियाँ कस कर दबा ली और मुझसे चिपक गया।मैंने अपना ब्लाउज उतार दिया औरचुचूक उसके मुँह में लगा दिए, अतुल के लंड पर मेरा एक हाथ चला गया, उसका लंड मेरे पति से छोटा और पतला था लेकिन इस समय मैं लंडकी भूखी औरत थी। यह सब मौसी की सहमति से हो रहा था, मुझे कमरे में किसी का डर नहीं था।मैंने अपना पेटीकोट भी उतार दिया, अब मैं पूरी नंगी थी, अतुल के कान में कहा- कपड़े उतार लो और और सेक्स के मज़े लो ! मौसी से मत डरो मौसी गोली खाकर सोती हैं, अबसुबह ही उठेंगी।अतुल ने कपड़े उतार लिए, छः इंची अतुल का लंड मैंने हाथ से पकड़ अपनी चूत के मुँह पर लगा दिया, अतुल ने एक धक्का धीरे से मेरी चूत पर मारा, मैंने नीचे होते हुए पूरा लंड चूत में घुसवा लिया और अतुल के कान में फुसफुसाई- अब चोदो ना !अतुल ने चोदना शुरू किया लेकिन दो-तीन झटकों में ही वो झड़ गया, मैं समझ गई कि यह इसका पहला अनुभव है। अतुल को मैंने अपने नंगे बदन से 10 मिनट तक चिपकाए रखा। जवान लड़का था, लंड 10 मिनट बाद दुबारा तैयार था। इस बार चूत में अच्छी तरह से अंदर गया और मेरी चुदाई का खेल शुरू हो गया। चूत लंड से चुद कर ख़ुशी महसूस कर रही थी, अतुल धीरे धीरेचोद रहा था, उसे पता नहीं था कि मौसी के सहयोग से आज मेरी चूत में उसका लौड़ा घुस रहा था। अतुल का लौड़ा पतला 6 इंची लम्बा था लेकिन लंड से चुदने का मज़ा तो अलग ही होता है गाज़र मूली डालने में वो मज़ा कहाँ आता है।अतुल भी मुझे पेल कर ख़ुशी का अनुभव कर रहा था। अतुल ने रात में दो बार मुझे चोदा इसके बाद हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सोगए।अगले दिन सुबह बड़ा अच्छा लग रहा था, चूत की कुलबुलाहट शांत हो गईथी। अतुल घर में दो दिन रुका, रात को मौसी के सहयोग से हम दोनों ने चुदाई के मस्त मज़े लिए। उसके जाने के बाद मौसी ने मेरी चुटकी काटी और बोलीं- मज़ा आगया ना?मैं बोली- मौसी, बड़ा मज़ा आया। मौसी बोलीं- चूत की खिलाड़िन बन ! सारे सुख मिल जाएँगे।इसके बाद माँ आ गईं, बोलीं- मुन्नी बीस की हो गई है, अच्छे लड़के को दहेज़ में 10-15 लाख देने पड़ेंगे, इतना पैसा कहाँ से आएगा,हमारे पास तो एक लाख भी देने के लिए नहीं हैं। तू कुछ अपने देवर से इसकी शादी का चक्कर चला !मौसी मेरे कान में बोलीं- भाभी है, कुछ चूत का खेल खेल ! दोनों बहनें एक ही घर में रहेंगी तो अच्छा रहेगा, पूरी दौलत की मालकिन हो जाएगी।मुझे मौसी का इशारा समझ में आ गया। कुछ दिन घर में रहने के बादमैं ससुराल चली गई।मेरा देवर विनोद 22 साल का शरीफ लड़का था, बैंक और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था। वह एक शर्मीला युवक था। मेरे पति और ससुर की तरह वो रंगीला और औरतबाज आदमी नहीं था। वापस आने के बाद मैंने सोच लिया था कि देवर को अपना दोस्त बनाना है। मौसी मेरे कान में बोलीं- भाभी है, कुछ चूत का खेल खेल ! दोनों बहनें एक ही घर में रहेंगी तो अच्छा रहेगा, पूरी दौलत की मालकिन हो जाएगी।मुझे मौसी का इशारा समझ में आ गया। कुछ दिन घर में रहने के बादमैं ससुराल चली गई।मेरा देवर विनोद 22 साल का शरीफ लड़का था, बैंक और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था। वह एक शर्मीला युवक था।मेरे पति और ससुर की तरह वो रंगीला और औरतबाज आदमी नहीं था।वापस आने के बाद मैंने सोच लिया था कि देवर को अपना दोस्त बनाना है।मेरी सास हर सोमवार को मेरे पति के साथ सुबह 2 घंटे के लिए मंदिरजाती थीं। 2-3 महीने बाद मैंने ध्यान दिया सोमवार में जब भी मैं नहाने जाती थी तो दो आँखें बाथरूम में लगे छेद से मेरी नंगी जवानी का लुत्फ़ लेती थीं। मैं बाथरूम में पूरी नंगी होकर नहाती थी। घर में मेरे देवर और ससुर ही मर्द थे तो मुझे लगा कि मेरा देवर ही मुझे नंगी नहाते देखता होगा। अगले सोमवार को मैंने तय किया आज देवर को अपना बदन पूरा नहाते हुए दिखाऊँगी।इस सोमवार को भी दो आँखें बाथरूम के छेद में से झांक रही थीं। मैं पूरी नंगी पानी से भीग रही थी अपना मुँह मैंने दरवाज़े की तरफ घुमा लिया और सोचा देवर को थोड़ा मस्त करती हूँ। अपनी जांघें चौड़ी करके चूत दिखाती हुई चूचियाँ मलने लगी। मैंने 15मिनट के स्नान में अपनी चूचियाँहिलाईं और मल-मल कर उन पर साबुन लगाया, चूत को भी रगड़ा और मसला, अपनी तरफ से मैं इस तरह नहा रही थी कि देखने वाले को पूरा मज़ा मिले।दो महीने तक हर सोमवार को मैंने अपने स्नान का मस्त मज़ा देखने वाले को दिया। मेरा मन कर रहा थाकभी देवर घर में अकेला हो तो उससे मज़े किये जाएँ।एक इतवार को वो दिन आ गया, मेरे ससुर दो दिन के लिए पटना किसी काम से गए थे, सास सुबह पति के साथ पास के गाँव शादी में चली गईं थीं दोनों शाम को ही लौट कर आते। अब घर में देवर और मैं अकेले थे।सुबह के 7 बज़ रहे थे देवर बाहर से घूम कर आया, रोज़ की तरह मैंने उसके लिए चाय बनाई। जब चाय देने गई तो मैंने आँख मारते हुए अपना पल्लू नीचे गिरा दिया।मेरे ब्लाउज के 4 बटन टूट रहे थे, अर्ध नग्न उभार दिखाते हुए मैंने उसके गालों पर चुटकी काटीऔर बोली- मेरे ब्लाउज के बटन ला दो ना ! देखो सारे बटन टूट गए हैं, एक और टूट गया तो संतरे बाहर गिर जाएँगे।देवर झेंप गया और बटन लेने बाज़ार चला गया। बटन लेकर देवर पाँच मिनट में ही आ गया, मैं बोली- अभी बटन टांक लेती हूँ, पता नहीं बाद में समय मिले या नहीं !मैंने पीठ उसकी तरफ करते हुए ब्लाउज उतार लिया ब्रा मैंने पहले ही नहीं पहन रखी थी। अब मेरी चूचियाँ झूल रही थीं। उस पर मैंने हल्के नीले रंग की साड़ी डाल रखी थी। साड़ी में से पूरे स्तन चमक रहे थे। देवर की तरफ मुड़ कर आँख मारी और बोली- घर में कोई नहीं है, यहीं बैठो ना ! बातें करते हैं।अपनी चूचियाँ हिलाती हुई मैं बटन लगाने लगी, देवर एक टक मेरी चूचियाँ देख रहा था। देवर के लंड में हलचल हो रही थी लेकिन सीधा देवर कुछ कह नहीं पा रहा था।देवर से मैंने पूछा- विनोद, तुमने कभी किसी लड़की को छेड़ा है या दोस्ती करी है?विनोद बोला- मुझे लड़कियों से शर्म आती है।"अरे शर्म क्यों आती है? लड़कियाँ तो खुद लड़कों से मस्ती करना चाहती हैं !" इस तरह मैं उतेजक बातें कर रही थी, विनोद झेंप रहा था।आँख मारते हुए मैंने कहा- विनोद,तुम्हारा मन तो करता है लेकिन तुम शर्माते हो।देवर का लौड़ा तना हुआ पैंट में मुझे दिख रहा था। आँख मारते हुए मैंने एक स्तन पूरा साड़ी में से बाहर निकाल लिया और पूछा- भाभी का संतरा सुंदर लगता है या नहीं?जवाब सुने बिना आगे बढ़कर मैंने विनोद का मुँह अपनी खुली हुई चूची के निप्पल पर लगा लिया। देवर मस्त होकर दूधिया स्तन चूसने लगा। पर तभी दरवाज़े पर खटखट हुई. काम वाली बाई चमेली आई थी। विनोद पूरा गर्म हो रहा था। मैंने उसे हटाकर उसके लंड को पैंट के ऊपर से दबाया और होंटों पर एक पप्पी लेते हुए बोली- मुझ जैसी मस्त भाभी कहीं नहीं मिलेगी ! आज दोपहर को साथ बैठते हैं और मस्ती करते हैं।मैंने सोच लिया था आज देवर को औरतबाज़ी सिखा कर रहूँगी।दो बजे तक मेरा काम निपट गया था, मैं देवर को अपने कमरे में ले गईऔर बोली- सुबह मज़ा आया?देवर शर्माते हुए बोला- अच्छा लगा !मैंने अपनी साड़ी उतार दी और आँख मारते हुए पूछा- दुधू पीना है?देवर थोड़ा सा खुल गया था, झेंपतेहुए बोला- हाँ पीना है।मैंने देवर को अपनी गोद में लेटा लिया और उसके मुँह को बातें करते करते अपनी चूचियों से चिपकाया और बोली- थोड़ा भाभी के माल का मज़ा ले लिया करो ! तुम ही तो एक मेरे दोस्त हो यहाँ पर।देवर से मस्ती का खेल आज से शुरूहो गया था। मैंने ब्लाउज ऊपर उठाकर अपनी एक चूची निकाल कर उसके मुँह में लगा दी और बोली- लो दूध पी लो, मज़ा आ जाएगा।देवर चूची चूसते हुए अपने एक हाथ से मेरी दूसरी चूची ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा। मैंने उसकी शर्ट के बटन खोलते हुए उसकी निप्पल नोचते हुए कहा- नंगी चूची दबाने का अलग ही मज़ा आता है। ब्लाउज खोल लो और आराम से मजे लो।देवर ने ब्लाउज खोल दिया और एक अनाड़ी की तरह चूचियाँ मसलने लगा। मुझे एक नए खिलाड़ी की जवानी का आनन्द आ रहा था। मैंने एक कदम आगे बढ़ते हुए उसका लंड पजामे का नाड़ा खोलकर बाहर निकाललिया।आह ! क्या सुन्दर चिकना सात इंचीलंड था।अब मैं और देवर लेटे हुए थे, उसके लंड को सहलाने लगी, देवर काहाथ मैंने साड़ी के अंदर घुसा लिया और जैसे ही देवर ने मेरी चूत के मुँह को छुआ उसके लंड ने वीर्य की तेज पिचकारी छोड़ दी। यह इस बात का सबूत था कि यह देवर का पहला अनुभव है। वीर्य हम दोनों के ऊपर आकर गिरा। देवर शर्मिन्दा हो रहा था। मैंने उसेचिपकाते हुए कहा- शुरू में सबके साथ ऐसा होता है। आओ अब हम दोनोंसाथ साथ नहाते हैं।देवर और मैं बाथरूम में आ गए। मैं पेटीकोट में थी देवर पजामा पहने हुए था मैंने दो तीन मग पानी अपने ऊपर डाले और दो तीन देवर के ऊपर और हंसी मज़ाक करते हुए विनोद का पजामा उतरवा दिया और लंड पर साबुन मलने लगी। लंड पूरा तन गया था, देवर मुझसे चिपककर मेरी चूचियाँ मसलने लगा मैंने उसका हाथ अपने पेटीकोट केनाड़े पर रख दिया, दो सेकंड में ही मेरा पेटीकोट जमीन पर था।मैंने देवर की उंगली पकड़ कर अपनी चूत में घुसा ली। अब मेरी चूत में देवर की उंगली घुसी हुई थी, एक दूसरे को पानी से नहलाते हुए हम चूत, लंड और चूचियों पर साबुन मल रहे थे, मज़े ले रहे थे !देवर ने मुझसे चिपक कर अपना लंड मेरी गांड और चूत पे कई बार लगाया और अपना वीर्य दो बार मेरे चूतड़ों पर छोड़ दिया।इसके बाद नहाना खत्म करके हम बाहर आ गए और अपने अपने कमरे मेंचले गए।देवर से मस्ती का खेल आज से शुरूहो गया था। मैं देवर से अपनी बहनकी शादी करवाना चाहती थी, मेरा चूत का खेल शुरू हो गया था। देवरअब जब भी मौका मिलता था, कभी मेरी चूची दबा देता था कभी मेरे चूतड़ मल देता था।15 दिन बाद देवर और मैं फिर अकेले थे, अबकी साथ साथ हम नहाए तो मैंने उसके लोड़े पर साबुन लगाया और उसके टोप़े पर अपनी जीभ फिरा कर उसे गर्म कर दिया। उसके बाद नहाते हुए देवर मुझे चोदने को उतावला हो रहा था मुझे घोड़ी बनाकर देवर बार बार लंड चूत में घुसाने का प्रयास कर रहा था, उसका मन मुझे चोदने का कर रहा था पर मैंने उसे हटाते हुए उसका लौड़ा मुँह में भर लिया और बोली- अभी चुसाई का मज़ा लो, चुदाई का कुछ बनने के बाद !चूचियाँ दबवाते हुए मैंने लौड़ा चूस चूस कर देवर का पूरा वीर्य अपने मुँह में भर लिया और उसे ढीला कर दिया।मेरा देवर अब धीरे धीरे मेरा गुलाम होता जा रहा था। देवर से मस्ती का खेल आज से शुरूहो गया था। मैं देवर से अपनी बहनकी शादी करवाना चाहती थी, मेरा चूत का खेल शुरू हो गया था। देवरअब जब भी मौका मिलता था, कभी मेरी चूची दबा देता था कभी मेरे चूतड़ मल देता था।15 दिन बाद देवर और मैं फिर अकेले थे, अबकी साथ साथ हम नहाए तो मैंने उसके लौड़े पर साबुन लगाया और उसके टोप़े पर अपनी जीभ फिरा कर उसे गर्म कर दिया। उसके बाद नहाते हुए देवर मुझे चोदने को उतावला हो रहा था मुझे घोड़ी बनाकर देवर बार बार लंड चूत में घुसाने का प्रयास कर रहा था, उसका मन मुझे चोदने का कर रहा था पर मैंने उसे हटाते हुए उसका लौड़ा मुँह में भर लिया और बोली- अभी चुसाई का मज़ा लो, चुदाई का कुछ बनने के बाद !चूचियाँ दबवाते हुए मैंने लौड़ा चूस चूस कर देवर का पूरा वीर्य अपने मुँह में भर लिया और उसे ढीला कर दिया।मेरा देवर अब धीरे धीरे मेरा गुलाम होता जा रहा था।एक दिन देवर का बैंक में सलेक्शन हो गया, इंटरव्यू 15 दिन बाद दिल्ली में होना था। मुझे जब यह पता चला तो मौका देख कर मैंने उसकी पैंट में से लौड़ा निकाल कर जी भर कर चूसा और वीर्यमुँह में गटकते हुए बोली- अगर तुम सलेक्ट हो गए तो तुम्हारे लौड़े को अपनी चूत में डलवाऊँगी।विनोद मुझसे बोला- भाभी, अगर दिल्ली में कोई रिश्तेदार हो तो15 दिन इंटरव्यू की तैयारी कर आता !मैंने कहा- तुम सामान बांधो, इंतजाम मैं करती हूँ।अतुल की याद आई मुझे, मैंने उसे फोन करके कहा- मेरा देवर तुम्हारे साथ आकर रहेगा, उसका ख्याल रखना, अगली बार जब मिलोगे तो मस्त कर दूँगी।अतुल बोला- दीदी, आपको तो मैं ना तो नहीं कह सकता।देवर दिल्ली चला गया, सारा खर्च अतुल ने उठाया। वहाँ से अतुल ने फ़ोन पर मुझसे बात की, हमारे बीच कुछ गुप्त बातें हुईं।20 दिन बाद विनोद लोट आया, उसने मुझे बताया- इंटरव्यू बहुत अच्छा हुआ।मैंने अनजान बनते हुए कहा- इंटरव्यू वगैरा तो पैसे कमाने के लिए होते हैं। मेरी पहचान के एक रिश्तेदार हैं वो दो लाख में सलेक्शन करा देते हैं।विनोद ने मेरी सास को यह बात बताई तो वो मुझसे चुपके से बोलीं- हम 2 लाख दे देंगे, तू बतादे कब देना है !मैंने उनसे दो दिन बाद पैसे लिए और बोली- विनोद को मत बताना, वर्ना उसे दुःख होगा ! और वो आई एएस और पी सी एस की तैयारी नहीं करेगा।15-20 साल पहले रिजल्ट पेपर में दो हफ्ते बाद आता था। अतुल से मैंने दो हफ्ते पहले ही रिजल्ट पता कर लिया था विनोद सलेक्ट हो गया था, सास के पैसे मैंने अपनी माँ के पास रखवा दिए और सास से बोली- विनोद का सलेक्शन हो जाएगा लेकिन आप किसी को बताना नहीं, नहीं तो रिजल्ट केंसिल हो जाएगा।मैंने एक हफ्ते को अपनी बहन को बुला लिया और विनोद से उसे चिपकाने लगी। दोनों में दोस्ती हो गई थी। थोड़ी बहुत चूचियों की मसलाई और चूमा चाटी भी हो गई थी।एक हफ्ते बाद वो चली गई। दो दिन बाद विनोद चिल्लाता हुआ आया कि बैंक में उसका सलेक्शन हो गया है।सब लोग बहुत खुश हुए सास ने छुपकर मुझे धन्यवाद भी दिया।दो दिन बाद अकेले में मौका देखकर देवर मेरी गोद में आकर लेट गया और बोला- अब वादा पूरा करना है।मैंने उसके लंड को सहलाते हुए कहा- औरत का असली सुख चूत मारने पर ही मिलता है। रविवार को सभी हाट में जाएँगे। तब तुम अपनी जानू भाभी की चूत मार सकते हो। अब तुम जवान हो गए हो, खाने की तरह तुम्हें चूत चोदने की भी भूख लगेगी, वादा करो कि बाहर की गन्दी औरतों को कभी नहीं चोदोगे, जब तक अकेले हो, जब भी मनकरेगा मुझे बताओगे।मैंने अपने दूध खोल कर देवर को पकड़ा दिए थे और मैं उसका लण्ड निकाल कर सहलाने लगी, देवर के कान में फुसफुसा कर बोली- मेरी बहन से शादी कर लो ! दो दो चूतों के मज़े जिन्दगी भर लोगे और भाभी की सहेलियों की भी चूत चोदने को मिलेगी।देवर बोला- मैं तो तैयार हूँ लेकिन माँ और बाबूजी तैयार नहींहोंगे।मैंने कहा- वो मुझ पर छोड़ो, तुम तो तैयार हो ना?लौड़े की मस्ती और चूचियों की गर्मी ने उसे कमज़ोर बना दिया, उसने हाँ भर दी।एक विकेट गिर गया था, अभी सास और ससुर के दो विकेट गिराने बाकी थे।रविवार को सभी लोग ट्रेक्टर मेंसवार होकर शहर चले गए थे। देवर ने पढ़ाई का बहाना बना दिया। अब देवर और मैं घर पर अकेले थे। देवर ने मुझे आकर कोली में भर लिया और अपने से चिपकाते हुए बोला- भाभी आज तो बात पक्की है न?मैंने आँख मारते हुए कहा- चूत तोऔरत की मारी जाती है, भोंसड़ी के !भाभी कहते हुए मारेगा, तो क्या मार पाएगा। मैं तो अब तेरी कुतिया हूँ, आज तो घर में भी कोई नहीं है, अब देर न कर ! जल्दी से चोद दे, तेरा चिकना लौड़ा एक महीने से सहला सहला कर तो मैं भीबहुत प्यासी हो रही हूँ। देर क्यों कर रहा है कुत्ते? जल्दी से नंगी कर और अपना लंड पेल। तेरी भाभी की कुतिया चूत तुम्हारे लंड को घुसवाने के लिएतुझसे ज्यादा पगला रही है। जब चोदे तो भाभी-शाभी सब भूल के चोदियो, अब जल्दी लौड़ा निकाल और इस रसीली रांड को चोद।देवर अपने कपड़े उतारने लगा, भरा हुआ बदन था, आगे बढ़कर उसकी निप्पल नोचते हुए मैं बोली- क्या गोरा बदन है ! जल्दी से मुझे भी कपड़ों से आजाद कर दे ! पूरी चूत पानी पानी हो रही है !देवर ने आगे बढ़कर मेरी साड़ी उतार दी और ब्लाउज भी उतार कर मुझे निरावृत-वक्षा यानि टॉपलेस कर दिया और मेरे चूचों को मसलते हुए चूसने लगा।मेरा हाथ उसके कच्छे में घुस गया था, क्या कड़क लंड हो रहा था, हाथ से सहलाने पर और मोटा हो गया था, मैं काम अग्नि से जल रही थी।देवर बोला- चलो भाभी, लेटते हैं।मैंने देवर की चड्डी उतारते हुएकहा- भाभी गई भाड़ में ! मैं तो इस समय रंडी हूँ ! जो चाहे वो गाली बक कर चोद लेकिन दोबारा भाभी बोला तो मैं चली और तू अपने लंड की मुठ मार लेना।देवर का लंड हिलाते हुए बोली- कितना सुंदर कुंवारा लंड है, तेरे लंड को देखकर तो अच्छी अच्छी सावित्रियाँ का मन डोल जाएगा। आह, पहले इसे चूसने दे, फिर जम कर अपनी भोंसड़ी में डलवाती हूँ !देवर की चड्डी हटाकर मैंने दो मिनट तक उसका लंड चूसा, उसके बादहम बिस्तर पर आ गए।मैं बिस्तर पर जांघें फ़ैला कर लेट गई और देवर से बोली- चुचू के मुरब्बे चड्डी उतार ! सोच क्या रहा है?देवर ने मेरी चड्डी उतार दी और चिकनी चूत पर हाथ फिराते हुए बोला- आह, कितनी मस्त चूत है।देवर ने मेरी चूत पर लंड लगा दिया और चूचियाँ पकड़ कर मेरे ऊपर लेट गया और मेरी गेंदों को गोल गोल घुमाने लगा, दो तीन बार लंड को धक्का दिया, लंड अंदर घुसही नहीं रहा था।मैं बोली- साले, हरामी तेरे बाप और भाई तो गाँव की औरतों की चूत और गांड 19 साल की उम्र से चोदतेआ रहे हैं और तूने अभी तक चूत में घुसना भी नहीं सीखा है? मादरचोद छेद पर लगाएगा तभी तो अंदर घुसेगा !हाथ से उसका लंड पकड़ कर थोड़ा नीचे करके मैंने अपनी चूत के होंटों पर लगा दिया और बोली- अब धक्का मार !देवर में ताकत तो थी ही, एक ही धक्के में लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया, मैं उन्माद से चिल्ला उठी- आह... आह... आह... उह... मज़ा आ गया... आह... और चोद मेरे प्यारे विनोद कुत्ते... क्या ठोका है... फाड़ दे इस कुतिया की... मज़ा आ गया !मैंने देवर का मुँह अपनी चूचियों पर लगा लिया, देवर धीरे धीरे मेरी चूत में धक्के मार रहा था। धीरे धक्कों से नए लंड से चुदने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहाथा।देवर की यह पहली चुदाई थी, उ... आह... उह... आह... की आवाज़ों से कमरा गूंज रहा था, हम दोनों चुदाई के मज़े ले रहे थे।5 मिनट की चुदाई के बाद देवर झड़ गया तो मैंने उसे अपने स्तनों में चिपका लिया। देवर का लंड फिर सुलगने लगा था। देवर के बाल सहलाते हुए मैंने उसके कान में कहा- कुत्ते, तूने तो मेरी कुतिया चूत को मस्त कर दिया, चल तेरे लिए दूध लाती हूँ ! उसके बाद दुबारा खेलते हैं।दूध पिलाने के बाद देवर को अपनी गोद में लिटाते हुए देवर के लंड की मालिश करने लगी, देवर से बोली- गाली सुनते हुए चुदने में मुझे बड़ा मज़ा आया, तुम्हें बुरा तो नहीं लगा?देवर मेरी चूचियों से चिपकता हुआ बोला- आज तो मुझे जीवन का सबसे बड़ा आनन्द आया है, एक बार और चोदने का मन कर रहा है। देवर का लंड फिर कड़क हो गया था, मैंने उसके होंटों को चूमते हुए कहा- 6बजे के बाद रात ही सब आते हैं, तबतक एक बार नहीं जितनी बार तुम कहोगे उतनी बार अपनी चूत में तुम्हारा लंड लूँगी।झूठा नाटक करते हुए मैं बोली- सचतुम्हारा लंड तो बहुत अच्छा है, कितनी देर तक मेरी चूत इसने चोदी है, मुझे तो इतना मज़ा कभी नहीं आया। तुम्हारे भैया तो एक मिनट से ज्यादा चोद ही नहीं पाते हैं। अबकी प्यार से रसीली बोलते हुए चोदना।देवर को उठाते हुए बोली- अब इस रसीली को अपने लौड़े पर बिठाओ।देवर दोनों जांघें फ़ैला दीं, लौड़ा पूरा ऊपर की ओर तना हुआ था, बिस्तर पर फिसलती हुई मैं देवर की गोद में इस तरह से बैठ गई कि देवर का लंड मेरी चूत के मुँह परटन टन कर रहा था, चूचियों की घुन्डियाँ उसके हाथ में खेल रहीथीं।मैं देवर से बोली- मेरी चूत के राजा इस हरामी लंड को टन टन क्यों करा रहे हो, चूत में पेलो ना !और अपने को थोड़ा उठाते हुए लंड चूत में डलवा लिया। लंड अब आराम से चूत में घुसा हुआ था और दोनोंचूचियाँ दब रहीं थीं।विनोद चूचियों का दबा दबा कर जूस निकाल रहा था, उसने मेरे ऊपरझुककर मेरे होंट चूसना शुरू कर दिए थे।आह मस्त मज़ा आ रहा था !इसके बाद बहुत देर तक इस आसन मेंबैठकर हम मज़े लेते रहे, लौड़ा चूतमें डला हुआ था। अब मेरा मन कर रहा था कि मेरी चूत की पिलाई हो !थोड़ी देर बाद मैं बिस्तर पर आगे झुक गई और बोली- विनोद अब चोद दे! चूत में तड़प ज्यादा हो रही है !और मैं पलंग पर घोड़ी बन गई, मेरी पनीली चूत पर हाथ से पकड़ कर देवरने लंड पीछे से छुला दिया और देरकिये बिना चूत में लंड घुसा दिया।आह ! एक कुशल खिलाड़ी की तरह विनोद मेरी चूत पेलने लगा।"उह... उह... आह... पेल मेरे राजा, पेल ! आह ! और चोद ! चोद ! क्या चोदता है कुत्ते, मज़ा आ गया ! पेलऔर पेल ! वाःह वाह, क्या मस्त मज़ादिया है, पूरी फाड़ डाली है, चोद और चोद ! बड़ा मज़ा आ रहा है !" वाह क्या चुदाई हुई थी।देवर अब चोदू देवर में बदल गया था। चुदाई के बाद हम हट गए। शाम के 3 बज़ रहे थे उठकर मैंने साड़ी ब्लाउज पहन लिया, अब मैं एक शरीफऔर शर्मीली दुल्हन लग रही थी। मैंने पास से एक कागज़ निकाला और बोली- अगर तुम्हें मज़ा आया है तोइस पर 'आई लव यू' लिख दो।देवर ने बिना देर किये 'आई लव यू ! विनोद' लिख दिया। यह मेरी बहन रजनी की फोटो का पीछे का हिस्सा था। देवर की पप्पी लेते हुए मन ही मनबोली- रजनी को तो मैं तुम्हारी बीवी बनाकर रहूँगी।दो दिन बाद देवर की पोस्टिंग बैंक ऑफिसर के पद पर गाँव से दो घंटे की दूरी पर हो गई अब वो रोज़ बैंक आने जाने लगा। 4-5 दिन बाद मैंने अपनी बहन को अपने यहाँ बुला लिया। मेरी बहन मेरी तरह बदमाश नहीं थी, विनोद की उससे अच्छी पटी। मैंने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि विनोद उसे चोद न दे। मेरी चुदाई करने के बाद से विनोद का लंड चोदने केलिए फड़फड़ा रहा था।एक रविवार शाम को घर में कोई नहीं था, मैं खाना बना रही थी, उसने पीछे से मेरे दूध दबा लिए और गांड पर लंड चिपकाते हुए कहा-भाभी चोदने का बहुत मन कर रहा है।मैंने मुड़कर उसकी पप्पी लेते हुए कहा- मुझे पता है, एक बार चूतचोदने के बाद बिना चोदे नहीं रहा जाता। अब तुम्हारी शादी रजनी से जल्दी करनी पड़ेगी।देवर बोला- भाभी, लंड में तो आग लगी हुई है, एक बार चूत मारने दो न।मैंने उसके गालों पर नोचते हुए कहा- मेरी सासू जी बाहर सब्जी लेरही हैं, कभी अकेले होंगे तब मारलेना।तभी दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई, देवर बाहर भागा।सासू अंदर आ गई थीं, बोली- बहू, सब्जी रख मैं नहा कर आती हूँ। विनोद, तू बाहर का दरवाज़ा बंद करदे, गाय आ जाएगी !सासू नहाने चली गई, विनोद दरवाज़ा बंद करके आ गया, मुझे देखकर कान पकड़ते हुए बोला- बाल बाल बचे !मैंने इशारे से पास बुलाया और जाकर बाथरूम का दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया।विनोद आश्चर्य से बोला- बाथरूम में तो मम्मी हैं।मैंने पीछे से साड़ी उठाते हुए देवर को आँख मारी और बोली- अपना लंड अब जल्दी से मेरी चूत में पेल दे ! रसोई की स्लैब के पत्थर पर मैं झुक गई, देवर ने पीछे से मेरी साड़ी और ऊपर तक उठा दी और पैंट से अपना लंबा सा लंड निकाल कर पीछे से मेरी चूत में पेल दिया और मुझे चोदने लगा। उह आह की आवाजें करते हुए मैं चुदाई का मज़ा लेने लगी।पाँच मिनट देवर ने जम कर अपने लंड को मेरी चूत में रगड़ा और अपना वीर्य मेरी मटकी में भर दिया।मैंने देवर की एक पप्पी ली और बोली- अब जाकर बाथरूम का दरवाज़ा खोल दो।मेरी सास हर सोमवार को मेरे पति के साथ सुबह दो घंटे के लिए मंदिर जाती थीं। सास के जाने के बाद मैं नहाने चली गई। मैं पूरी नंगी होकर नहाती थी, जब मैं नहा रही थी तब मुझे लगा देवर चोर आँखों से झांक कर मेरे नग्न संगमरमरी बदन का नज़ारा ले रहा है। मैंने अपनी चूत में उंगली डाली, इसके बाद अपनी चूचियाँ साबुन से मलते हुए दबाने लगी। दस मिनट तक मैं नहाने का मज़ा लेती रही और देखने वाले को देती रही। नहा कर जब बाहर आई तो एक बीड़ी बाहर पड़ी हुई थी।अचानक मुझे याद आया देवर तो आज बैंक गए हैं और घर में नहीं हैं, बीड़ी तो घर में सिर्फ ससुर ही पीते है। अब मेरी समझ में आ गया मेरा कुत्ता ससुर ही मेरी नंगी जवानी के मज़े ले रहा था। चंपा पहले ही मुझे बता चुकी थी कि ये मेरे असली ससुर नहीं हैं, ये मेरे पति के चाचा थे और मेरे असली ससुर के मरने के बाद गलत संबंधों के चलते इनकी शादी मेरीसास से हो गई थी। चंपा ने एक बार मुझे बताया था जब भी सास मामा केया कहीं दो-तीन दिन को बाहर जातीहैं तब ये घर में काम करने वाली 33-34 साल की चमेली से अपने बदन की मालिश करवाते हैं और एक बार दो साल पहले पटना के एक होटल मेंलड़की चोदते हुए पकड़े भी गए थे। मेरे मन में एक कुटिल योजना जन्म लेने लगी।एक महीने बाद सास को किसी काम सेमाएके जाना पड़ा। देवर बैंक चले गए थे और पति खेत में चले गए। घर में ससुर अकेले थे। मैं जान कर नौकरानी चमेली के आने से पहले नहाने गई और ससुर जी से बोली- पापा जी, मैं नहाने जा रही हूँ, नहा कर आपकी चाय बना दूँगी।आदत से मजबूर ससुर ने बाथरूम में झांकना शुरू कर दिया मैं भी बेशर्म होकर नंगी नहाने लगी और उन्हें नग्न जवानी देखने का पूरा मज़ा दिया। मैं चाह रही थी कि ससुर जी का लंड आज पूरा गर्म हो और वो नौकरानी चमेली को चोदें।चमेली के आने के बाद मैं नहा कर बाहर आई। चमेली ऊपर काम कर रही थी मैंने चाय बनाई और टॉपलेस बदन के ऊपर साड़ी का पल्लू गीला करके डाल लिया, पूरी चूचियाँ साड़ी के बाहर से नंगी चमक रही थीं। चाय लेकर मैं ससुर जी के पास गई और मुस्कराते हुए चाय मेज पर रख दी।इसके बाद जानबूझ कर साड़ी का पल्ला नीचे गिरा दिया दोनों नंगे कबूतर बाहर आ गए ससुर जी का मुर्गा कबूतर देखकर कुकडूं कुं करने लगा। मैंने अपने दोनों दूध ढके और घबराने का नाटक करते हुए बोली- ओह, आपकी चाय बनाने के चक्कर मैंब्लाउज पहनना तो मैं भूल ही गई।मैं बाहर आ गई बाहर आकर मैंने अच्छी तरह से कपड़े पहने और अंदर जाकर पूरा घूंघट डालकर बोली- पापाजी, आज की बात सासू माँ को मत बताना। मुझे बड़ी शर्म आ रही है। मैं चंपा भाभी के पास जा रहीहूँ, एक घंटे बाद आऊँगी। ऊपर चमेली काम कर रही है, कुछ काम हो तो उसे बता दीजियेगा।ससुर का जवाब सुने बिना मैं दरवाज़े तक आई और दरवाज़ा खोलकर वापस घर में अंदर घुस गई और छुप कर एक कमरे में बैठ गई। मुझे आज चमेली की चुदाई देखनी थी।जैसा मैंने सोचा था, वैसा ही हुआ, ससुर 5 मिनट बाद बाहर निकलाऔर उसने बाहर का दरवाज़ा बंद करके चमेली को इशारे से नीचे बुला लिया। छत पर चढ़कर मैंने रोशनदान से देखा तो चमेली ससुर की टांगों पर बैठी थी और ससुर कीदेसी अंगिया का नाड़ा खोल रही थी। सुसर ने उसकी ब्लाउज को खोलकर उसकी चूचियाँ लपक ली थीं और उन्हें मल रहा था।थोड़ी देर में ससुर का लंड चमेली के हाथ में था। वाह क्या मोटा लंड था, बिल्कुल मेरे पति की तरह।ससुर का लौड़ा सहलाते हुए चमेली बोली- आज तो शेर के बहुत दिन बाद दर्शन हो रहे हैं।ससुर खी खी करते हुए बोला- जल्दीसे चुस्सी कर ले, जब से बहू आई है, मौका ही नहीं मिलता है।चमेली ने खड़े होकर अपना पेटीकोटअलग किया और बोली- कुछ माल तो दे दो !ससुर ने एक 500 का नोट थमा दिया।चमेली लौड़े को सहलाते हुए बोली- बहू तो तुम्हारी बड़ी माल है। बाथरूम में झांक झांक कर खूब मज़े लेते हो?ससुर ने उसकी गांड दबाते हुए कहा- थोड़ा धीरे बोल, दीवारों के भी कान होते हैं। अब जल्दी से लंड चूस, आज तो बहु का नंगा बदन देखकर आग लगी हुई है, क्या माल रसीला बदन है, काश चोदने को मिल जाए।चंपा झुककर सुसरे का लौड़ा चूसनेलगी। चमेली को हटाते हुए ससुर ने उसे बिस्तर पर लेटा दिया, अपनी टांगें चौड़ी करते हुए चमेली बोली- तुम बाप बेटे ने तो मेरी चूत का भोंसड़ा कर दिया है, अगली बार से हज़ार रुपए लूँगी ! कल साले राजू ने खेतों में पकड़ लिया था, उसने और चंपा के आदमी ने मेरी 1 घंटे तक बजाई। अभी तक दुःख रही है।ससुर ने चंपा की चूत में उंगली घुसा दी और बोला- नाराज़ क्यों होती है अगली बार से हज़ार पक्के! कुतिया तेरी जवानी इतनी मदमस्त है, कोई चोदे बिना रह ही नहीं सकता।ससुरे का लौड़ा चमेली की चूत में घुस चुका था, उसकी चूचियाँ जोरों से हिल रही थीं, ससुर धक्के पर धक्के मारे जा रहा था। शहर में 50 का आदमी ठीक से चल नहीं पाता, यहाँ यह कुत्ता बांका जवान बना हुआ था।इसके बाद ससुर ने चमेली को अपनी गोद में बिठा लिया और पीछे से लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया अंदर घुसा हुआ लंड और चमेली की मसलती हुई चूचियों ने मेरी चूत में आग लगा दी थी। चमेली चूचियाँ दबवाती हुई उह आह करते हुए चुदवा रही थी।चुदाई चरम सीमा पर थी।कुछ देर बाद ससुर ने अपना वीर्य त्याग दिया और उठते हुए बोला- थोड़ी तेल मालिश कर दे। आज तो मज़ाआ गया। जब से बहू को नंगी नहाते हुए देखा है, लौड़ा तब से टनक भी बहुत रहा था। साली रसीली की क्या मस्त गदराई हुई मांसल चूचियाँ हैं। चमेली को हटाते हुए ससुर ने उसे बिस्तर पर लेटा दिया, अपनी टांगें चौड़ी करते हुए चमेली बोली- तुम बाप बेटे ने तो मेरी चूत का भोंसड़ा कर दिया है, अगली बार से हज़ार रुपए लूँगी ! कल साले राजू ने खेतों में पकड़ लिया था, उसने और चंपा के आदमी ने मेरी 1 घंटे तक बजाई। अभी तक दुःख रही है।ससुर ने चंपा की चूत में उंगली घुसा दी और बोला- नाराज़ क्यों होती है अगली बार से हज़ार पक्के! कुतिया तेरी जवानी इतनी मदमस्त है, कोई चोदे बिना रह ही नहीं सकता।ससुरे का लौड़ा चमेली की चूत में घुस चुका था, उसकी चूचियाँ जोरों से हिल रही थीं, ससुर धक्के पर धक्के मारे जा रहा था। शहर में 50 का आदमी ठीक से चल नहीं पाता, यहाँ यह कुत्ता बांका जवान बना हुआ था।इसके बाद ससुर ने चमेली को अपनी गोद में बिठा लिया और पीछे से लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया अंदर घुसा हुआ लंड और चमेली की मसलती हुई चूचियों ने मेरी चूत में आग लगा दी थी। चमेली चूचियाँ दबवाती हुई उह आह करते हुए चुदवा रही थी।चुदाई चरम सीमा पर थी।कुछ देर बाद ससुर ने अपना वीर्य त्याग दिया और उठते हुए बोला- थोड़ी तेल मालिश कर दे। आज तो मज़ाआ गया। जब से बहू को नंगी नहाते हुए देखा है, लौड़ा तब से टनक भी बहुत रहा था। साली रसीली की क्या मस्त गदराई हुई मांसल चूचियाँ हैं।चमेली ससुर के लौड़े और जाँघों की तेल मालिश कर रही थी। चमेली ससुर के लौड़े को मुट्ठी में भर कर मस्ती से उसकी मालिश में लगी हुई थी। दोनों नंगे बैठे हुए थे ससुरजी उसकी चूचियाँ मसल रहे थे। मैं एकदम से अंदर घुस गई, दोनों हड़बड़ा कर हट गए। ससुर का लौड़ा पूरा तना हुआ था, मैं कुटिलमुस्कराहट देती हुई बाहर आ गई थी।कुछ देर बाद चमेली बाहर आ गई और बोली- दीदी, किसी को बताना नहीं, बाबूजी का मन था तो मालिश कर रहीथी।मैंने उसकी चूतड़ों पर हाथ फेरतेहुए कहा- मैंने सब देख लिया था। लेकिन तुम घबराओ नहीं और यह ले 1000 रुपए, तुझे एक छोटा सा काम बाद में बताऊँगी, कर देना, अब जब तेरा मन हो, तब ससुर जी से चुदवा लेना, मैं तो तेरी सहेली हूँ मैंकिसी से कुछ नहीं कहूँगी। अब तू जा मौज कर।इसके बाद मैं ससुर के कमरे में आगई, ससुर झेंपते हुए से कुरता पहन रहे थे, नज़रें नीची करके बोले- रसीली किसी को बताना नहीं,मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ।कामुक सी अंगड़ाई लेते हुए मैंनेकहा- पापा जी, आप बेकार ही परेशान हो रहे हैं।मैंने नादान बनते हुए 50 साल के ससुर से झूठ बोला- पापा जी मुझे पता है, आप तो अभी सिर्फ 40 के आस पास ही हैं और मम्मीजी आप से 10 साल बड़ी हैं। इस उम्र में तो मन करेगा ही। जब भी घर में हम लोग अकेले हों आप चमेली के साथ जो करना चाहें वो कर लिया करिए, मैंकिसी से नहीं कहूँगी।सुबह चमेली के आने के बाद मेरी सास बाहर भैंसों का काम करने जाती थीं तो 1 घंटे बाद ही वापस आती थीं। अगले दिन मेरी सहमति से चमेली ससुर की मालिश रोज़ इस एक घंटे के बीच करने लगी और सोमवार को जब सासुजी दो घंटे को मंदिर जाती थीं। ससुर साहब लौड़ेसे चमेली की चूत की मालिश कर देते थे।ससुर को अब रोज़ मालिश की आदत पड़ गई थी। यह सब मेरे सहयोग से हो रहा था ! एक सोमवार मैं ससुर के पास लो-कटब्लाउज और पेटीकोट में गई और बोली- पापाजी अगर मेरी बहन की शादी विनोद से हो जाए तो हमारा घर और सुंदर हो जाएगा।ससुर बोले- तेरी सास नहीं मानेगी। मैंने अपनी नाभि पर उंगली घुमाते हुए कहा- पापाजी, कभी बात चले सासू माँ से तो आप मेरी बहन की तारीफ़ कर देना। आपको तो शादी में कोई दिक्कत नहीं है न?ससुर जी का चमेली को चोदने का समय हो रहा था, ससुर बोल पड़े- नहीं नहीं मुझे कोई दिक्कत नहींहै, मैं तेरी हर तरह से मदद कर दूंगा। तू जरा चमेली को भेज दे, कुछ काम है उससे !मैंने कहा- अभी भेजती हूँ।मैं मुस्करा कर वहाँ से चली आई।मेरी सास कभी कभी मेरे देवर विनोद का कमरा खुद ही साफ़ कर देती थीं। एक दिन वो कमरा साफ़ करने जा रही थीं, तब मैंने अपनी बहन रजनी की वो फोटो जिसके पीछे विनोद ने आई लव यू विनोद लिखा था, पलंग के नीचे रख दी और दरवाज़े की ओट से देखने लगी।जैसे ही सास ने पलंग का गद्दा उठाया नीचे मेरी बहन की फोटो रखी थी, फोटो उठाकर वो थोड़ी देर देखती रहीं। मैं पीछे से उनके पास पहुँच गई और अनजान बनते हुए बोली- अरे, यह रजनी की फोटो कहाँ से आई?मैंने मम्मीजी के हाथों से फोटोले ली, उसका पीछे का हिस्सा मेरीतरफ था उस पर लिखा हुआ था आई लव यू विनोद।मम्मीजी की तरफ मुड़ते हुए मैंनेपीछे का हिस्सा दिखाया और बोली- मम्मीजी, विनोद तो मेरी बहन से प्यार करने लगा है, दोनों की शादी हो जाए तो कैसा रहे?तभी मेरा ससुरा भी उधर से निकला,मैंने लंबा सा घूँघट डाल लिया और बोली- पापाजी, विनोद मेरी बहनसे प्यार करते हैं, देखिये !और मैंने फोटो उनकी तरफ बढ़ा दी।ससुर बोले- अरे यह तो अच्छी बात है, दोनों बहनें एक घर में आ जाएँगी तो अच्छा रहेगा।सास बोली- अभी तू जाकर काम कर ! बाद में बात करना इस बारे में !फोटो उठाकर मैंने अपने पास रख ली।अगले दिन रविवार था, मैं सास के पास बैठी थी, देवर उधर से निकला, मैंने पास बुलाकर पूछा- भैयाजी आपको रजनी पसंद है ना, आप उससे शादी करना चाहते हैं ना?देवर सास का बिगड़ा मुँह देखकर बोलने से डर रहा था। मैंने वो फोटो निकालकर उसे दिखाई और बोली- यह आपने ही तो लिखा है। देवर झेंपते हुए बोला- हाँ मैंने ही लिखा है।सासू मुँह बनाते हुए बोली- देख रसीली, तेरी शादी में तो लड़की वालों का खर्च भी हमने उठाया था,अब विनोद से बहन की शादी करनी हैतो अपने बाप से कहना दस लाख रु दहेज़ के देने होंगे।मैं बोली- इतना तो मेरे पापा नहीं दे पाएंगे।सासु बोली- तो मैं अपने विनोद कीशादी तेरी बहन से नहीं करती।शाम को थोड़ी देर के लिए देवर अकेला था, वो मेरे सामने थोड़ा झेंप रहा था, मैंने खुद आगे बढ़करउसको कस कर चिपकाया और उसके होंटों में होंट डालकर एक लम्बाचुम्बन लिया और बोली- सेक्स का मन कर रहा है?देवर बोला- मन तो बहुत कर रहा है लेकिन कैसे करेंगे?मैंने कहा- तुम्हें मेरी दो बातें माननी पड़ेगी।देवर बोला- क्या?मैंने कहा- पहली, तुम्हें 30 दिनतक दाढ़ी नहीं बनानी है, और दूसरा, काम 20 दिन बाद मैं तुम्हें बताऊँगी।देवर बोला- मंजूर है।मैंने कहा- आज तेरे भैया तो ट्रैक्टर का सामान लेने पटना गएहैं, कल आएँगे, रात को एक बजे छुपकर कमरे में आ जाना, अच्छी तरह से चुदाई का खेल खेले बहुत दिन हो गए हैं।देवर रात को छुपते हुए मेरे कमरे में आ गया, मैंने उसे अपनी बाहों में भरते हुए कहा- तुमने अपनी माँ के सामने यह बात मान लीकि तुम रजनी से प्यार करते हो। मैं बहुत खुश हूँ, आज मैं पूरी रात तुम्हे मज़ा दूंगी।"भाभी, माँ ने तो शादी के लिए मनाकर दिया है?"देवर का पजामा नीचे सरकाते हुए बोली- उसकी चिंता न करो, तुम्हारी शादी रजनी से ही होगी।देखो तुम नर्वस हो रहे हो, तुम्हारा लंड पूरा मूंगफली हो रहा है। लाओ इसे पहले चूस कर कड़ककरती हूँ !मैंने अपना ब्लाउज उतारा और इसके बाद देवर के लंड का टोपा बाहर निकाल कर 3-4 बार उस पर अपनी जीभ फिराई। लंड ने हिचकोलेमारने शुरू कर दिया था, अब उसे मैंने अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। थोड़ी देर में ही कड़क लम्बा लंड मेरे सामने था। देवर ने इस बीच मेरे हॉर्न बजा बजा करचूचियाँ गरम कर दीं थीं। देवर ने मुझे गोद में उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया और मेरा पेटीकोट खींच कर नीचे उतार दिया।देवर अपने हाथ से मेरी चूत सहलाते हुए बोला- रसीली भाभी, चूत तो आपकी बहुत चिकनी हो रही है?मैंने देवर को भींचते हुए कहा- तुम्हारे लिए की है, एक बार चूस कर देखो ना बड़ा मज़ा आता है !हम दोनों 69 में लेट गए, देवर ने चूत के दाने पर सीधा मुँह रखा औरउसे चूसने लगा।"आह, कितना मज़ा आ रहा है !" मैंने भी उसका लंड मुँह में डाल लिया। गज़ब का मज़ा आ रहा था, देवर की जीभमेरी चूत की फलकों में घुस गई थी।कुछ देर तक हम दोनों ने एक दूसरेके गुप्त अंगों को चूसा इसके बाद मैंने देवर को हटा कर अपने चूतड़ों के नीचे मोटा तकिया रखा और उसकी पप्पी लेते हुए बोली- अबअपनी प्यारी कुतिया भाभी को चोददो !देवर ने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और उसे धीरे से अंदर घुसा दिया और मेरे ऊपर गिरते हुए पूरा अंदर तक पेल दिया।आह, बड़ा मज़ा आ रहा था। सुबह पति ने चोदा था और अब देवर पेल रहा था, सच मेरी चूत को लौड़े खाने में बड़ा मज़ा आता है। हर लंड से चुदने का एक अलग ही मज़ा होता है।देवर पूरा मज़ा दे रहा था, उसने दनादन मेरी चूत पेलनी शुरू कर दी।आह... आ... ओह... उह... उह... की आवाज़ों से कमरा गूंजने लगा।मैं देवर के गालों की पप्पी लेते हुए बोली- थोड़ा लंड को चूत में आराम करने दो, इतना पेलोगे तो थक जाओगे !देवर ने पेलना रोक दिया, अंदर चूत में मोटा लंड घुसाकर मेरी चुचूकों को चूसने लगा। मुझे बड़ाआनन्द आ रहा था।कुछ देर बाद उसने मेरी चूत में 3-4 धक्के और मारे और अपने वीर्यकि मेरी चूत की कन्दरा में भर दिया।अब हम दोनों चिपक कर बातें करने लगे, देवर ने बातें करते करते मेरी गांड में उंगली घुसा दी और भोले बनते हुए पूछा- भाभी, गांड में भी लंड डाला जाता है ना?मैंने उसके गाल नोचते हुए कहा- जहाँ छेद हो, लंड तो वहाँ घुस ही सकता है, लेकिन जो मज़ा चूत चोदनेका है, वो किसी और जगह का नहीं है। तेरे भैया गांड चोदते हैं, इसी कारण जल्दी झड़ जाते हैं। गांड कभी मत चोदना, लंड कमजोर होजाता है। दुनिया में जानवर तक गांड नहीं चोदते।मैं नहीं चाहती थी कि शादी के बाद देवर मेरी बहन की गांड मारे।देवर मेरी बातों से संतुष्ट दिख रहा था। इसके बाद मैंने उसके होंटों पर एक पप्पी ली और बोली- लेकिन पीछे से चूत मारने का मज़ा अलग ही है... कुछ देर बाद उसने मेरी चूत में 3-4 धक्के और मारे और अपने वीर्य कि मेरी चूत की कन्दरा में भर दिया। अब हम दोनों चिपक कर बातें करने लगे, देवर ने बातें करते करते मेरी गांड में उंगली घुसा दी और भोले बनते हुए पूछा- भाभी, गांड में भी लंड डाला जाता है ना? मैंने उसके गाल नोचते हुए कहा- जहाँ छेद हो, लंड तो वहाँ घुस ही सकता है, लेकिन जो मज़ा चूत चोदने का है, वो किसी और जगह का नहीं है। तेरे भैया गांड चोदते हैं, इसी कारण जल्दी झड़ जाते हैं। गांड कभी मत चोदना, लंड कमजोर हो जाता है। दुनिया में जानवर तक गांड नहीं चोदते। मैं नहीं चाहती थी कि शादी के बाद देवर मेरी बहन की गांड मारे।देवर मेरी बातों से संतुष्ट दिख रहा था। इसके बाद मैंने उसके होंटों पर एक पप्पी ली और बोली- लेकिन पीछे से चूत मारने का मज़ा अलग ही है... अब जरा पीछे से एक बार मेरी चूत चोद दो। मैं बिस्तर पर चूतड़ उचका कर लेट गई। देवर अब एक अच्छा चोदु हो गया था, उसने बिना देर किये अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और पीछे से मुझे चोद दिया। एक बार दुबारा मैं वीर्य से नहा गई थी। अगले दिन से देवर ने मेरे कहे अनुसार दाढ़ी बढ़ानी शुरू कर दी, उसने मुझसे वादा जो किया था। जब 10 दिन बाद दाढ़ी अच्छी बढ़ गई तो सासू ने बहुत कहा लेकिन उसने दाढ़ी नहीं बनाई। 20 दिन बाद मैंने काम वाली बाई चमेली को 1000 रु दिए और उसके कान में कुछ बातें कहीं। अगले दिन चमेली मेरे सामने कुछ कागज सासू जी को दिखाती हुई बोली- माताजी, ये कागज मुझे विनोद भैया के कमरे से मिले हैं। उन कागजों पर मैंने जान कर खून से 'आई लव यू रजनी !' 5-6 बार अपने हाथों से लिख कर चमेली को दे दिया था। चमेली बोली- माताजी, भैया की हालत ठीक नहीं है। रोज़ शाम को 3-4 दिन से वो शाम को जंगल वाले हनुमान जी के मंदिर के पास जो रेलवे लाइन है उस पर खड़े रहते हैं। कल मैं आपको ले चलूँगी। मैंने शाम को देवर से कहा- दूसरी बात कल मैं तुम्हें शाम को 4 बजे जंगल वाले हनुमान जी जो रेलवे लाइन के पास है, वहाँ आकर बताऊँगी, अगर मैं 5 बजे तक नहीं आती हूँ तब तुम वापस आ जाना। अगले दिन चमेली मेरे कहे अनुसार मेरी सास को तीन बजे ही रेलवे लाइन पर ले गई। देवर चार बजे वहाँ पहुँचा और मेरा इंतज़ार करने लगा। यह सब देखकर सास बहुत डर गई कि कहीं विनोद कट के मर न जाए, दौड़ती हुई विनोद के पास गई और हाँफते हुए बोली- तू घर चल ! मैं तेरी शादी रजनी से करा दूँगी, मुझे कुछ नहीं चाहिए। देवर कुछ समझ नहीं पाया, वो सासू के साथ वापस आ गया। घर आते ही सास घबराते हुए बोली- रसीली, मैं शादी के लिए तैयार हूँ, मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैंने उन्हें पानी दिया और बोली- मम्मीजी, आप पानी पियें, कल हम इस बारे में बात करेंगे। मेरा प्लान सफल हो गया था। मैंने शाम को ही देवर की दाढ़ी बनवा दी। कुछ देर बाद उसने मेरी चूत में 3-4 धक्के और मारे और अपने वीर्यकि मेरी चूत की कन्दरा में भर दिया।अब हम दोनों चिपक कर बातें करने लगे, देवर ने बातें करते करते मेरी गांड में उंगली घुसा दी और भोले बनते हुए पूछा- भाभी, गांड में भी लंड डाला जाता है ना?मैंने उसके गाल नोचते हुए कहा- जहाँ छेद हो, लंड तो वहाँ घुस ही सकता है, लेकिन जो मज़ा चूत चोदनेका है, वो किसी और जगह का नहीं है। तेरे भैया गांड चोदते हैं, इसी कारण जल्दी झड़ जाते हैं। गांड कभी मत चोदना, लंड कमजोर होजाता है। दुनिया में जानवर तक गांड नहीं चोदते।मैं नहीं चाहती थी कि शादी के बाद देवर मेरी बहन की गांड मारे।देवर मेरी बातों से संतुष्ट दिख रहा था। इसके बाद मैंने उसके होंटों पर एक पप्पी ली और बोली- लेकिन पीछे से चूत मारने का मज़ा अलग ही है... अब जरा पीछे से एक बार मेरी चूत चोद दो।मैं बिस्तर पर चूतड़ उचका कर लेट गई।देवर अब एक अच्छा चोदु हो गया था, उसने बिना देर किये अपना लंडमेरी चूत में घुसा दिया और पीछे से मुझे चोद दिया। एक बार दुबारा मैं वीर्य से नहा गई थी।अगले दिन से देवर ने मेरे कहे अनुसार दाढ़ी बढ़ानी शुरू कर दी, उसने मुझसे वादा जो किया था। जब 10 दिन बाद दाढ़ी अच्छी बढ़ गई तो सासू ने बहुत कहा लेकिन उसने दाढ़ी नहीं बनाई।20 दिन बाद मैंने काम वाली बाई चमेली को 1000 रु दिए और उसके कान में कुछ बातें कहीं।अगले दिन चमेली मेरे सामने कुछ कागज सासू जी को दिखाती हुई बोली- माताजी, ये कागज मुझे विनोद भैया के कमरे से मिले हैं। उन कागजों पर मैंने जान कर खून से 'आई लव यू रजनी !' 5-6 बार अपने हाथों से लिख कर चमेली को दे दिया था।चमेली बोली- माताजी, भैया की हालत ठीक नहीं है। रोज़ शाम को 3-4 दिन से वो शाम को जंगल वाले हनुमान जी के मंदिर के पास जो रेलवे लाइन है उस पर खड़े रहते हैं। कल मैं आपको ले चलूँगी।मैंने शाम को देवर से कहा- दूसरीबात कल मैं तुम्हें शाम को 4 बजेजंगल वाले हनुमान जी जो रेलवे लाइन के पास है, वहाँ आकर बताऊँगी, अगर मैं 5 बजे तक नहीं आती हूँ तब तुम वापस आ जाना।अगले दिन चमेली मेरे कहे अनुसारमेरी सास को तीन बजे ही रेलवे लाइन पर ले गई। देवर चार बजे वहाँ पहुँचा और मेरा इंतज़ार करने लगा।यह सब देखकर सास बहुत डर गई कि कहीं विनोद कट के मर न जाए, दौड़ती हुई विनोद के पास गई और हाँफते हुए बोली- तू घर चल ! मैं तेरी शादी रजनी से करा दूँगी, मुझे कुछ नहीं चाहिए।देवर कुछ समझ नहीं पाया, वो सासूके साथ वापस आ गया। घर आते ही सास घबराते हुए बोली- रसीली, मैंशादी के लिए तैयार हूँ, मुझे कुछनहीं चाहिए।मैंने उन्हें पानी दिया और बोली- मम्मीजी, आप पानी पियें, कल हम इस बारे में बात करेंगे।मेरा प्लान सफल हो गया था। मैंने शाम को ही देवर की दाढ़ी बनवा दी।अगले दिन सास से मेरी बात हुई, वो शाम की घटना से डरी हुई थीं, बोली- मुझे पैसे वैसे कुछ नहीं चाहिए। जैसा तुम लोग चाहो, वैसे शादी हो जाएगी।मैंने उनसे कहा- मेरा भाई कमाने लगा है, पापा मम्मी शादी तो अच्छी करेंगे लेकिन नकद पैसा नहीं दे पाएँगे।सब बात हो गई। मैंने दो लाख रुपएअपनी माँ के पास पहले ही रखवा रखे थे। इसलिए धूमधाम से शादी में कोई दिक्कत नहीं थी। अगले दिन मैं अपने मायके जाने के लिए तैयार होने लगी। घर पहुँच कर मैंने सारी बात अपनी माँ को बताई, माँ बहुत खुश हुई। जब मैंने माँ से कहा कि मैं दो लाख की शादी बोल आई हूँ और मैंने उनके पास जो दो लाख रखवाए थे उनसे शादी हो जाएगी।माँ बोली- लेकिन वो तो खर्च हो गए।यह सुनकर मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरक गई, मैंने चिल्लाते हुए कहा- इतने पैसे कहाँ गए?माँ बोली- बेटी 50 हज़ार तो तेरे भाई को दिल्ली में कंप्यूटर कोर्स कराने में लग गए, उसके बादही उसकी नौकरी लग पाई थी। पचास...एक बार...माँ कुछ हिचकिचा रही थीं, मैंने कहा- बोलो जल्दी बोलो !माँ बोली- एक बार तेरा भाई एक रंडी के साथ होटल में पकड़ा गया था, 50 हज़ार उसे छुड़ाने में लग गए और कुछ तेरे पापा ने घर में खर्च कर दिए, थोड़े से बैंक में हो सकते हैं।मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था, बैंककी पासबुक लेकर मैं भागकर बैंक गई। बैंक में 20 हज़ार थे। एक लाखके अलावा हर हफ्ते कभी 10 कभी 5 हज़ार निकाले गए थे। पासबुक मेरेऔर पापा के नाम थी। मन ही मन मैं बुदबुदा रही थी- साली बड़ी बेटी तो गरीबी के चक्कर में बुड्ढे से ब्याही गई, छोटी का भी यही हाल न हो। पैसे की इज्जत करना हीनहीं जानते तभी तो गरीबी सर चढ़कर बोल रही है।20 हज़ार रुपए मैंने निकाल लिए और वापस घर आ गई।शाम को ऊपर का कमरा साफ़ कर रही थी तो मैंने देखा वहाँ 3-4 विदेशी शराब की बोतलें पड़ी थीं, सबका MRP 5-6 हज़ार के बीच था। मुझे समझ में आ गया कि बाप ने पैसे विदेशी शराब में उड़ा दिए। अपने पर भी गुस्सा आ रहा था कि पैसे घर में क्यों रखवा दिए थे। भाई को फ़ोन किया- कुछ पैसे दे दे बहन की शादी के लिए !उसका जवाब ही उल्टा था- दीदी मैंकहाँ से दे दूँ? मुझे तो दस हज़ार भी नहीं पड़ते नौकरी में !मुझे गुस्सा आ रहा था, साले रंडीबजाने के लिए कम नहीं पड़ते, घर में देने के लिए कम पड़ रहे हैं।मैं बड़ी दुविधा में पड़ गई थी कि दो लाख कहाँ से आएँगे। घर का हालमैंने देख लिया था। मुझे पता था कि अगर मेरे देवर से बहन की शादीनहीं हो पाई तो उसकी आगे की जिंदगी ख़राब है।अपनी बहन की शादी कराने के लिए मैं तो कोठे पर बैठने को भी तैयार थी लेकिन 5-7 बार चुदने केकौन दो लाख दे देता, ऊपर से मेरा घर टूटने का खतरा और था। किसी तरह से मैंने इन 20 हज़ार रुपयों में बहन की सगाई की और ससुराल वापस आ गई।ससुराल में अगले दिन जब चमेली ससुर की मालिश कर रही थी तब मेरेदिमाग में एक प्लान आया। कुछ दिन बाद मेरी सास को अपने भाई केघर 2-3 दिन को जाना था। मैंने चमेली को चार सौ रुपए दिए और उससे कहा- तू 7 दिन की छुट्टी मार दे।अगले दिन से चमेली छुट्टी पर थी,ससुर 3-4 दिन बाद सोमवार को बिनामालिश के परेशान दिख रहे थे, सासघर में नहीं थीं। मैं उन्हें अर्धनग्न ब्लाउज और पेटीकोट में चाय देने गई, मैंने पूछा- पापा जी आपकी तबीयत तो ठीक है? शरीर में कुछ दर्द हो रहा है क्या?ससुर खी खी करते हुए बोले- हाँ दर्द तो हो रहा है, मालिश की जो आदत पड़ गई है। मैं अपनी नाभि पर उंगली घुमाते हुए बोली- कल मम्मीजी 3 दिन के लिए मामा के यहाँ जा रही हैं अगर आप बुरा न मानें तो कल से मैं आपकी मालिश कर दूंगी लेकिन आप किसी से भूलकर भी यह मत बताना।इतना सुनते ही ससुर के लंड में हलचल हुई और वो बोल उठे- तेरी मर्ज़ी ! मैं किसी को नहीं बताऊँगा।अगले दिन सास सुबह निकल गई, मैं और ससुर घर में अकेले थे।सुबह को ससुर बैचेनी से इधर उधर टहल रहे थे। मैं सीधी सी बनी हुईअपना काम कर रही थी। थोड़ी देर बाद उनसे रहा नहीं गया और बोल पड़े- रसीली तू कल कुछ कह रही थी !मैंने अनजान बनते हुए कहा- क्या कह रही थी?ससुर नज़रें नीची करके बोले- वो तू मालिश के लिए कह रही थी !मैं सर पर झटका देती हुई बोली- ओह पापाजी, मैं तो भूल ही गई थी, आप कमरे में पहुँचें, मैं आ रही हूँ !थोड़ी देर बाद मैं ससुर के कमरे में आ गई। ससुर जी कुछ शरमा भी रहे थे, मैंने कहा- पापाजी, हम औरआप अकेले हैं, आप कपड़े उतार दीजिये।ससुर ने अपनी धोती कुरता उतार दिया देसी चड्डी मेंउनका तना हुआ लंड साफ दिख रहा था। वो पेट के बल लेट गए, मैंने पीछे से पीठ पर उनके धीरे धीरे मालिश शुरू कर दी। मालिश करते करते मैं बोली- पापाजी मैं साड़ी उतार देती हूँ, वर्ना गन्दी हो जाएगी।10 मिनट बाद मैंने उठकर ससुर के सामने अपनी साड़ी उतार दी और पेटीकोट जानबूझ कर काफी नीचे बाँध लिया मेरा चिकना पेट और गर्भ प्रदेश पापाजी का लंड गरम किये हुए था।इसके बाद अंगड़ाई लेकर मैं बोली- अब मैं आपके पेट और सीने पर मालिश कर देती हूँ।मैं पलंग पर बैठ गई और बोली- आप शर्म छोड़कर सीधे लेट जाओ।ससुर जी लेट गए, उनके सीने पे दोनों हाथों से मैंने निप्पल नोचते हुए मालिश शुरू की और पूरे बदन पर 5 मिनट तक हाथ फिराया। लंड उनकी अंडी में पूराटनक रहा था, वो मेरी चूचियों के उभार पर अनजान बन कर हाथ लगा देते थे, मेरा हाथ भी एक दो बार उनके तने हुए लंड से टकरा चुका था।मालिश करने में मेरे ब्लाउज के बटन खुल गए थे सिर्फ दो बटन लगे हुए थे नीचे कुछ पहने नहीं थी बार बार नंगे दूध हिल रहे थे और बुड्ढे के बदन में आग लगा रहे थे, ससुर से रहा नहीं गया, उन्होंने कस कर मेरी चूचियाँ दोनों हाथों से दबा दीं।मैंने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा- पापाजी, गंदी बात !ससुर झेंप गए।कुछ देर बाद मैंने ससुर का कच्छा ऊपर उठाते हुए जाँघों की मालिश शरू कर दी। हाथ जब भी उनकीजंघा पर पहुँचता उनके टट्टों औरलंड का स्पर्श होता था। मेरी बुर का बुरा हाल हो रहा था, मन कररहा था कि सब कुछ भूल कर लंड चूत में घुसवा लूँ। लेकिन इस चूत के खेल में जल्दबाजी करना मुझे सहीनहीं लगा।ससुरे की तारीफ़ थी, 50 का हो रहा था लेकिन इतनी गरम मालिश के बाद भी लंड पूरा हथोड़े की तरह तना हुआ था। मालिश करने में अब मेरे ब्लाउज के सारे बटन खुल गए थे औरमेरी दोनों चूचियाँ बाहर निकल आइ थीं।इसके बाद मैं उठकर बोली- पापाजी आपने कच्छा नाभि के बहुत ऊपर बाँध रखा है अगर आप बुरा नहीं मानें तो तो जो थोड़ा पेट बचा है उस पर भी मालिश कर दूँ।ससुर बोले- जल्दी से कर दे ! बड़ा मज़ा आ रहा है।मैंने उनके कच्छे का नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ थोड़ा सा अंदर घुसा दिया और नाभि के चारों तरफ मालिश शुरू कर दी। बार बार मेरे हाथ उनके टनटन करते लंड के टोपे से टकरा रहा था।कहानी जारी रहेगी ! ससुरे की तारीफ़ थी, 50 का हो रहा था लेकिन इतनी गरम मालिश के बाद भी लंड पूरा हथोड़े की तरह तना हुआ था। मालिश करने में अब मेरे ब्लाउज के सारे बटन खुल गए थे औरमेरी दोनों चूचियाँ बाहर निकल आइ थीं।इसके बाद मैं उठकर बोली- पापाजी आपने कच्छा नाभि के बहुत ऊपर बाँध रखा है अगर आप बुरा नहीं मानें तो तो जो थोड़ा पेट बचा है उस पर भी मालिश कर दूँ।ससुर बोले- जल्दी से कर दे ! बड़ा मज़ा आ रहा है।मैंने उनके कच्छे का नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ थोड़ा सा अंदर घुसा दिया और नाभि के चारों तरफ मालिश शुरू कर दी। बार बार मेरे हाथ उनके टनटन करते लंड के टोपे से टकरा रहा था।ससुर का धैर्य जवाब दे गया, उसनेमेरी चूचियाँ कस कर दबा दीं और बोले- रसीली, अब रहा नहीं जा रहा! इन संतरों को थोड़ा दबा लेने दो।मैंने उनका हाथ हटाते हुए कहा- आपका इतना मन कर रहा है तो इन्हें अच्छी तरह दबाएँ और चूसें। आपको मैं नाराज नहीं करुँगी।और मैंने अपना ब्लाउज उतार कर अपनी रसीली चूचियों पर उनका हाथरख दिया। मैं उनके ऊपर लेट गई, मेरी चूचियाँ कुछ देर मसलने के बाद उन्होंने जी भर के निप्पल मुँह में डालकर चूचियाँ चूसीं। निप्पल चूसते चूसते मेरा पेटीकोट ऊपर उठा लिया और चूतड़ दबाते हुए बोले- मालिश तो तूने मस्त करी है, थोड़ी लंड की भी मालिश कर दे।मैं उठकर बेठ गई और बिना देर किएहाथ अंदर डाल कर लंड पकड़ लिया औरबोली- पापाजी, कच्छा उतार दीजिए ना ! जब इतना कुछ हो रहा है तो अब इतनी शर्म किस बात की?ससुर बोले- रसीली, तू ही उतार दे!मैंने बिना देर किये उनकी चड्डीउतार दी। साले हरामी का क्या मोटा लंड था, देवर और मेरे पति से 20 ही था, मन कर रहा था कि अभी चूत में घुसवा लूँ।सहलाने में मस्त मज़ा आ गया, तेल से मैंने पूरा लंड नहला दिया और दोनों हाथों के बीच में लेकर उसकी मालिश शुरू कर दी। ससुरजी भी कामुक आहें भर रहे थे, लोहा गर्म था, मैं बोली- पापाजी आप रजनी की शादी के लिए दो लाख रु का इंतजाम कर दीजिए ना ! फिर मैं आपको अपना सब कुछ दे दूँगी।ससुर मेरी चालाकी समझ रहे थे पर शवाब दिमाग पर हावी था। ससुर ने शर्म हया छोड़कर मुझे लेटा दिया और मेरी पेटीकोट खींच दिया, मेरी चिकनी चूत अब उनकी आँखों के सामने थी। उन्होंने बिना देरकिये अपना लंड मेरी चूत में लगा दिया और बोले- दो लाख कौन सी बड़ी बात है, जब से तुझे नंगी नहाते देखा है, यह लंड तो आराम ही नहीं कर पाया है !मेरे मन में ख़ुशी की घंटियाँ बजने लगीं। 'आह उह' करते हुए मैंने लंड अंदर तक घुसवा लिया और चिपकती हुई बोली- प्यार से चोदिये न अपनी बहू को ! अब तो यह आपकी अपनी चूत है।मेरी चूचियों का रस निकालते हुएससुर जी ने मुझे चोदना शुरू कर दिया, मुझे चुदाई में बड़ा मज़ा आ रहा था, मैं चिपकते हुए बोली- और चोदिये ! आह, क्या मज़ा दिया है !ससुर ने चोदना जारी रखा, 10 मिनटबाद उन्होंने वीर्य मेरी चूत में छोड़ दिया, हम दोनों दस मिनट तक चिपक रहे। ससुर बोले- एक लाख कल दे दूँगा, एक ने उधार ले रखा है, आज शाम को वापस करेगा। पटना अगले हफ्ते जाऊँगा, एक तब दे दूँगा। मैं ससुर से चिपकती हुई बोली- आपने आज मुझे बहुत मज़ा दिया है, कल मैं आपके साथ नहाऊँगी और आज से भी ज्यादा मज़ा दूँगी, अब मैं उठती हूँ।मैं कमरे से बाहर निकल गई। अगले दिन मुझे एक लाख रुपए मिल गए। इसके बाद मैं और ससुर जी एक साथ नहाए। नहाने के बाद मैंने ससुर जी का लंड मुँह में चूसा। कामवासना से उत्तेजित ससुर ने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरी चूत मारने लगे। चुदाई के बीच में चंपा ने दरवाज़ा खटका दिया, चीनी मांगने आई थी, एक घंटा रुकी मज़ा आधा ही रह गया।उसके जाने के बाद तय हुआ कि जब पापाजी पटना जाएँगे तो मैं अपनीमौसी के यहाँ मिलूँगी और पूरी औरत बनकर ससुर जी को मज़ा दूँगी।शाम को मम्मीजी वापस आ गईं।ससुर जी के पटना जाने से तीन दिनपहले मैं अपने मायके चली गई और एक दिन बाद बहाना बनाकर पटना मौसी के यहाँ आ गई। मौसी मेरी सहेली थीं। मौसी को जब मैंने बताया कि ससुरजी मुझे चोदना चाहते हैं और वो दो हज़ार रुपए मौसी को देंगे, अगर उन्होंने अपना घर एक रात को चोदने के लिए दिया।दो हज़ार रुपए सुनकर मौसी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने चाल चलकर मौसा जी को तीन दिन के लिए कोलकाता भेज दिया। बच्चे उनके बाहर पढ़ते थे।योजना के मुताबिक वो घड़ी आ गई, सिर्फ घर में मैं और मौसी थीं।एक बजे ससुर जी बताये पते पर मौसी के यहाँ आ धमके और उन्होंने मुझे एक लाख रुपए दे दिये। नाश्ता और खाना होने के बाद मौसी बोली- पापाजी को ऊपर लेजा, मैं थोड़ी देर में आती हूँ !बाहर से ताला लगाकर मौसी चली गई। हम दोनों अकेले थे, जवान लण्ड वाले बूढ़े ससुर से अब उसकी पुत्रवधू यानि मुझे अपनी चूत चुदवानी थी।ऊपर कमरे में पहुँचते ही सुसर ने मुझे अपनी बाँहों में खींच लिया और मेरे ब्लाउज में हाथ घुसा कर मेरी चूचियाँ दबा दीं और चहकते हुए बोले- आज तो कोई डर नहीं है, मज़ा आ जाएगा।मुझे भी अब यह भूलना था की हमाराकोई रिश्ता है। मैंने चुदने के लिए पैसे लिए थे, मुझे उन्हें पूरा मज़ा देना था। अब हम दोनों एक औरत और आदमी थे ससुर ने मेरे होटों में होंट डाल दिए और बोले-आह आज तो रसीली, तेरा रस पीने का पूरा मज़ा आएगा।मैंने उन्हें हटाते हुए कहा- पापाजी, कपड़े तो उतार लेने दो।ससुर ने अपनी धोती और कुरता उतार दिया था, वो अब सिर्फ चड्डीमें थे। मैंने भी उनके सामने अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया। पूरा बदन कल ही ब्यूटी पार्लर से चिकना और खुशबूदार कराया था, चूचियाँ तनी हुई थीं, चूत जाँघों के बीच में से झलक दिखला रही थी। ससुर ने मुझे खींच कर मेरी चूचियाँ मसलीं और मुझे बिस्तर पर लेटा दिया, मेरी जांघें फेला दीं और चिकनी चूत पर हाथ फिराते हुए बोले- वाह, क्या माल है तेरा, मज़ा आ गया।अपना पूरा मुँह मेरी बुर की फांकों पर लगा दिया और एक कुत्ते की तरह मेरी चूत को चाटने लगे। मेरे दाने को होंटोंके बीच दबाकर मेरी चूत गर्म कर दी, पूरी चूत काम ज्वाला से पानीपानी हो रही थी। थोड़ी देर बाद उठकर उन्होंने मेरी जाँघों में अपनी जांघें लिपटा कर मेरी चूचियाँ दबानी शुरू कर दीं और निप्पल पर काटना शुरू कर दिया।मैं पूरी गर्म हो रही थी चूत मेंलंड लेने की जबरदस्त चूल उठ रही थी। मेरे बदन का मर्दन करने के बाद वो उठे और उन्होंने अपनी अंडी उतार दी। लम्बा और मोटा लंड हवा में लहलहा उठा। मुझसे रहा नहीं गया मैंने बिस्तर से उठकर लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी, बड़ा मज़ा आ रहा था। लग ही नहीं रहा था कि 50 साल के बूढ़े के लंड से खेल रही हूँ।मैं लंड चूसती जा रही थी जो लगातार लम्बा और कड़क होता जा रहा था और अब पूरा मुँह में घुस भी नहीं पा रहा था। रस भरे टोपे को चाटने से तो मेरी बुर एक बार झड़ ही गई थी।हरामी ने मेरी चूत में उंगली घुसाई और बोला- अब तेरी मुन्नी से खेल लिया जाए।उंगली चूत में घुमाते हुए बोला- प्यार से लेट कर चुदोगी या घोड़ी बना कर चोदूँ?मैं बिस्तर पर टांगें चौड़ी करकेलेट गई और बोली- मेरी चूत के राजा, अब इस भोंसड़ी में जल्दी सेघुसा दो !सुसरे ने लंड का टोपा मेरी चूत के ऊपर रख दिया और अपने हाथ से उस पर फिराने लगा। आह क्या गर्म कर दिया था कुत्ते ने !टोपा जब उसने मेरी चूत के दाने पर रगड़ा तो मुझसे रहा नहीं गया, मैं चिल्ला उठी- हरामी कुत्ते, अंदर घुसा मादरचोद ! और कितना तड़पाएगा भोंसड़ी के? जल्दी डाल।मेरी दोनों चुचूकों की घुन्डियाँ कस कर घुमाते हुए हरामी बोला- यह हुई न बात ! मेरी बकरी रानी लो लंड खाओ !और एक झटके में लंड मेरी चूत के अंदर था। तेज 'आह उह' से कमरा गूंज उठा, करारे झटके चूत पर पड़ने लगे, 5-6 धक्कों में ही मैं झड़ गई पर सुसरे का चोदना जारी था।बीच में उसने लंड बाहर निकाल कर मुझे तिरछा करके दुबारा चूत मेंघुसा दिया। उह उह पूरी बकरी बना दिया था, बड़ा मजा आ रहा था लंड खाली होने का नाम नहीं ले रहा था, चोदने में मेरे पति से दो कदम आगे ही थे।'आह उह !' दोबारा चूत रस बहने लगा था और वो घड़ी भी आई जब मेरी चूत का रस तीसरी बार और उनका वीर्य पहली बार चूत में गिरा।मैं पलट कर उनसे एक दासी की तरह लिपट गई। चिपकती भी क्यों नहीं उसने एक औरत को चुदाई का पूर्ण सुख जो दिया था।15 मिनट बाद हरामी ने मेरा हाथ उठाकर अपने लंड पर दुबारा रख दिया और मुझसे अपना लंड सहलवानेलगा। लंड फिर लंबा होने लगा था। मेरे चूतडों पर हाथ फिराते हुए बोला- तेरी गांड तो बहुत मस्त है! राजू ने तो कई बार चोदी होगी मैंने ही उसे गांड मारना सिखायाहै। एक बार तू भी मुझसे ठुकवा ले, बीस हज़ार और दे दूँगा।मेरी आँखों में चमक आ गई, मैं उनसे चिपकती हुई बोली- ऊहं ! मैं तो आज रात आप की कुतिया हूँ, आपको मना कैसे कर सकती हूँ। लेकिन प्यार से चोदिएगा, गांड चुदने के बाद बड़ी दुखती है। ससुरजी जी चूचियाँ दबाते हुए बोले- रात को तेरी गांड रानी का महल देखेंगे। मैंने दुबारा टनक गए ससुर के लंड को पकड़ कर अपनी चूत में घुसवा लिया और लंड अंदर डलवाते हुए बोली- आप पर इतना पैसा है, 50 हज़ार और दे दीजिए ना?ससुर ने मेरी जाँघों पर हाथ फिराते हुए कहा- ठीक है, लेकिन तू अपनी मौसी की और दिलवा दे।50 हज़ार सुनकर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, मैंने ससुर के मुँह में अपना मुँह डाल दिया और बोली- मौसी से बात करती हूँ।ससुर दुबारा मुझे चोदने लगे थे।चुदने के बाद कपड़े पहन कर मैं बाहर आ गई। मौसी घर पर थीं। मैंने मौसी को बताया कि ससुर जी उनकी जवानी पर फ़िदा हैं और 5 हज़ार रुपए देकर उन्हें चोदना चाहते हैं।मौसी तो मुझसे भी बड़ी घरेलू रांड थीं, 5 हज़ार सुनते ही हाल चुदने को तैयार हो गईं, चहकते हुए बोलीं- आह, बड़ा मज़ा आएगा। उन्होंने मुझसे वादा लिया कि मैं भी उनके सामने ससुर से चुदुंगी।खाना खाकर दस बजे मैं अंदर आई औरससुर से झूठ बोली- मौसी राजी तो हैं, लेकिन 20 हज़ार रुपए पहले मांग रहीं हैं। आप मेरे 50 हज़ार दे दें, उसमें से उन्हें 20 हज़ारदे दूंगी।पापाजी ने 50 हज़ार रुपए दे दिए। मैंने जाकर मासी को 5 हज़ार रुपए दे दिए और बचे हुए अपने पर्स मेंडाल लिए। मैंने और मौसी ने अपनी चूत और गांड में क्रीम और तेल लगा लिया। इसके बाद अंदर आकर मैंने और मौसी ने जमीन पर बिस्तर लगा लिए।मैं बाहर आ गई और दरवाज़े के छेद से झांककर देखने लगी मौसी पेटीकोट और ब्लाउज में थीं, ससुर सिर्फ लुंगी पहने हुए थे। ससुर ने मौसी को अपने पास लेटा लिया। मौसी ने ससुर के सीने पर सर रख दिया, उनका एक हाथ अपनी चूचियों पर रखवा लिया और बोली- शेर सिंह जी, मैं तो आपकी बकरी हूँ, आपका मस्त बदन देखकर तो मेरा भी मन मचल रहा था। इस निगोड़ी कुतिया के मारे कुछ बोल नहीं पा रही थी।ससुर ने मौसी का ब्लाउज खोल दिया मौसी की गोल गोल मोटी चूचियाँ बाहर निकल आईं। मेरे सुसरे ने दोनों हाथों से चूचियाँ दबाते हुए मौसी की पप्पी ली और बोले- मैंने तो घर में घुसते ही सोच लिया था आज तेरी भी चूत बजा कर जाऊँगा।मौसी का पेटीकोट भी थोड़ी देर में ससुर ने खोल दिया और चूत की फांकों पर उंगली घुमाते हुए बोला- लगता है तेरा खसम चोदता नहीं है, सूखी पड़ी है।हरामी अपनी उंगली से मौसी की चूत की मालिश करने लगा। थोड़ी देर बाद सुसरे ने लुंगी हटा दी मौसी सुसरे का लंड आँखें फाड़ फाड़ कर देखने लगीं और बोली- शेर सिंह, तुम्हारा लंड तो बब्बर शेर है, मैंने भी अब तक 6-7 लंडोंसे चुदवाया है लेकिन ऐसा बब्बर शेर पहले नहीं देखा।हरामी ने मौसी की चूचियाँ दबातेहुए कहा- मुँह में डाल ले, तेरा पालतू हो जाएगा।मौसी ने मुँह लंड में लगा दिया और उसे चूसने लगी। यह सब देखकर मैं गर्म हो गई थी और अब अंदर आ गई थी। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और वहीं पास बैठकर अपनी चूत में उंगली करने लगी। मौसी लपलप लंड चूस रही थीं।ससुर ने लंड बाहर निकाल लिया और मौसी की चूत में लंड घुसा दिया तो मौसी तो मज़े के मारे जोरों सेचिल्ला उठीं- आह उह उह मज़ा आ गया! और करो, क्या चोदा है ! उह ऊहू उह ! चोदो मेरे बब्बर शेर ! बड़ा मज़ा आ रहा है।मौसी की चूत का पानी जाँघों तक आरहा था। मैं भी यह सब देखकर आहेंभर रही थी। ससुर का लंड मेरे सामने दनादन मौसी को चोद रहा था। मौसी को चोदने के बाद ससुर मेरी चूचियाँ दबाते हुए मौसी सेबोले- इस रसीली की गांड बहुत सुन्दर है।मौसी आँख मारते हुए बोली- तुम लोग मस्ती करो, मैं जूस लेकर आतीहूँ !मौसी जब जूस लेकर आईं तब ससुर मेरी गोद में लेट कर मेरी चूचियाँ चूस रहे थे और मैं उनका लंड सहला रही थी। मौसी ने हम लोगों को जूस हाथ में थमा दिया। हरामी जूस पीते पीते मेरी गांड में उंगली घुमाने लगा। मौसी यह देख कर अपनी चूत सहला रहीं थीं। मेरी तरफ इशारा करते हुए बोलीं- इस कुतिया की भी चोद दे।ससुर ने खड़े होकर मुझे घोड़ी बना दिया, मौसी के चूत रस से नहाया लंड मेरी मचलती चूत में घुस गया। ससुरा पीछे से मेरी चूत फाड़ने लगा, चुदाई के आनन्द में नहाते हुए मैं चुदवाने लगी, बड़ा मज़ा आ रहा था।थोड़ी देर बाद ससुर ने मुझे नीचे तकिये के ऊपर लेटा दिया और लंड निकाल कर मेरी गांड के दरवाज़े पर रख दिया।'हाय, कितनी गुदगुदी हो रही थी !' थोड़ा सा लंड को छेद पर गुदगुदाते हुए लंड मेरी गांड केअंदर घुस गया और हरामी मेरी गांड में नौ इंची लंड पेलने लगा।मेरी चीख निकलने लगी, लंड पूरा अंदर तक घुसाया था, टट्टे चूतड़ों से टकरा कर तबला बजा रहे थे। उसके बाद मेरी गांड चुदाई शुरू हो गई थी।मौसी मुँह पर हाथ रख कर बोली- उई रे ! यह तो पूरा अंदर घुस गया?ससुर गांड चोदने में बेरहम हो रहे थे और हैवान की तरह चोद रहे थे। मैं उह आह के साथ चिल्ला रहीथी।बहुत ठोका उन्होंने मुझे ! इसके बाद लंड बाहर निकाल लिया, लंड पूरा तन रहा था। मौसी की तरफ इशारा करके बोले- कैसा लगा?मौसी बोली- मान गए आप को !पहलवान ससुर उठे, मौसी को गोद में उठाया और मेरी जगह पर तकियों के ऊपर लेटा दिया और बोले- अब तुम्हारी बारी है।इसके बाद उन्होंने मासी की गांडमें उंगली फिराई तेल से मौसी की गांड चिकनी हो रही थी। ससुर बोले- वाह रानी, माल को पूरा तैयार कर रखा है !और उन्होंने अपने लंड का सुपारागाण्ड में लगा दिया। क्या चीख थी मौसी की। आज पहली बार उसकी गांड खोली जा रही थी, सीधे साधे मौसा जी तो चूत में भी पैर छूकर ही घुस पाते होंगे, आज शेर से पाला पड़ा था। मौसी छूटना चाह रही थीं, पर अब कोई फायदा नहीं था। लंड गांड फाड़ता ही जा रहा था, मौसी की चीखें निकल रही थीं, वो पल भी आ गया जब पूरा लंड गांड में घुस चुका था और अब मौसी की गांड चुदनी शुरू हो गई थी।'कमीने छोड़ ! मर गई ! बस कर !' की आहों से गूंज रह था। मासी की हालत पतली हो रही थी, 10-15 धक्कों के बाद ससुर ने ढेर सा वीर्य मासी की गांड में छोड़ दिया, तब उनकी सांस में सांस आई।रात के चार बज़ रहे थे, हम लोग सो गए। सुबह आठ बजे ससुर जी चले गए।दो दिन मैं मासी के यहाँ रुकी, इसके बाद मैं अपनी माँ के घर वापस आ गई।20 दिन बाद रजनी की शादी होनी थी। अब मेरे पास दो लाख से ज्यादा रुपए थे। बहन की शादी का सारा इंतजाम मैंने खुद देखा। शादी अच्छी तरह से हो गई। सास खुश थी, सबसे कहती फिर रही थी- मेरी दोनों बहुएँ सावित्री आई हैं।जिन्दगी की गाड़ी आगे बढ़ने लगी। अगले 4 साल में मेरे 2 लड़के हो गए। बहन दिल्ली चली गई, देवर बैंक में बड़ा ऑफिसर हो गया था। उसने हमें एक फ्लैट दिल्ली के आउटर में लोन पर 10 लाख में दिलवा दिया। ससुर के सहयोग से एक लकड़ी की दूकान भी हमने खरीद ली। गाँव छोड़कर हम लोग 2000 में दिल्ली आ गए, गाँव में सास ससुर रह गए।दिल्ली का काम अच्छा चल निकला, 2005 आते आते हम करोड़पति हो गए। सास ससुर अब 70 के हो रहे हैं और पूरे स्वस्थ हैं।मेरे ससुर को ऐसा लगता है कि वो इतने स्वस्थ इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने चुदाई का मज़ा हमेशा लिया है और अब भी लेते है। मेरी चूत का भोपूं मेरे देवर मौका मिलने पर अब भी बजा देते हैं। अबमेरे लड़के 18-19 साल के हो गए हैं, भगवान् की रोज़ पूजा करती हूँ और दुआ मांगती हूँ कि बेटों की शादी के बाद मेरी जैसी घरेलू रांड बहु न आए। चोर को अपने घर में चोरी कहाँ पसंद होती है।
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